कोरोना महामारी के दौरान तमाम लोगों ने जरूरतमंदों की ओर मदद का हाथ बढ़ाया। जब कोविड की मार अपने चरम पर था, लोग एक-दूसरे की मदद के लिए सामने आए। खास कर कई लोगों ने उस बच्चों की मदद करने का बीड़ा उठाया है, जो अपने अपनों को खो चुके हैं। इन्हीं में से एक हैं मुंबई पुलिस की रहीना शेख बगवान, जिन्होंने महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के 50 आदिवासी बच्चों को गोद लिया है। उन्होंने तय किया है कि वह इन बच्चों की दसवी तक की शिक्षा की जिम्मेदारी लेंगी। हाल ही में जब मुंबई पुलिस के आयुक्त हेमंत नागराले ने उन्हें उत्कृष्टता प्रमाण पत्र से सम्मानित किया, तब जाकर इस बात की खबर फैली। 40 वर्षीय रहीना शेख बगवान को ‘मदर टेरेसा’ के नाम से भी जाना जाता है।
यह भी पढ़ें- राजस्थान में आदिवासियों के विकास के लिए सीएम अशोक गहलोत ने दिए 100 करोड़
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रेहाना साल 2000 में एक कांस्टेबल के रूप में पुलिस बल में शामिल हुई थीं और जरूरतमंदों और दलितों के लिए काम करने के लिए हमेशा तैयार रहती थीं। बच्चों को गोद लेने के बारे में बताते हुए रेहाना ने कहा कि पिछले साल जब वे अपनी बेटी का जन्मदिन मनाने वाले थे, तब उन्हें रायगढ़ के वाजे तालुका में ज्ञानी विद्यालय के बारे में पता चला और उन्होंने प्रिंसिपल से बात करने का फैसला किया जिसके बाद उन्हें स्कूल में आमंत्रित किया गया। स्कूल। इस स्कूल के ज्यादातर बच्चे काफी गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं। इनकी गरीबी का आलम यह था कि उनमें से कुछ के पास जूते भी नहीं थे। इसके बाद रेहीना और उनके परिवार ने अपनी बेटी के जन्मदिन और ईद की खरीदारी के लिए बचाई गई रकम का इस्तेमाल उन बच्चों की मदद करने के लिए किया। इस तरह वह बच्चों से जुड़ गईं।
रहीना एक बॉलीवाल खिलाड़ी हैं और उन्होंने साल 2017 में श्रीलंका में आयोजित एक प्रतियोगिता में पुलिस बल का प्रतिनिधित्व करते हुए खेलों में रजत और स्वर्ण पदक भी जीता था।

दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
