नई दिल्ली। ई-कॉमर्स की मशहूर कंपनी स्नैपडील इस वक्त अपने बुरे दौर से गुजर रही है. स्नैपडील पर इस वक्त आर्थिक रुप से मंदी आ चुकी है. सोमवार को कंपनी ने खुलासा किया कि उसने एक प्रतिनिधिमंडल नियुक्त किया है जो 80 प्रतिशत कर्मचारियों की जल्द छंटनी कर देगा. स्नैपडील के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रबंधन ने मौखिक रूप से सभी विभाग के हेड से छंटनी किए जाने वाले कर्मचारियों की लिस्ट बनाने को कहा है.
बता दें की AANI की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्नैपडील के मालिक ने फ्लिपकार्ट से बात-चीत खत्म कर दी है. इसकी बजाय कंपनी फ्री-चार्ज बेंचकर 50 मिलियन डॉलर और अपने करीब 1000 कर्मचारियों की छुट्टी करके आगे बढ़ने की योजना बनाएगी. पिछले साल जुलाई में कंपनी के पास 9 हजार कर्मचारी थे. इन्हें बिना किसी नोटिस के 1200 तक लाया गया. अब महज 200 लोगों के साथ कंपनी आगे काम करेगी.
स्नैपडील को खरीदने के लिए फ्लिपकार्ट ने 1750 मिलियन डॉलर का ऑफर दिया था. माना जा रहा है कि ई-कॉमर्स बाजार में यह अब तक का सबसे बड़ा ऑफर है. स्नैपडील के मालिक पिछले दो महीने से मर्जर डाल रहे थे और अंततः मना कर दिया. सूत्रों के मुताबिक पिछले गुरुवार की शाम को कुनाल बहल और रोहित बहल ने अपने सभी टीम हेड से साफ-तौर पर कहा है कि अपनी टीम में कटौती का सारा कागजी काम कर डालिए. बता दें की स्नैपडील के इस कदम से हजारों कर्मचारियों को बड़ा झटका लगने वाला है
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।