पापुआ। दुनिया भर के अलग-अलग हिस्सों में कई जनजातियां मौजूद हैं, जो आज भी पूरी दुनिया के लिए किसी रहस्य से कम नहीं हैं. चाहे वो अफ्रीकन आदिवासी हों या फिर अमेजन की अलग-अलग जनजातियां.
ऐसी ही एक रहस्यमय जनजाति इंडोनेशिया के पापुआ प्रांत के घने जंगलों में पेड़ों पर घर बनाकर रहने वाली कोरोवाई है. इस जनजाति को नरभक्षी भी कहा जाता है. बता दें कि कोरोवाई जनजाति जिस क्षेत्र में निवास करती है, वो अराफुरा सागर से तकरीबन 150 किमी की दूरी पर स्थित है.
इन लोगों पर कई डॉक्युमेंट्री भी बनाई गई है. ऐसा कहा जाता है कि इस जनजाति के लोग अंधविश्वास को बहुत मानते हैं, जिसकी वजह इंसानों को भी खा जाते हैं. हालांकि, अब ऐसा कहा जाने लगा है कि एरिया में टूरिस्ट के आने के बाद अब इंसानी मांस खाने की प्रथा बंद हो चुकी है.
ये लोग जमीन से 6 से 12 मीटर ऊंचाई पर पेड़ों पर बने घरों में रहते हैं, ताकि इन पर कोई आक्रमण न कर सके और ये लोग बुरी आत्माओं से भी बचे रहें. इस जनजाति के लोग जीवनयापन करने के लिए शिकार करते हैं.
इनका निशाना बहुत बेहतर होता है. ये मछली पकड़ने में महारत हासिल किए होते हैं. पहली बार एक डच मिशनरी ने इस जनजाति की खोज 1974 में की थी, इससे पहले इनके बारे में कोई नहीं जानता था.
इसके बाद यहां पर लोगों का आना-जाना बढ़ता चला गया, जिसकी वजह से 90 के दशक में यहां वेश्यावृत्ति भी बढ़ने लगी. महिलाओं को जबरदस्ती खाना या किसी तरह की मूल्यवान चीज एक बदले टूरिस्ट के साथ सोने पर मजबूर किया जाता था.
हालांकि, सरकार की पहल के बाद 1999 में ये सब कुछ बंद हो गया. आज भी यहां महिलाएं मात्र बच्चे पैदा करने और घर में खाना बनाने के लिए ही रखी जाती हैं. लोगों के आने जाने के बावजूद भी इस जनजाति से जुड़े लोगों का बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं है.
हरिभूमि के मुताबिक यहां के लोगों को पता भी नहीं था कि उनके जंगल से बाहर भी और लोग रहते हैं. आज के समय में कुल तीन हजार कोरोवाई लोगों के होने का आंकड़ा मौजूद है.

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