”जय भीम लगे जब नारा” एल्बम को अम्बेकरवादी-बौद्ध विचारकों ने किया रिलीज

नई दिल्ली। मिशनरी गायक तरन्नुम बौद्ध और हेमंत कुमार बौद्ध के आठ गानों के संग्रह वाली वीडियों डीवीडी ”जय भीम लगे जब नारा” का विमोचन प्रोफेसर विवेक कुमार, आनंद श्रीकृष्णा और बौद्धाचार्य शांति स्वरूप बौद्ध ने किया. इस एल्बम को प्रसिद्ध कंपनी टी-सीरीज ने निर्मित किया है.

इस अवसर पर प्रो. विवेक कुमार ने कहा कि देश में बहुआयामी दलित आंदोलन 8-9 रूप में चल रहे हैं जोकि दलित समाज में जागृति लाने का काम कर रहे हैं. उसी कड़ी में दलितों में सांस्कृतिक आंदोलन भी चल रहा है. उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के सांस्कृतिक और वैचारिक आंदोलन तरन्नुम बौद्ध और हेमन्त कुमार बौद्ध जैसे युवा कर रहे हैं. यह युवा जयभीम के नारे को निर्भीकता के साथ क्रांतिकारी रूप से पूरे भारत में गुंजायमान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब हमें मनुवादियों को अपशब्द कहने की जगह अपनी संस्कृति के निर्माण की ओर कार्य करना चाहिए. प्रो. विवेक कुमार ने इस मौके पर एक मोटिवेशनल गीत “जिंदगी भीख में नहीं मिलती, जिंदगी बढ़ के छीनी जाती है, सर झुकाने से कुछ नहीं होगा, सर उठाओ तो कोई बात बने” भी सुनाया.

बौद्ध विद्वान आनन्द श्रीकृष्णा और बौद्धाचार्य शांति स्वरुप बौद्ध ने भी इस अवसर पर अपने ओजस्वी धम्म गर्भित विचार रखे. इसी कार्यक्रम में छमाही पत्रिका (स्मारिका) “समता युग” का विमोचन भी मुख्य अतिथियों के द्वारा किया गया, जिसे उपस्थित उपासक-उपासिकाओं को “समता बुद्ध विहार प्रबंधक संघ” द्वारा वितरित भी किया गया.

महोपासक आरपी राष्ट्रपाल की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में 18 उपासक और उपासिकाओं ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ग्रहण की. इस अवसर पर बहुजन समाज के 5 विद्वानों एवं समाज सेवियों जिनमें प्रसिद्द साहित्यकार बी. एस. भगत, धम्मसेवक रामरतन बौद्ध, समाजसेविका श्रद्धेया शकुन बौद्ध, दलित दस्तक पत्रिका के सम्पादक अशोक दास और भवतु सब्ब मंगल संघ की टीम से सर्वेश कुमार गौतम शामिल है. इन सभी को “भारतीय त्रिरत्न सम्मान-2016” के द्वारा सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में युवा कवियों बाल गंगाधर ”बागी”, प्रदीप कुमार बौद्ध और संजय गौतम ”मन्थन” ने मिशनरी कविताओं से उपस्थित उपासक-उपासिकाओं का ज्ञानरंजन किया. इस कार्यक्रम का मंच संचालन उपासक सुधीर भास्कर ने किया. गोवर्धन दास गौतम ने आये हुए  सभी उपासक-उपासिकाओं का साधूवाद  किया और कार्यक्रम का समापन “सब्बे सत्ता सुखी होन्तु” मंगल कामना के साथ हुआ.

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