नई दिल्ली। पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने कुलभूषण जाधव पर नरम संकेत दिया है. एक अंग्रेजी इंटरव्यू में उन्होंने कहा, जाधव क़ानून के मुताबिक पाकिस्तान में अपील कर सकते हैं. बासित ने कहा अगर ‘कोर्ट ऑफ अपील’ से भी जाधव की अपील रद्द हो जाती है, तो उनके पास अपील का मौका है. उन्होंने कहा कि जाधव पहले आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा से दया के लिए अपील कर सकते हैं, उसके बाद राष्ट्रपति के पास भी याचिका दे सकते हैं.
अंग्रेजी अखबार द हिंदू से बातचीत में अब्दुल बासित ने कहा कि जब तक कुलभूषण जाधव का मामला अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में है, तब तक उन्हें फांसी नहीं दी जाएगी. बासित ने कहा कि भले ही आईसीजे का फैसला आने में दो-तीन साल लग जाएं, लेकिन उससे पहले फांसी नहीं दी जाएगी. हालांकि, बासित ने कहा कि वो चाहते हैं इस मामले में जल्द कोर्ट का फैसला आए.
बासित ने कहा जब तक जाधव का मामला हेग के अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में है, तब तक उन्हें फांसी नहीं दी जाएगी. बासित ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस की प्रक्रिया को लेकर कहा, “हम चाहते हैं कि यह जल्दी से खत्म हो. लेकिन जब तक पाकिस्तान सरकार का कोई फैसला नहीं आता है हम प्रतिबद्ध हैं.”
हाल ही में, पाकिस्तान सरकार ने एक स्पष्टीकरण जारी कर दिया था कि जाधव को अभी फंसी दी सकती. क्योंकि अभी वह 2 अपीलें और दायर कर सकते हैं एक पाकिस्तानी सेना प्रमुख और दूसरा पाकिस्तान के राष्ट्रपति के साथ.
जाधव भारतीय नौसेना के एक सेवानिवृत अधिकारी हैं जिन्हें पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने पाकिस्तान में जासूसी और आतंकवादी गतिविधियों में कथित संलिप्तता के लिए मौत की सज़ा सुनाई थी. जाधव को ईरान से प्रवेश करने के बाद, बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था.
मौत की सज़ा के खिलाफ भारत 8 मई को आईसीजे पहुंचा और जाधव के खिलाफ आरोपों को मनगढ़ंत बताया. 18 मई को सुनवाई के दौरान आईसीजे की 10 सदस्यीय पीठ ने पाकिस्तान को जाधव को फांसी पर कार्यवाई करने से रोक दिया था.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।