राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश के आदिवासी इलाकों में विकास की विभिन्न योजनाओं के लिए 100 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री गहलोत ने जनजाति जनभागीदारी योजना के लिए 10 करोड़ रुपये, मारवाड़ संभाग के जनजाति समुदाय के उन्नयन कार्यक्रम के लिए 15 करोड़, सामुदायिक वन अधिकार क्षेत्र के विकास के लिए 10 करोड़, आवासीय विद्यालयों में क्षमता विकसित करने के लिए 10 करोड़, कुपोषण, टीबी, सिकल सेल्स के रोगियों को चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 5 करोड़ रुपये की मंजूरी दी। इसके अलावा आवासीय विद्यालय और छात्रावासों की रैंकिंग सुधार और सुविधाओं के विकास के लिए 10 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी है।
इसी प्रकार मुख्यमंत्री ने टीआरआई प्रांगण में जनजाति म्यूजियम के विकास के लिए 3 करोड़, खेल छात्रावासों को खेल अकादमी में क्रमोन्नत करने और नवीन खेल अकादमी के निर्माण के लिए 5 करोड़, आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण के लिए 10 करोड़, डेयरी, पशुपालन, कृषि, उद्यानिकी, कुसुम, कौशल उन्नयन के माध्यम से जनजाति परिवारों की आय संवर्द्धन के लिए 10 करोड़ और विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता, कोचिंग, गेस्ट फेकल्टी सहित अन्य गतिविधियों के लिए 12 करोड़ रुपए की सैद्धांतिक मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री की इस मंजूरी से जनजाति क्षेत्र विकास की योजनाओं को गति मिलने के साथ ही इन क्षेत्रों के निवासियों के शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक उन्नयन में मदद मिल सकेगी।
दरअसल आदिवासी क्षेत्र के नेताओं ने सरकार पर पिछले दिनों यह आरोप लगाया था कि सरकार आदिवासी क्षेत्र के लोगों के साथ उपेक्षा कर रही है। इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह निर्णय लिया है। हालांकि यह अभी एक घोषणा है। प्रदेश के आदिवासी नेताओं और एक्टिविस्ट को यह देखना होगा कि प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई राशि सही जगह खर्च हो रही है या नहीं। फिलहाल इन दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान में हो रहे दलित उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर दलित और आदिवासी समाज के निशाने पर हैं।

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