एक दिसंबर को रिलिज होने जा रही फिल्म पद्मावती का विरोध हर दिन बढ़ता जा रहा है. अब राजस्थान के पूर्व घराने एक साथ इस फिल्म के विरोध में उतर आए हैं. उनका कहना है कि फिल्म में रानी पद्मावती को गलत तरीके से दिखाया गया है. जिन घरानों ने विरोध किया है और विरोध के जो कारण बताए हैं, डालते हैं उस पर एक नजर-
पद्मावती की कहानी सुनकर बड़े हुए हैं, छेड़छाड़ नहीं होने देंगे
हम रानी पद्मावती के शौर्य औ बलिदान की कहानियों के साथ बड़े हुए हैं. जहां हजारों महिलाओं के साथ अस्मिता को बचाने के लिए जौहर किया था उसे कोई कैसे ड्रीम सीक्वेंस का नाम देकर प्रेम कथा बता सकता है?
– दिया कुमारी, जयपुर घराना
पहले मेवाड़ के राजपरिवार को दिखाई जाए फिल्म
हम विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठा चुके हैं. हमारी मांग है कि ऐसी कमेटी बनाई जाए जिसमें पूर्व महाराणा महेंद्र सिंह के परिवार और इतिहासकारों को शामिल किया जाए. पहले उके समक्ष फिल्म की स्क्रीनिंग हो
– रणधीर सिंह भिंडर, भिंडर घराना
भंसाली ने इतिहास को उपन्यास बनाकर पेश कर दिया
भंसाली ने इतिहास को उपन्यास बनाकर पेश कर दिया है. इसी तरह कोई पीएम मोदी के चरित्र से जोड़कर कुछ भी दिखाएगा, तो क्या सेंसर बोर्ड पास कर देगा. क्या बोर्ड को पता भी है कि ग्रेनेडियर्स (सेना की एक यूनिट) का स्थापना दिवस जौहर दिवस के दिन ही मनाया जाता है.
– महेन्द्र सिंह मेवाड़, मेवाड़ घराना
डिस्क्लेमर से कुछ नहीं बदलेगा
निर्देशक एक डिस्क्लेमर से अपनी स्क्रिप्ट का बचाव करेंगे कि किरदार काल्पनिक है, लेकिन राजस्थान को गलत तथ्यों से काफी चोट पहुंचेगी क्योंकि यहां का हर कण पद्मावती के बलिदान को जानता है.
– सिद्धी कुमारी, बीकानेर
भंसाली पद्मावती के परिवार से तो बात कर लेते
भंसाली से पिछले दो सालों से पद्मावती से जुड़े तथ्यों को फिल्म में शामिल करने को कहा जा रहा है. उन्हें कम से कम रानी पद्मावती के घराने से तो बातचीत कर तथ्यों की जानकारी लेनी चाहिए थी.
– अंशिका कुमारी, करौली घराना
घरानों की आपत्ति से अलग राजस्थान के इतिहासकार भी भंसाली का विरोध कर रहे हैं. राजस्थान के इतिहास के जानकार राव शिवराजपाल सिंह का कहना है कि यदि भंसाली को रानियों को दरबार में नृत्य करते हुए ही दिखाना था तो पद्मावती की जगह किसी काल्पनिक किरदार की कहानी प्रस्तुत कर देते. वे विवाद को भुनाते हैं. वो मुस्लिम देशों में फिल्म के प्रति जिज्ञासा जगाकर मार्केट बनाना चाहते हैं, यह गलत है.
साभारः दैनिक भास्कर