नई दिल्ली। संसदीय कमेटी के सामने पेशी के बाद पद्मावती के निर्देशक संजय लीला भंसाली ने सफाई दी है. भंसाली ने कहा, ‘मेरी फिल्म पद्मावती की कहानी इतिहास पर आधारित नहीं है. यह मलिक मोहम्मद जायसी की कविता पर आधारित है.’ मीटिंग दो घंटे से ज्यादा देर तक चली. भंसाली का यह बयान नए विवाद को जन्म दे सकता है.
संजय लीला भंसाली और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी संसद की इन्फॉर्मेशन और टेक्नॉलजी कमेटी के सामने पेश हुए. 14 सदस्यीय इस कमेटी के 8 सदस्यों के सामने प्रसून जोशी पेश हुए. बीजेपी से दो सदस्यों ने फिल्म पर बैन की मांग की तो शिवसेना के सदस्य ने इसका समर्थन किया. बाकी के सदस्यों ने कहा कि जब सेंसर बोर्ड ने फिल्म को मंजूरी ही नहीं दी है तो बैन का सवाल कहां से उठता है.
संसदीय कमेटी के सामने प्रसून जोशी ने कहा कि उन्होंने अभी तक फिल्म नहीं देखी है. फिल्म को पहले रीजनल कमेटी देखेगी और फिर सेंट्रल कमेटी. सेंसर बोर्ड पहले एक्सपर्ट्स की राय लेगा फिर किसी नतीजे पर पहुंचेगा. मीटिंग में सेंसर बोर्ड चीफ से पूछा गया कि क्या फिल्म के प्रोमो को अप्रूव कराया गया था. जिस पर उन्होंने कहा, हां प्रोमो अप्रूव थे. कुछ मेंबर्स ने यह भी कहा कि कमर्शियल फायदे के लिए विवादों को तूल दिया जा रहा है.
निर्देशक भंसाली की तरफ से लिखित में कमिटी को बताया गया कि फिल्म इतिहास के तथ्यों पर आधारित है। लेकिन जायस की पद्मावत तो घटना के कई सौ साल बाद लिखा गया, वो सत्य कैसे हो सकता है? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, क्या पद्मावती, राजा रत्नसेन और पद्मावती का महल आज भी है वो काल्पनिक है?
कोटा से भाजपा सांसद ओम बिड़ला ने कहा, हमने पीटिशन कमिटी के सामने अपनी बात रख दी है. निर्देशक ने लिखित में कमिटी को बताया था कि इतिहास के तथ्यों के आधार पर फिल्म बनाई गई है. सेंसरबोर्ड इतिहास के साथ छेड़छाड़ को देखे. प्रोमों को सर्टिफिकेट दिया या नहीं? ये सेंसर बोर्ड बताएगा लेकिन जो प्रोमों और ट्रेलर दिखाए जा रहे हैं, जब वहीं आपत्तिजनक है तो फिल्म में कितना आपत्तिजनक होगा.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।