कांशीराम जी जब बहुजन समाज पार्टी को बढ़ाने में लगे थे उस दौरान एक बार एक बड़ा आदिवासी चेहरा अरविन्द नेताम पार्टी से अलग हो गए. नेताम बसपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए. आमतौर पर किसी बड़े चेहरे के पार्टी से अलग हो जाने के बाद कुछ दिनों तक पार्टी में हलचल रहती है. लेकिन नेताम के कांग्रेस से अलग हो जाने के बावजूद भी कांशीराम जी को कोई फर्क नहीं पड़ा. पार्टी में भी सबकुछ सामान्य तौर पर चलता रहा. पत्रकार जो इसे मुद्दा बनाने में लगे थे, उन्हें बड़ी निराशा हुई. उन्हें चटपटी खबरें बनाने को नहीं मिल रही थी, क्योंकि कांशीराम जी उस नेता पर कोई भड़ास नहीं निकाल रहे थे.
पत्रकारों से नहीं रहा गया. कांशीराम जी से पत्रकारों ने पूछा- साहब आपकी पार्टी का दिग्गज नेता पार्टी छोड़कर चला गया, लेकिन आपको चिंता ही नहीं है. आप उसको मना क्यों नहीं लेते? साहब ने जवाब में कहा- भाई पहली बात तो वो माना हुआ होता तो पार्टी छोड़ता ही नहीं. दूसरी बात अब आप लोगों ने उसको दिग्गज़ बना दिया तो अब उसको मनाने की रेट भी दिग्गज़ हो गयी है जो कि मेरे पास है नहीं. इसीलिए मैं इसके जाने की विदाई पार्टी देता हूं ताकि किसी दूसरी पार्टी में रहकर मेरी सिखाई बातों पर थोड़ा बहुत तो अमल करेगा. वो भी मेरे मिशन का ही हिस्सा है.
कांशीराम जी ने कहा कि बसपा में किसी को लालची रस्सी से बांधकर नहीं रखा जाता और ना ही किसी नेता को नोट की कोर दिखाकर बुलाया जाता है. इसीलिए जिस किसी को बसपा समझ में आये वो यहां काम करे. यहां आने जाने वालों के लिए दरवाज़े हमेशा खुले रहते हैं.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।