देश के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में संपन्न हुए छात्र संघ चुनावों में लेफ़्ट ने एक बार फिर ज़ोरदार तरीके से जीत दर्ज की है. आईसा, एसएफआई और डीएसएफ़ के गठबंधन वाले पैनल यूनाइटेड लेफ़्ट ने चारों सीटों पर अपनी जीत दर्ज की है.
अध्यक्ष पद पर यूनाइटेड लेफ़्ट की उम्मीदवार गीता कुमारी ने एबीवीपी की निधि त्रिपाठी को 464 मतों से हराया. गीता कुमारी को 1506 मत प्राप्त हुए जबकि निधि त्रिपाठी को 1042 मत मिले, वहीं तीसरे स्थान पर रही बिरसा अम्बेडकर फुले स्टूडेंट एसोसिएशन (बापसा) की उम्मीदवार शबाना अली को 935 मत मिले. इस बार के छात्र संघ चुनाव में सभी दलों ने अध्यक्ष पद के लिए महिला उम्मीदवार को खड़ा किया था. कुल 4639 मतों में से 19 मत अवैघ माने गए. उपाध्यक्ष के पद पर यूनाइटेड लेफ़्ट की उम्मीदवार ज़ोया खान को 1876 वोट मिले. एबीवीपी के दुर्गेश कुमार 1028 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. जनरल सेक्रेट्री के पद पर लेफ़्ट यूनाइटेड के दुग्गीराला श्रीकृष्णा ने जीत दर्ज की. उन्हें 2082 वोट प्राप्त हुए. वहीं एबीवीपी के निकुंज मकवाना को 975 वोट मिले. लेफ़्ट यूनाइटेड के ही सुभांशु सिंह ने संयुक्त सचिव का पद जीता. उन्हें कुल 1755 वोट मिले. वहीं एबीवीपी के पंकज केशरी को 920 वोट प्राप्त हुए.
अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज करने के बाद यूनाइटेड लेफ़्ट की उम्मीदवार गीता कुमारी ने अपनी जीत का श्रेय छात्रों को दिया. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि वे जेएनयू के लापता छात्र नजीब का मुद्दा उठाएंगी इसके साथ वे जेएनयू में हुई सीट कटौती, नए हॉस्टल की मांग और जेएस-कैश की स्वायत्ता को बचाए रखने जैसे मुद्दों पर काम करेंगी.
महासचिव पद जीतने वाले दुग्गीराला के मुताबिक चुनाव परिणाम दिखाते हैं कि जेएनयू पहले से ज़्यादा लोकतांत्रिक हुआ है, हम छात्रों के बीच जाएंगे उनकी समस्याओं को सुनेंगे. इसके साथ ही उन्होंने जेएनयू में असहमति व बहस की संस्कृति को भी कायम रखने की बात भी कही. कांग्रेस पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई का हाल बेहद ख़राब रहा. एनएसयूआई की तरफ से अध्यक्ष पद की उम्मीदवार वृषनिका सिंह को 82 वोट मिले जबकि 127 छात्रों ने नोटा का विकल्प चुना. सेंट्रल पैनल के चारों सीटों पर कुल 1512 वोट नोटा को मिले.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।