तीन महीने में भाजपा की तीन बड़ी चुनावी हार​ से मोदी परेशान

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नई दिल्ली। भाजपा सरकार भले ही देश की जनता को अच्छे दिनों का सपना दिखाकर अपना उल्लू सीधा कर रही हो. लेकिन पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग जगहों से भाजपा की हार की जो खबरें मिली है, उससे साफ जाहिर होता है कि देश की जनता हिंदुत्व के सपनों की हकीकत जान चुकी है. चाहे वो गुरदासपुर का उप चुनाव हो या फिर दिल्ली और इलाहाबाद ​विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव. इन सभी चुनावों में भाजपा को करारी हार का ​सा​​​मना करना पड़ा है.

बीजेपी के लिए सबसे बुरी खबर गुरदासपुर लोकसभा उप-चुनाव से आई है. जहां से कांग्रेस के उम्मीदवार सुनील जाखड़ ने भाजपा प्रत्याशी सवर्ण सिंह सलारिया को लगभग दो लाख मतों के अंतर से हरा दिया है. ये सीट पहले भाजपा के ही खाते में थी.​ भाजपा की इस हार में हार का अंतर शर्मनाक है.​

वहीं यूपी में योगी सरकार बनने के बाद ​बीते रविवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में पांच में से चार सीटों पर ​भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी को हार का मुंह देखना पड़ा.​ ​यानि हिन्दुत्व का दम भरने वाली योगी सरकार की हकीकत से जनता अब वाकिफ हो चुकी है. ​जिस युवा वर्ग के भरोसे मोदी 2014 का चुनाव जीते थे, वही मोदी की उम्मीदों पर पानी फेरने को अमादा है.​

इधर केरल में भी भाजपा के लिए बुरी खबर है. हाल ही में केरल की वेंगाना सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था. लेकिन जीतना तो दूर की बात है. वोट का प्रतिशत भी पहले के मुकाबले कम हो गया.

लगातार हो रही भाजपा की हार का असर इन दिनों सियासत में साफ देखा जा रहा है. क्योंकि चुनाव आयोग ने हिमाचल और गुजरात में एक साथ चुनाव कराने की घोषणा करने का फैसला किया था. लेकिन जिस तरह से गुजरात चुनाव की तारीख की घोषणा रोक दी गई है. इससे साफ जाहिर होता है कि भाजपा और मोदी डरे हुए हैं.

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