सहारनपुर का शब्बीरपुर पांच मई से ही जातिवाद की आग में जल रहा है. आग थोड़ी ठंडी होने पर अब जातिवाद, घृणा और आतंक की कहानी सामने आने लगी है. इस हैवानियत के पीछे का सच चौंकाने वाला है. सबसे ज्यादा हैरान करने वाला सच तो पुलिस का है, जो यह बता रही है कि जाति का जहर इस समाज में किस कदर घुला हुआ है. तमाम पीड़ितों ने साफ कहा कि पुलिस उनके साथ थी.
जिला अस्पताल में भर्ती तमाम लोगों से जन पक्षधरता के पैरोकार मीडियाकर्मी वाले मिलने पहुंच रहे हैं. तमाम मीडियाकर्मियों के वही सवाल हैं और पीड़ितों का जवाब भी सबको एक जैसा ही है. हां, कुछ लोगों की कहानी चौंकाने वाली है. रीना इसी में से एक है. रीना की आंखों से अभी तक दहशत गई नहीं है. रीना कहती हैं कि उन्होंने (ठाकुर) ने उन्हें चारो ओर से घेर लिया था. वो मेरी छाती को काट देना चाहते थे. उस पर तलवार मारना चाहते थे. मैंने किसी तरह हाथ पैर जोड़कर खुद को बचाया. उन्होंने मेरे शरीर के कई हिस्सों पर हमला किया. पुलिस उनके साथ थी.”

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