लाहौर। पाकिस्तान में अपने दोस्त को व्हाट्सअप पर इस्लाम के लिए अपमानजनक संदेश भेजने पर एक व्यक्ति को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई. बताया जा रहा है कि मैसेज सामने आने के बाद उग्र भीड़ ने उसे घेर लिया था हालांकि, वो बच निकला और बाद में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. दोषी करार दिए गए शख्स के वकील का कहना है कि उसका मुवक्किल बेगुनाह है. उन्होंने कहा कि युवक को जानबूझकर मामले में फंसाया जा रहा है. वो कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे.
जानकारी के मुताबिक, जेम्स मसीह नाम के शख्स के दोस्त ने पुलिस में शिकायत की थी कि उसने व्हाट्सऐप पर एक कविता भेजी थी जो इस्लाम का अपमान कर रह रही थी. इस पर जेम्स से खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया था. वहीं मामला सामने आने के बाद नाराज लोगों ने उसका घर घेर लिया.
भीड़ से बचने के लिए जेम्स पंजाब प्रांत के सारा ए आलमगीर कस्बे से भाग गया. बाद में उसने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. उसकी सुनवाई सुरक्षा कारणों से जेल में एक साल से अधिक समय तक चली. यह जेल लाहौर से करीब 200 किलोमीटर दूर है.
अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि जेम्स मसीह को मृत्युदंड के साथ ही 3,00000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. वहीं जेम्स के वकील अंजुम वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल बेगुनाह है. उन्होंने कहा, ”मेरा मुवक्किल लाहौर उच्च न्यायालय में अपील करेगा क्योंकि एक मुस्लिम लड़की से प्रेमप्रसंग के चलते उसे फंसाया गया है.” अंजुम वकील के अनुसार सुरक्षा कारणों से जेल के अंदर सुनवाई हुई.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
