अगर EVM से ऐसे होगा चुनाव तो धांधली मुश्किल

0
एड. रमेश चन्द्र गुप्ता

नई दिल्ली। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ईवीएम के खिलाफ राजनीतिक दलों से लेकर सामाजिक संगठनों और तमाम जागरूक व्यक्तियों ने मोर्चा खोला हुआ है. चुनाव आयोग से लगातार आगामी चुनाव EVM की जगह बैलेट पेपर से कराने की मांग की जा रही है. साथ ही चुनाव EVM से कराए जाने की स्थिति में उसमें कई नियमों को लेकर सवाल उठाए गए हैं.

उत्तर प्रदेश के बरेली के रहने वाले एडवोकेट रमेश चन्द्र गुप्ता ने चुनाव आयोग से सूचना के अधिकार के तहत कुछ सवाल पूछे हैं जो काफी दिलचस्प हैं. उनका कहना है कि वे भारत देश के एक जागरुक मतदाता हैं. उन्होंने ये सवाल इसलिए उठाए हैं क्योंकि वो चाहते हैं कि चुनाव फ्री, फेयर और ट्रांसपैरेंट हो. एडवोकेट गुप्ता ने जिन सवालों को उठाया है अगर चुनाव आयोग उसे मान लेता है तो फिर EVM से चुनाव होने की स्थिति में भी किसी के द्वारा EVM के साथ छेड़छाड़ करना मुश्किल होगा. एडवोकेट गुप्ता के सवालों पर नजर डालने पर साफ है कि ये काफी महत्वपूर्ण हैं.

एडवोकेट रमेश ने आयोग से जो सूचना मांगी है, उसमें VVPAT को लेकर तमाम सवाल उठाए गए हैं. उन्होंने पूछा है कि क्या 2019 लोकसभा चुनाव में सभी EVM के साथ VVPAT लगाना अनिवार्य है. एक अन्य सवाल में एडवोकेट गुप्ता ने आयोग से यह पूछा है कि कितने प्रतिशत वोटों की गिनती VVPAT से निकली पर्चियों से होगी. उन्होंने यह भी पूछा है कि मतगणना दोबारा होने यानि रि-काउंटिंग की स्थिति में रिकाउंटिंग EVM से होगी या VVPAT से निकली हुई पर्चियों से.

अपने सवालों में VVPAT का मुद्दा मजबूती से उठाए जाने पर एडवोकेट गुप्ता कहते हैं कि “जब हम EVM से वोटिंग करते हैं तो वोटिंग के सात सेकेंड के बाद उसमें से एक पर्ची निकलती है, जिसमें कैंडिडेट का नाम, उसका चुनाव चिन्ह और उसका नंबर होता है. यह समय इतना कम होता है कि इस दौरान मतदाता उसे देख नहीं पाता. इसके बाद वह पर्ची नीचे गिर जाती है. एक बूथ पर जितने मतदाताओं ने वोट किए हैं, उसकी पर्ची यानि वीवीपैट भी उतनी होनी चाहिए. इससे पारदर्शिता रहती है. साथ ही नियम है कि शुरुआती 50 पर्चियों का मिलान ईवीएम में हुए मतदान से कर लिया जाए, जिससे यह तय हो जाए कि ईवीएम सही काम कर रही है. लेकिन कई बार इसकी अनदेेखी हो जाती है.”

एडवोकेट रमेश चन्द्र गुप्ता के ये तमाम सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इन्हीं की अनदेखी EVM में छेड़छाड़ का कारण बनती है. अगर इन सवालों पर चुनाव आयोग ईमानदारी से सोचता है और उसको लागू करने की पहल करता है तो ऐसी स्थिति में EVM के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ या तो बहुत मुश्किल होगी या फिर ऐसा होने की स्थिति में उसे आसानी से पकड़ा जा सकेगा. और ऐसे में रमेश चन्द्र गुप्ता जैसे देश के तमाम मतदाताओं के फ्री, फेयर और ट्रांसपैरेंट चुनाव की मांग पूरी की जा सकेगी.

पुराने पैटर्न से ही होंगे CBSE बोर्ड एग्जाम

नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं की परीक्षाएं गुरुवार से शुरू होने जा रही है. पिछले साल पेपर लीक और उसके बाद हुए बवाल का सामना करने के बाद बोर्ड और केंद्र सरकार ने पेपर लीक जैसी घटनाओं से बचने के लिए कई घोषणाएं की थी. इन घोषणाओं में इलेक्ट्रॉनिकली कोडेड पेपर की घोषणा भी थी, हालांकि यह सिर्फ वादा ही रह गया. दरअसल इस बार भी पुराने पैटर्न से ही परीक्षा का आयोजन किया जाएगा.

इलेक्ट्रॉनिकली कोडेड पेपर का था वादा

पिछले साल सरकार ने इलेक्ट्रॉनिकली कोडेड पेपर पैटर्न से परीक्षा करवाने की घोषणा की थी. इस पैटर्न को लेकर कहा जा रहा था कि सभी स्कूलों को सीधे इलेक्ट्रॉनिकली कोडेड पेपर भेजे जाएंगे. यह पेपर आधे घंटे पहले ही सेंटर्स को इलेक्ट्रॉनिक पेपर भेजा जाएगा. हर पेपर के लिए पासवर्ड भी होगा, जो कि हर सेंटर को दिया जाएगा. उसके बाद सेंटर पर ही प्रिंट आउट निकालकर छात्रों को एग्जाम पेपर बांटा जाएगा. हालांकि इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा और पेपर पुराने तरीके से ही करवाए जाएंगे.

पुराने पैटर्न से होगी परीक्षा

सीबीएसई अधिकारियों ने बताया कि इस बार परीक्षा का आयोजन पुराने पैटर्न से होगा. वहीं केंद्रीय विद्यालय के टीचर्स का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिकली कोडेड पेपर को लेकर कोई जानकारी नहीं है और पेपर पहले से ही प्रिंट किए हुए मिलेंगे. स्कूलों को कस्टोडियन बैंक से पेपर लाने होंगे और फिर बच्चों को बांटे जाएंगे.

क्या है पुराना पैटर्न

स्कूल तक पेपर कस्टोडियन बैंक से लाए जाते हैं और बैंक तक सीबीएसई की ओर से पेपर पहुंचाए जाते हैं. जिस दिन जिस विषय की परीक्षा होती है, उस दिन सुबह स्कूल के प्रतिनिधि, बैंक प्रतिनिधि और सीबीएसई के प्रतिनिधि तीनों की मौजूदगी में प्रश्न पत्र को बैंक के लॉकर से निकाला जाता है. प्रश्न पत्र बैंक से निकल कर जब स्कूल तक पहुंचते हैं, तो रास्ते में उस गाड़ी में एक सुरक्षा गार्ड, एक सीबीएसई का प्रतिनिधि और एक स्कूल का प्रतिनिधि होता है.

उसके बाद बोर्ड की परीक्षा शुरू होने से ठीक आधे घंटे पहले स्कूल प्रिंसिपल, बोर्ड के हेड एग्जामिनर और परीक्षा में निगरानी के लिए शामिल होने वाले शिक्षकों की मौजूदगी में प्रश्न पत्र को खोला जाता है. नियमों के अनुसार इसकी वीडियोग्राफी भी होती है और उसे सीबीएसई को भेजना होता है. हर मौके पर इस बात का खास ख़्याल रखा जाता है कि प्रश्न पत्र की सील खुली न हो.

बता दें कि पिछले साल सीबीएसई ने पेपर लीक की वजह से 12वीं क्लास के इकोनॉमिक्स और 10वीं क्लास के मैथ्स का पेपर दोबारा कराने का फैसला किया था.

Read it also-पुलवामा हमले पर न्यूजीलैंड की संसद में निंदा प्रस्ताव पास

मायावती ने मोदी-शाह का मजाक बनाया

0

नई दिल्ली। हाल तक अकेले जीतने का दावा करने वाली भाजपा अब तमाम राज्यों में गठबंधन की राह चल पड़ी है. भाजपा के इस कदम ने विपक्षी दलों को सवाल उठाने का मौका दे दिया है. बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भाजपा के गठबंधन के फैसले पर चुटकी ली है. बसपा प्रमुख ने एक ट्विट पर सीधा पार्टी के नेतृत्व पर हमला बोला है. हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री मोदी या फिर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का नाम तो नहीं लिया है लेकिन बहनजी का इशारा इसी जोड़ी की ओर है.

अपने ट्विट में बसपा प्रमुख मायावती ने मजबूत नेतृत्व का डंका पीटने वाली भाजपा के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि-

“बीजेपी द्धारा लोकसभा चुनाव हेतु पहले बिहार फिर महाराष्ट्र व उसके बाद तमिलनाडु में पूरी लाचारी में दण्डवत होकर गठबंधन करना क्या इनके मज़बूत नेतृत्व को दर्शाता है? वास्तव में बीएसपी और सपा गठबंधन से बीजेपी इतनी ज़्यादा भयभीत है कि इसे अब अपने गठबंधन के लिये दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है.

लेकिन भाजपा अब चुनाव के समय में चाहे लाख हाथ-पांव मार ले, इनकी ग़रीब, मज़दूर, किसान व जनविरोधी नीति व इनके अहंकारी रवैये से लगातार दु:खी व त्रस्त, देश की 130 करोड़ जनता इन्हें अब किसी भी क़ीमत पर माफ करने वाली नहीं है. जनता इनका घमण्ड चुनाव में तोड़ेगी व इनकी सरकार जायेगी.”

दरअसल हाल तक शिवसेना के खिलाफ जहर उगलने वाली भाजपा ने महाराष्ट्र में उससे गठबंधन कर लिया है. गठबंधन के बाद शिवसेना राज्य में 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि भाजपा 25 सीटों पर. विधानसभा चुनाव में भी दोनों दलों के बीच गठबंधन की बात हुई है. दरअसल भाजपा पहले उत्तर प्रदेश में अपने 2014 वाले प्रदर्शन को दोहराने को लेकर आश्वस्त थी, लेकिन प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के साथ आने से भाजपा घबराई हुई है. उसी तरह बिहार में भी महागठबंधन के बाद भाजपा को डर सता रहा है. बसपा प्रमुख ने इसी को मुद्दा बनाते हुए भाजपा पर निशाना साधा है.

Read it also-शहादत ताक पर रख चुनाव प्रचार में जुटी है सत्ताधारी दल

पुलवामा हमले पर न्यूजीलैंड की संसद में निंदा प्रस्ताव पास

0

नई दिल्ली। पुलवामा घटना पर दुनिया के तमाम देशों से लानत झेल रहे पाकिस्तान को अब न्यूजीलैंड से भी झटका मिला है. न्यूजीलैंड की संसद में गुरुवार को पुलवामा आतंकी हमले को लेकर निंदा कर प्रस्ताव पारित किया गया. संसद ने इस बात को लेकर प्रस्ताव पारित किया. इससे पहले पुलवामा आतंकी हमले को लेकर अमेरिका ने भी पाकिस्तान को लताड़ लगाई है.

इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी इस मामले में दखल देते हुए हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव को कम करने के लिए ‘तत्काल कदम’ उठाने की मांग की है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने मंगलवार को दोनों पक्षों के अत्यधिक संयम बरतने और तनाव कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया. इसके साथ ही कहा कि यदि दोनों पक्ष राजी होते हैं तो महासचिव मध्यस्थता के लिए हमेशा तैयार हैं. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी मिशन ने महासचिव के साथ बैठक का अनुरोध किया है. इसके अलावा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र को दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए.

Read it also-शहादत ताक पर रख चुनाव प्रचार में जुटी है सत्ताधारी दल

पुलवामा अटैक पर देखिए डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा

0

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान की दुनिया भर में आलोचना हो रही है. तमाम देश इस मामले पर भारत के साथ खड़े हैं और पाकिस्तान को लताड़ रहे हैं. इस कड़ी में अब भारत को अमेरिका का भी साथ मिला है. घटना के पांच दिनों के बाद आखिर अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस मामले में पाकिस्तान को लताड़ा है. डोनाल्ड ट्रंप ने पुलवामा हमले को ‘भयावह’बताया है. मंगलवार को अपने ओवल ऑफिस में मीडिया से बात करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे घटना को लेकर रिपोर्ट मिली है. पुलवामा में जो भी हुआ वह भीषण था.

वहीं, अमेरिकी विदेशी विभाग ने भी भारत के साथ खड़े होते हुए कहा है कि पाकिस्तान को इसके जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. विदेश विभाग के डिप्टी प्रवक्ता रॉबर्ट पॉलडिनो ने कहा कि पुलवामा हमले के साथ ही अमेरिका भारत के संपर्क में है, हम ना सिर्फ इस हमले की भर्तस्ना करते हैं बल्कि हम भारत के साथ भी खड़े हैं.

इससे पहले भी अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बॉल्टन ने भी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से इस मुद्दे पर बात की थी और कहा था कि भारत को एक्शन लेने का पूरा अधिकार है.

Read it also-साहित्यकार सूरजपाल चौहान ने ‘दलित लेखक संघ’ एवं ‘अम्बेडकरी लेखक संघ’ पर लगाए गंभीर आरोप

धमाल फ्रेंचाइजी की सबसे बड़ी हिट होगी अजय देवगन की ‘टोटल धमाल’

0

इंद्र कुमार की मचअवेटेड मूवी टोटल धमाल 22 फरवरी को रिलीज हो रही है. ये धमाल फ्रेंचाइजी की तीसरी फिल्म है. मूवी के ट्रेलर ने पहले से धमाल मचाया हुआ है. नई और पुरानी स्टारकास्ट के साथ कॉमेडी का भरपूर डोज मिलेगा. फिल्म से अजय देवगन, माधुरी दीक्षित और अनिल कपूर पहली बार जुड़े हैं. इनकी मौजूदगी फिल्म को और एंटरटेनिंग बनाने वाली है.

टोटल धमाल में कॉमेडी के साथ एडवेंचर भी देखने को मिलेगा. बड़ी स्टारकास्ट के अलावा सलमान खान-सोनाक्षी सिन्हा का स्पेशल अपीयरेंस है. मेकर्स ने फिल्म को हिट कराने के सभी फैक्टर शामिल किए हैं. फिल्म का बजट 100 करोड़ रुपये बताया जा रहा है. ट्रेड एक्सपर्ट्स के मुताबिक मूवी पहले दिन 15 करोड़ का कलेक्शन कर सकती है. टोटल धमाल इस फ्रेंचाइजी की सबसे बड़ी हिट साबित हो सकती हैं. जानते हैं 5 वजहें.

#1. अजय देवगन

गोलमाल सीरीज में अजय देवगन की कॉमेडी को दर्शक काफी पसंद करते हैं. अब टोटल धमाल से अजय का नाम जुड़ना इस फ्रेंचाइजी को बड़ा बनाता है. अजय फिल्म इंडस्ट्री के ऐसे एक्टर्स में शुमार हैं जो हर रोल में फिट हो जाते हैं. टोटल धमाल के ट्रेलर में अजय देवगन की कॉमेडी दर्शकों को पहले से गुदगुदा रही है. फिल्म को अजय की स्टार पावर का फायदा मिलेगा.

#2. नई स्टारकास्ट

टोटल धमाल की नई स्टारकास्ट सबसे बड़ा हाईलाइट है. 2007 में आई धमाल चार दोस्तों (आशीष चौधरी, रितेश देशमुख, जावेद जाफरी, अरशद वारसी) की कहानी थी. 2011 में रिलीज हुई डबल धमाल में भी यही सितारे मौजूद थे. मगर तीसरी सीरीज में मेकर्स ने सितारों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी कर दी है. फिल्म में अजय देवगन, अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, ईशा गुप्ता, रितेश देशमुख, अरशद वारसी, जावेद जाफरी, बोमन ईरानी, संजय मिश्रा, अली असगर, महेश मांझरेकर, जॉनी लीवर दिखेंगे.

#3. अनिल कपूर-माधुरी दीक्षित

टोटल धमाल में अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित दो दशकों बाद सिल्वर स्क्रीन पर साथ दिखेंगे. 90 के दशक में दोनों की जोड़ी ने धमाल मचाया था. उनका चार्म आज भी बरकरार है. टोटल धमाल में माधुरी और अनिल कॉमेडी करते हुए दिखेंगे. माधुरी दीक्षित को कॉमेडी करते हुए देखना फैंस के लिए किसी ट्रीट से कम नहीं होगा.

#4. एडवेंचर्स कॉमेडी

टोटल धमाल में इस बार कॉमेडी को एडवेंचर्स फ्लेवर के साथ परोसा जाएगा. फिल्म का ट्रेलर दमदार है. हर धमाल सीरीज में पैसों को लेकर भागमभाग होती है. इस बार 50 करोड़ की रकम के लिए सर्च ऑपरेशन होगा. पैसे पाने की इस अफरा तफरी में सभी की जिंदगी क्रेजी एडवेंचर्स राइड से गुजरेगी.

#5. साल की पहली कॉमेडी फिल्म

टोटल धमाल 2019 की पहली कॉमेडी फिल्म है. जनवरी का महीना राजनीतिक प्रोपगेंडा और पीरियड फिल्मों के नाम रहा. वहीं फरवरी में रोमांटिक और लाइट कंटेंट पर बेस्ड फिल्में रिलीज हुईं. लंबे गैप के बाद सिल्वर स्क्रीन पर बड़े बैनर की कॉमेडी मूवी रिलीज होगी. ऐसे में फिल्म को लेकर लोगों में जबरदस्त क्रेज बना हुआ है. कहा जा रहा है कि टोटल धमाल इस फ्रेंचाइजी की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म होगी.

Read it also-7 मार्च को पहनना था सेहरा, तिरंगे में लिपटकर आया वह जांबाज

बहन जी ने गुरू रविदास जी की जयन्ती पर दी बधाई

0

नई दिल्ली। 19 फरवरी 2019 : ’’मन चंगा तो कठौती में गंगा’’ का आदर्श व जीवन को सच्चा व सार्थक बनाने वाले अमर मानवतावादी संदेश सर्वसमाज को देने वाले महान सन्तगुरु सन्त रविदास जी की जयन्ती के शुभ अवसर पर देश की आमजनता व ख़ासकर उनके करोड़ों अनुयाईयों को शत्-शत् बधाई देते हुये बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व सांसद सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ कहा कि सामाजिक परिवर्तन का अलख जगाने वाले महान सन्तों में जाने-माने सन्तगुरु सन्त रविदास जी ने अपना सारा जीवन इन्सानियत का संदेश देने में गुज़ारा और इस क्रम में ख़ासकर जातिभेद के ख़िलाफ आजीवन कड़ा संघर्ष करते रहे.

सन्त रविदास जयन्ती पर अपने बयान में उन्होंने कहा कि आज के संकीर्ण व जातिवादी माहौल में उनके मानवतावादी संदेश की बहुत ही ज़्यादा अहमियत है और मन को हर लिहाज़ से वास्तव में चंगा करके जीवन गुजारने की ज़रूरत है. ख़ासकर सत्ताधारी पार्टी के लोगों को चाहिये कि वे केवल उन्हें स्मरण करने की रस्म नहीं निभायें बल्कि इससे पहले अपने मन को संकीर्णता, जातिवाद व साप्रदायिकता आदि से पाक करके मन को चंगा करें क्योंकि छोटे मन से कोई भी बड़ा नहीं हो सकता.

संत रविदास जी, वाराणसी में छोटी समझी जाने वाली जाति में जन्म लेने के बावजूद प्रभु-भक्ति के बल पर ब्रम्हाकार हुये. एक प्रबल समाज सुधारक के तौर पर वे आजीवन कड़ा संघर्ष करके हिन्दू धर्म में व्याप्त जन्म पर आधारित गै़र-बराबरी वाली वर्ण-व्यवस्था व अन्य कुरीतियों के ख़िलाफ संघर्ष करते रहे तथा उसमें सुधार की पुरज़ोर कोशिश लगातार करते रहे.

संत रविदास जी जाति-भेदभाव पर कड़ा प्रहार करते हुये कहते हैं कि ’’देश की एकता, अखण्डता, शान्ति, संगठन एवं साम्प्रदायिक सद्भाव के लिये जाति रोग का समूल नष्ट होना आवश्यक है. मानव जाति एक है. इसलिये सभी प्राणियों को समान समझकर प्रेम करना चाहिये.’’ यही कारण है कि मीराबाई तथा महारानी झाली ने संत रविदास को अपना गुरू स्वीकार किया. उनका मानना था कि ’’जाति-पांति व मानवता के समग्र विकास में बड़ा बाधक है.’’ वे कहते हैं कि : ’’जाति-पांति के फेर में, उलझि रहे सब लोग. मानुषता को खात है, रैदास जात का रोग’’

बसपा सुप्रिमो ने कहा कि अपने कर्म के बल पर महान संतगुरु बनने वाले संत रविदास जी ने सामाजिक परिवर्तन व मानवता के मूल्यों को अपनाने व उसके विकास के लिये लोगों में जो अलख जगाया उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. यही कारण है कि आज हर जगह बड़ी संख्या में उनके अनुयायी मौजूद हैं.

ऐसे महान संतगुरु के आदर-सम्मान में व उनकी स्मृति को बनाये रखने के लिये बी.एस.पी की सरकार ने उत्तर प्रदेश में जो कार्य किये हैं उनमें संत रविदास जी के नाम पर भदोही ज़िले का नामकरण, संत रविदास की जन्म नगरी वाराणसी में संत रविदास पार्क व घाट की स्थापना, फैज़ाबाद में संतगुरू रविदास राजकीय महाविद्यालय का निर्माण, वाराणसी में ही संत रविदास जी की प्रतिमा की स्थापना, संत रविदास सम्मान पुस्कार की स्थापना आदि प्रमुख हैं.

इसके साथ ही, संत रविदास पालीटेक्निक, चन्दौली की स्थापना, संत रविदास एस.सी/एस.टी प्रशिक्षण संस्थान, वाराणसी में गंगा नदी पर बनने वाले पुल का नाम संत रविदास के नाम पर करने तथा बदायूँ में संत रविदास धर्मशाला हेतु सहायता, बिल्सी में संत रविदास की प्रतिमा स्थापना की स्वीकृति आदि. इसके अलावा भी और कई कार्य महान संतगुरु के आदर-सम्मान में बी.एस.पी. की सरकार के दौरान उत्तर प्रदेश में किये गये हैं.

मायावती जी ने जयंती के अवसर पर कहा कि ख़ासकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी द्वारा संकीर्ण, जातिवादी व साम्प्रदायिक द्वेष के साथ-साथ छोटे मन आदि का व्यवहार करने के कारण ही देश में आज अनेकों प्रकार की विषमतायें व विकृतियाँ पहले से काफी ज्यादा बढ़ गयी हैं और समाज का तानाबाना बिखरता जा रहा है जिससे देश की 130 करोड़ आमजनता का दिन-प्रतिदिन का जीवन काफी ज्यादा त्रस्त, दुःखी व व्यथित है, जो अति-दुर्भाग्यपूर्ण है.

बीजेपी की सरकारों द्वारा अदूरदर्शी व छोटे मन से लगातार काम करते रहने का ही परिणाम है कि बढ़ती महंगाई, गरीबी, भीषण बेरोजगारी आदि से देश के सामान्य जनजीवन में अव्यवस्था छाई है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा भी गंभीर समस्या का शिकार है जिससे जितना जल्दी पार पाया जाये उतना ही देश के लिये बेहतर होगा लेकिन यह सब बीजेपी के बस की बात कतई नहीं लगती है. ये लोग सत्ता में रहने के बावजूद हर समस्या का राजनीतिकरण करके केवल लम्बी-चौड़ी बयानबाज़ी व लोगों को इमोशनली ब्लैकमेल करने की कोशिश में ही लगातार लगे रहते हैं और यह अब वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के अति-घातक आतंकी हमले के मामले में भी देश में हर तरफ यही दिखाई पड़ रहा है. बीजेपी को समझना चाहिये कि इस प्रकार की राजनीति से देश का कोई भला होने वाला नहीं है. इसलिये बीजेपी को देश हित के मद्देनज़र मूल तौर पर अपना रवैया बदलने की जरूरत है.

Read it also-पुलवामा हमले का सेना ने लिया बदला, मास्टरमाइंड ग़ाज़ी मुठभेड़ में ढेर: सूत्र

डॉ.मुकेश गौतम को साहित्य अकादेमी पुरस्कार

1

मुम्बई। महाराष्ट्र सरकार ने आज राज्य हिंदी साहित्य अकादेमी के इस वर्ष के पुरस्कारों कि घोषणा कर दी. मुंबई के लोकप्रिय कवि डॉ. मुकेश गौतम को इस वर्ष का साहित्य अकादेमी पुरस्कार उनकी पुस्तक ” प्रेम समर्थक है पेड़” के लिए प्रदान किया जाएगा.

डॉ. गौतम के साथ ही प्रसिद्ध फिल्म गीतकार समीर को भी उनकी कविता पुस्तक के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार दिया जाएगा.

डॉ. मुकेश गौतम की अनेक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है. उनकी पुस्तको का मराठी,अंग्रेजी,तमिल भाषाओं में अनुवाद भी प्रकाशित हो चुका है तथा उनके जीवन और लेखन पर पुणे विश्वविद्यालय में एम.फिल. भी की जा रही है. उन्हें भारत सरकार के प्रतिष्ठित “राष्ट्रीय मेदिनी पुरस्कार ” सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. वाचिक परंपरा की कविता के प्रमुख हस्ताक्षर डॉ. गौतम की कविताओं के देश विदेश में काफी प्रशंसक है.

डॉ. मुकेश गौतम को साहित्य अकादेमी के संत नामदेव पुरस्कार -2013 से भी सम्मानित किया जा चुका है. साहित्य अकादेमी पुरस्कार की घोषणा पर उन्हें अनेक साहित्यकारों ने बधाई दी है.

Read it also-बहनजी के ट्विटर अकाउंट में हुआ बदलाव, अब @Mayawati ढूंढ़िए

शहादत ताक पर रख चुनाव प्रचार में जुटी है सत्ताधारी दल

बहुजन समाज हमेशा से देशभक्त रहा है, बहुजनों को देशभक्ति के लिए किसी भी राजनैतिक पार्टी से सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं है, बहुजनों के ख़ून में देशभक्ति भरी पड़ी है वह हमेशा से कुर्बानी देता आया है. अपने कार्य को पूरी ईमानदारी, लगन से करता है. पुलवामा की घटना सरकार की घोर नाकामी है इस दुःखद समय पूरा समाज सरकार के साथ है.

सच तो यह है कि पूरा विपक्ष इस मामले में सरकार के साथ है, सभी चाहते हैं कि पाकिस्तान को करारा तमाचा मारा जाए… सरकार क्यों कोई ठोस कदम नहीं उठा रही. याद रहें शहीदों में एक मुस्लिम समाज का युवक भी है, लोगों ने संकट के दौर में अपनी जाति- धर्म- राजनैतिक विचारधारा को दरकिनार कर सरकार का साथ देने का प्रण किया है लेकिन दुःखद है देश की सत्ताधारी पार्टी ने इसे अपने राजनैतिक महत्वाकांक्षा की फसल समझ लिया है.

हां, हम भी भाजपा की विचारधारा व कार्यशैली से सहमत नहीं हैं, इसका मतलब यह नहीं कि हम इस मामले में भारत सरकार के खिलाफ हैं. गुजरात में शहीदों की श्रद्धांजलि सभा व कैंडल मार्च में भाजपाई नमो टी-शर्ट पहने नज़र आये. वहीं कई भाजपाई नेताओं ने इस दुःखद समय में भी राजनैतिक फायदा उठाने के लिए अपनी तरफ़ से कोई कसर नहीं छोड़ी.

यह लोकतंत्र है. सरकारें आती जाती रहती हैं, लेकिन हमेशा देश पहले हैं. देश है तो हम सब हैं. हां, देश के जवानों की सुरक्षा व्यवस्था में जबरदस्त चूक हुई है, सरकार इस बात को स्वीकार करें और इस मामले को चुनावी मुद्दा न बनाये. सरकार को कोई पाकिस्तान या जो भी दोषी हो, उसपर कार्यवाही करने से मना नहीं कर रहा बल्कि सभी सरकार के साथ हैं.

इस दुःखद समय में भी सत्ता पक्ष के नेता- मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री चुनावी सभा कर रहें हैं कहीं चाट पार्टी कर रहें हैं तो कहीं पिंकिया के पापा लुंगी डांस कर रहें हैं. वह यह भूल गए कि वो जनप्रतिनिधि हैं और देश इस मामले में उन्हें कठघरे में खड़ा करेगा.

अशोक बौद्ध Read it also-अर्ध सैनिक बलों को पूर्ण सैनिक के सम्मान के लिए भी लड़ना होगा- रवीश कुमार

शहीद जवानों के लिए आगे आया SBI

0

नई दिल्ली। जम्‍मू-कश्‍मीर के पुलवामा में आतंकी हमले को लेकर देशभर में गम और गुस्‍से का माहौल है. देश के अलग-अलग हिस्‍सों से पाकिस्‍तान को सबक सिखाने की मांग हो रही है. वहीं शहीद जवानों के परिजनों के मदद के लिए लोग आगे आ रहे हैं. इसी कड़ी में देश के सबसे बड़े बैंक स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया ने विशेष पहल की है. इसके तहत शहीद जवानों के परिवार का लोन माफ कर दिया गया है. इसके अलावा सैनिकों की बीमा राशि परिजनों को देने के लिए भी बड़ा कदम उठाया गया है. आइए जानते हैं कि एसबीआई की ओर से शहीद जवानों के परिजनों के लिए कौन-कौन से बड़े ऐलान किए गए हैं.

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक शहीद 23 सैनिकों ने बैंक से अलग-अलग तरह का लोन लिया था. एसबीआई ने सभी लोन की बकाया राशि को तत्काल प्रभाव से माफ करने का निर्णय लिया है. इसके अलावा बैंक की ओर से शहीद सैनिकों के परिजनों को बीमा की रकम जारी करने में तेजी लाने को कहा गया है.

दरअसल, सभी शहीद जवान डिफेंस सैलरी पैकेज के तहत बैंक के ग्राहक थे. इसके तहत बैंक हर रक्षा कर्मियों को 30 लाख रुपये का बीमा उपलब्ध कराता है. ऐसे में जवान के शहीद होने या घायल होने की स्थिति में उनके परिजनों को रकम दी जाती है. लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है. एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा, ‘हमारे देश की सुरक्षा में तैनात रहने वाले जवानों की शहादत झकझोरने वाली है. संकट की इस घड़ी में हम शहीदों के परिवारों के साथ हैं.

Read it also-7 मार्च को पहनना था सेहरा, तिरंगे में लिपटकर आया वह जांबाज

7 मार्च को पहनना था सेहरा, तिरंगे में लिपटकर आया वह जांबाज

0

देहरादून। आईईडी बम को डिफ्यूज करने की कोशिश शहीद मेजर चित्रेश सिंह का आज अंतिम संस्कार होगा. मेजर चित्रेश सिंह बिष्ट की आगामी सात मार्च को शादी होनी थी और पूरा परिवार उनकी शादी की तैयारी कर रहा था. लेकिन किस्मत ने क्रूर मोड़ लिया और रविवार को वे सभी लोग मेजर के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे. जम्मू एवं कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा के पास आईईडी निष्क्रिय करते समय शहीद हुए मेजर बिष्ट (31) की शहादत के अगले दिन नेहरू कॉलोनी स्थित उनके आवास पर मातम पसरा है. मेजर बिष्ट अपनी शादी के लिए 28 फरवरी को घर आने वाले थे. उनका पार्थिव शरीर यहां मिलिट्री हॉस्पिटल में रविवार को पहुंचा. अंतिम संस्कार के लिए इसे सोमवार सुबह उनके आवास पर ले जाया जाएगा. खुशियों का शोरगुल दुखी परिजनों के करुण क्रंदन में बदल गया. उनके पिता सेवानिवृत्त पुलिस निरीक्षक एस.एस. बिष्ट ने कहा, “अजीब विडंबना है. वह शादी के लिए घर आने वाला था. अब हम उसके पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहे हैं.”

मेजर के पिता पहले ही अपने बेटे की शादी के ज्यादातर कार्ड बांट चुके थे और शादी के लिए गांववासियों और रिश्तेदारों को आमंत्रित करने के लिए वह इसी महीने कुमाऊं जिले में स्थित अपने गांव पीपली गए थे. मेजर विष्ट नौशेरा सेक्टर में बम निरोधक दस्ते की अगुआई कर रहे थे, जब आईईडी में विस्फोट हुआ.

मेजर के परिजन और पड़ोसी उन्हें इंजीनियरिंग कॉर्प्स का बहादुर और ईमानदार अधिकारी बुलाते थे. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, “मैं देश की सेवा में मेजर बिष्ट की शहादत को नमन करता हूं और शहीद के परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करता हूं. संकट की इस घड़ी में पूरा देश उनके साथ खड़ा है. ” राज्यपाल बेबी रानी मौर्या और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी मेजर बिष्ट के निधन पर शोक व्यक्त किया.

Read it also-शहीद के परिवार को कांग्रेस सरकार का 1 करोड़, भाजपा ने दिया 25 लाख

पुलवामा हमले का सेना ने लिया बदला, मास्टरमाइंड ग़ाज़ी मुठभेड़ में ढेर: सूत्र

0

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के बाद सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज़ कर दिया है. इसी के तहत सेना ने रविवार देर रात दक्षिण कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ अभियान छेड़ा, जहां तब मुठभेड़ चल रही है. सूत्रों के मुताबिक, इस मुठभेड़ में पुलवामा अटैक का मास्टरमाइंड और जैश ए मोहम्मद का कमांडर कामरान उर्फ गाज़ी और एक स्थानीय आतंकी हिलाल अहमद ढेर हो गया है. हालांकि इस खबर की अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.

इस एनकाउंटर में राष्ट्रीय राइफल्स के एक मेजर समेत 4 जवान भी शहीद हुए हैं. पुलवामा में देर रात से जारी इस एनकाउंटर के बाद गृह मंत्रालय में भी उच्च स्तरीय बैठक चल रही है.

जैश का टॉप कमांडर ग़ाज़ी IED एक्सपर्ट बताया जाता है. जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर अपने भतीजे के जरिए घाटी में आतंकी हरकतों को अंजाम देता था, लेकिन पिछले साल ऑपरेशन ऑलआउट के दौरान सुरक्षाबलों ने उसे मार गिराया था. जिसके बाद से ही मसूद अजहर ने कश्मीर की जिम्मेदारी ग़ाज़ी को दी थी.

गौरतलब है कि 14 फरवरी यानी गुरुवार को पुलवामा में ही सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला हुआ था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे और कई अन्य घायल हुए थे. इस घटना के बाद सेना और सुरक्षाबल एक्शन में हैं. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है. पाकिस्तानी संगठन की तरफ से हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने की कोशिशें तेज कर दी है.

श्रोत-न्यूज18 Read it also-जवानों पर हमले पर फिल्म जगत भी रोया, देखिए किसने क्या कहा

अलीगढ़ में फूंके गए आतंकवादियों के पुतले

0
अलीगढ़ में पाकिस्तान विरोधी नारे

अलीगढ़। जम्मू कश्मीर केपुलवामा घटना के बाद से देश भर में पाकिस्तान को लेकर विरोध जारी है. पाकिस्तान विरोध देश भर में देखा जा रहा है. इस घटना के विरोध में अलीगढ़ में लोगों ने पाकिस्तान का पूतला फूंका. मानव कल्याण सेवा संस्थान ने रामघाट रोड PAC से क्वारसी चौराहे तक पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए तथा भारत जिंदाबाद के साथ पाक आतंकवादियों को पुतले के रूप में दहन किया. इस मौके पर विभिन्न समाज सेवी संस्थाएं युवा, वृद्ध, महिला, पुरुष तथा सेना के जवानों के साथ पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे.

अलीगढ़ शहर में पाकिस्तान का पुतला दहन करते शहर के लोग
रिपोर्ट एवं फोटोः मनोज अलीगढ़ी

अर्ध सैनिक बलों को पूर्ण सैनिक के सम्मान के लिए भी लड़ना होगा- रवीश कुमार

सीआरपीएफ हमेशा युद्धरत रहती है. माओवाद से तो कभी आतंकवाद से. साधारण घरों से आए इसके जाबांज़ जवानों ने कभी पीछे कदम नहीं खींचा. ये बेहद शानदार बल है. इनका काम पूरा सैनिक का है. फिर भी हम अर्ध सैनिक बल कहते हैं. सरकारी श्रेणियों की अपनी व्यवस्था होती है. पर हम कभी सोचते नहीं कि अर्ध सैनिक क्या होता है. सैनिक होता है या सैनिक नहीं होता है. अर्ध सैनिक?

2010 में माओवादियों ने घात लगाकर सीआरपीएफ के 76 जवानों को मार दिया था. फिर भी ये अर्ध सैनिक बल पूर्ण सैनिक की तरह मोर्चों पर जाता रहा है. मन उदास है कि 40 जवानों की जानें गई हैं. परिवारों पर बिजली गिरी है. उन पर क्या गुज़र रही होगी, यह ख़्याल ही कंपा देता है. शोक की इस घड़ी में हम उनके बारे में सोचें.

सोशल मीडिया और गोदी मीडिया में हमले को लेकर जो हो रहा है, उसकी भाषा को समझना ज़रूरी है. उसकी ललकार में उसकी कुंठा है. जवानों और देश की चिन्ता नहीं है. वह इस वक्त ग़म में डूबे नागरिकों के गुस्से को हवा दे रहा है. इस्तेमाल कर रहा है. गोदी मीडिया हमेशा ही उन्माद की अवस्था में रहा है. जवानों की शहादत गोदी मीडिया उन्माद के एक और मौक़े के रूप में कर रहा है. उसकी ललकार के निशाने पर कुछ काल्पनिक लोग हैं. किसी ने कुछ कहा नहीं है फिर भी बुद्धिजीवी और कुछ पत्रकारों पर इशारा किया जा रहा है. क्या इस घटना में उनका हाथ है? ज़रा बताएं ये गोदी मीडिया कि कल के हमले में ये काल्पनिक लोग कैसे जिम्मेदार हैं, जिन्हें कभी लिबरल कहा जा रहा है तो कभी आज़ादी गैंग कहा जा रहा है. क्या इनके लिखने बोलने से सेना और अर्ध सैनिक बलों को फैसला लेने में दिक्कतें आ रही थीं? और इसी कारण से घटना हुई है?

कल इस घटना की खबर आने के बाद भी मनोज तिवारी रात 9 बजे एक कार्यक्रम में डांस कर रहे थे. अमित शाह कर्नाटक में सभा कर रहे थे. इनके ट्विट हैं. क्या ये गोदी मीडिया अमित शाह से पूछ सकता है कि क्यों कार्यक्रम रद्द नहीं किया? क्या उनसे पूछ सकता है कि कश्मीर में आपकी क्या नीति है, क्यों आतंकवाद पैर पसार रहा है?

जिनकी ज़िम्मेदारी है उनकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं कि इन आकाओं को बचाने के लिए गोदी मीडिया काल्पनिक खलनायक खड़े कर रहा है. जिसे सोशल मीडिया में हवा दी जा रही है. इस दुखद मौके पर देश के लोगों के बीच हम बनाम वो का बंटवारा किया जा रहा है. राज्यपाल सत्यपाल मलिक तो कई बार कह चुके हैं कि दिल्ली के मीडिया ने कश्मीर को खलनायक बनाकर माहौल बिगाड़ा है. शहादत के शोक के बहाने गोदी मीडिया अपना और आपका ध्यान मूल बातों से हटा रहा है. उसमें हिम्मत नहीं कि सवाल कर सके. कल प्राइम टाइम में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने साफ-साफ कहा कि भारी चूक हुई है. काफिला गुज़र रहा था और कोई इंतज़ाम नहीं था.

क्या यह साधारण बात है? राज्यपाल मलिक ने कहा कि यही नहीं ढाई हज़ार जवानों का काफिला लेकर चलना भी ग़लत था. काफिला छोटा होना चाहिए ताकि उसके गुज़रने की रफ्तार तेज़ रहे. राज्यपाल ने यहां तक कहा कि काफिले के गुज़रने से पहले सुरक्षा बंदोबस्त की एक मानक प्रक्रिया है, उसका पालन नहीं हुआ.

आप गोदी मीडिया की देशभक्ति को लेकर किसी भ्रम में न रहें. जब किसान दिल्ली आते हैं तो यह मीडिया सो जाता है. जानते हुए कि इन्हीं किसानों के बेटे सीमा पर शहीद होते हैं. सोशल मीडिया पर गुस्सा निकालकर राजनीतिक माहौल बनाने वाले मिडिल क्लास के बच्चे जवान नहीं होते हैं. 13 दिसंबर को अर्ध सैनिक बलों के हज़ारों पूर्व जवान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली आए. यह मांगे उनके भविष्य को बेहतर और वर्तमान में मनोबल को बढ़ाने के लिए ज़रूरी थीं. सेवारत जवान मुझे लगातार मेसेज कर रहे थे कि हमारी बातों को उठाइये.

हमने उठाया भी और वे यह बात अच्छी तरह से जानते हैं. तब तो किसी ने नहीं कहा कि वाह आप इनके लिए लगातार लड़ते रहते हैं, इन्हें सब कुछ मिलना चाहिए क्योंकि यह देश के लिए जान देते हैं. आप खुद इनसे पूछिए कि किसी ने भी 13 दिसंबर के प्रदर्शन की चिन्ता की थी? आप पूर्व अर्धसैनिक बलों के संगठन के नेताओं से पूछ लें यह बात कि 13 दिसंबर की रात टीवी पर क्या चला था? उस दिन नहीं चल पाया तो क्या किसी और दिन चला था?

अर्ध सैनिक बलों के अफसर हाल ही में एक लड़ाई हार गए. वे अपने बल में पसीना बहाते हैं. जान देते हैं मगर अपने बल का नेतृत्व नहीं कर सकते. यह कहां का न्याय हुआ? क्या इस चूक के लिए कोई आई पी एस जवाबदेही लेगा? क्यों इन अर्ध सैनिक बलों का नेतृत्व किसी आई पी एस को करना चाहिए? अर्ध सैनिक बलों के जवान और अफसर जान दे सकते हैं, अपना नेतृत्व नहीं कर सकते? क्या आपने इन सवालों को लेकर अर्ध सैनिक बलों के लिए किसी को लड़ते देखा है?

हम और आप तो शहीद कहते हैं लेकिन सरकार से पूछिए कि इन्हें शहीद क्यों नहीं कहती है? पूर्ण सैनिक की तरह लड़कर भी ये अर्ध सैनिक हैं और जान देकर भी ये शहीद नहीं हैं. 11 जुलाई 2018 को सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दिया था कि अर्धसैनिक बलों को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है. आप चैनल खोल कर देख लें कि कौन एंकर इनके हक की बात कर रहा है. इन्हें पेंशन तक नहीं है. शहादत के बाद पत्नी और उसका परिवार कैसे चलेगा? इस पर बात होगी कि नहीं होगी?

पूर्व अर्ध सैनिक बलों के संगठन के नेता रणवीर सिंह ने कहा है कि गुजरात में अर्ध सैनिक बलों के शहीदों के परिवार वालों को 4 लाख क्यों मिलता है? क्यों दिल्ली में एक करोड़, हरियाणा की सरकार 50 लाख देती है? रणवीर सिंह ने कहा सहायता राशि के लिए एक नोटिफिकेशन होनी चाहिए. राज्यों के भीतर मुआवज़े (एक्स ग्रेशिया) को लेकर भेदभाव क्यों होना चाहिए? कोई कम क्यों दे और कोई किसी से ज़्यादा ही क्यों दें?

रणबीर सिंह ने कहा कि सिनेमा वाले आए तो टिकट पर जी एस टी कम हो गई, संसद में तालियां बजी और अर्ध सैनिक बल कब से मांग कर रहे हैं कि जीएसटी के कारण कैंटीन की दरें बाज़ार के बराबर हो गई हैं. उसे कम किया जाए. आज तक सरकार ने नहीं माना. अर्ध सैनिक बल इसी 3 मार्च को जंतर-मंतर फिर आ रहे हैं. उस दिन देख लीजिएगा कि गोदी मीडिया इनके हक की कितनी बात करता है.

प्राइवेट अस्तपाल में काम करने वाले एक हार्ट सर्जन ने मुझे लिखा कि हमला होना चाहिए. हम अस्सी फीसदी टैक्स देंगे. बिल्कुल उनकी इस भावना का सम्मान करता हूं मगर आए दिन उन्हीं के अस्तपाल में या किसी और अस्तपाल में मरीज़ों को लूटा जा रहा है, बेवजह स्टेंट लगा देते हैं, आई सी यू में रखते हैं, बिल बनाते हैं, उसी का विरोध कर लें. उसी को कम करवा दें और नहीं होता है तो देश की खातिर इस्तीफा दे दें. क्या दे सकते हैं? इस हमले से पहले बजट में अगर सरकार ने वाकई 80 परसेंट टैक्स लगा दिया होता तो सबसे पहले यही डाक्टर साहब सरकार की निंदा कर रहे होते. मैं डाक्टर से नाराज़ भी नहीं हूं. ऐसी कमज़ोरी हम सभी में हैं. हम सभी इसी तरह से सोचते हैं. हमें सीखाया गया है कि ऐसे ही सोचें.

सब चाहते हैं कि सामूहिकता से जुड़ें. कुछ ऐसा हो कि सामूहिकता में बने रहे. मगर वो तर्क और तथ्य के आधार पर क्यों नहीं हो सकता. क्यों हमेशा उन्माद और गुस्से वाली सामूहिकता ही होनी चाहिए? मैं समझता हूं कि डाक्टर या ऐसी सोच वाले किसी के पास कई तरह की कुंठाएं होती हैं. कई तरह के अनैतिक समझौते से वे टूट चुके होते हैं. खुद से नज़र नहीं मिला पाते होंगे. ऐसे सभी को भी इस वक्त का इंतज़ार होता है. वे इस सामूहिकता के बहाने खुद को मुक्त करना चाहते हैं.

एक तरह से उनके अंदर की यह भावना ही मेरे लिए संभावना है. इसका मतलब है कि वे अंतरात्मा की आवाज़ सुन रहे हैं. बस उस आवाज़ को शोर में न बदलें. ख़ुद को बदलें. उनके बदलने से देश अच्छा होगा. जवानों के माता पिता को ईमानदार डाक्टर और इंजीनियर मिलेगा. बिल्कुल सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होना चाहिए. कोई दुस्साहस करे तो बेझिझक जवाब दिया जाना चाहिए. हम खिलौने नहीं हैं कि कोई खेल जाए. मगर मैं यही बता रहा हूं कि गोदी मीडिया आपको खिलौना समझने लगा है. आप उसे खेलने मत दो.

नोट- मैं एक जवान से बात कर रहा हूं. पुलवामा हमले में शहीद का परिवार उससे संपर्क कर रहा है. उनके बच्चे इस जवान को अपना चाचा कहते हैं. आप इस बहादुर जवान की इंसानी मुश्किलें समझिए. वह खूब रो रहा है कि अपने सीनियर के बच्चों को यह चाचा क्या जवाब दे. थोड़ा तो इंसान बनिए. कब तक आप उन्माद के बहाने भीड़ का सहारा लेते रहेंगे.

— लेखक- रवीश कुमार  

विपिन भारतीय को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

नई दिल्ली। सोशल एक्टिविस्ट, गायक और ओएनजीसी के मेहसाना युनिट में एग्जिक्यूटिव इंजीनियर के पद पर कार्यकरत यूपी के सहारनपुर निवासी विपिन कुमार भारतीय को बड़ा सम्मान मिला है. थाईलैंड की Nakhon Pathom Rajghat University द्वारा आयोजित 9th International Conference on Art & Culture Network 2019 में विपिन कुमार भारतीय को International Peace & Buddhist Leader Award से सम्मानित किया गया है.

थाईलैंड में आयोजित इस कांफ्रेंस में दुनिया के करीब 30 देशों के गणमान्य लोगों ने शिरकत किया. इसमें भारत,

प्रिंसेस ऑफ कम्बोडिया के साथ विपिन भारतीय

ताइवान, श्रीलंका, जापान, चाइना, बंग्लादेश, नेपाल, जर्मनी, घाना अमेरिका, कम्बोडिया आदि देशों से प्रतिनिधि शामिल थे. इस दौरान घाना की मिनिस्टर एवं रॉयल प्रिंसेस ने कहा की हम सभी को महिलाओं का सम्मान एवं प्यार करना चाहिए. यदि हम चाहते हैं कि मानवता आगे बढ़े. कम्बोडिया की प्रिंसेस ने कहा की बुद्धा के संदेशों में मानवता को आगे बढ़ाने की शक्ति है.

भारत की ओर से सम्मानित होने वाले विपिन भारतीय ने कहा है कि भारत की भूमि पर पैदा होने वाले तथागत गौतम बुद्ध के रास्ते पर पूरा विश्व चल रहा है. बुद्ध के विचारों को किसी धर्म विशेष से नहीं बांध सकते. बुद्ध के संदेश जीवन जीने की प्रक्रिया पर आधारित हैं. अगर विश्व को शन्ति के रास्ते पर चलना है, आपसी झगड़ों को मिटाना है तो बुद्ध के विचारों को अपनाना होगा. कोई व्यक्ति अगर अपने जीवन मे बुद्ध के प्रेम, करुणा एवं भाईचारे के संदेश को अपना ले तो उसका जीवन सार्थक हो जायेगा.

जवानों पर हमले पर फिल्म जगत भी रोया, देखिए किसने क्या कहा

0

नई दिल्ली। पुलवामा अटैक से देश का हर नागरिक स्तब्ध है. इस दुख की घड़ी में हर कोई देश के नौजवानों के साथ है. हमले के बाद फिल्म इंडस्ट्री ने भी गुस्सा जाहिर किया है. अनुपम खेर, सलमान खान, आमिर खान, विक्की कौशल, फरहान अख्तर, प्रियंका चोपड़ा, प्रीति जिंटा, रणवीर सिंह, करण जौहर, ऋषि कपूर, जावेद अख्तर, अनुष्का शर्मा, अभिषेक बच्चन, अक्षय कुमार, सुनील ग्रोवर, मनोज बाजपेयी, तापसी पन्नू, वरुण धवन, स्वरा भास्कर ने भी हमले की निंदा की है.

आमिर खान ने हमले की निंदा करते हुए लिखा है- “पुलवामा में हमारे सीआरपीएफ जवानों पर हुए आतंकवादी हमले के बारे में पढ़कर मैं स्तब्ध हूं. यह बहुत दुखद है. उन जवानों के परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं जिन्होंने अपनो को खोया है.” जबकि सलमान खान ने लिखा है- “मेरा दिल हमारे प्यारे देश के जवानों और उनके परिवारों के लिए रो रहा है. जिन्होंने हमारे परिवारों की सुरक्षा के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी. #YouStandForIndia”

उरी हमले पर बनी फिल्म में एक सैनिक की शानदार भूमिका निभाने वाले अभिनेता विक्की कौशल ने लिखा है कि, “आतंकी हमले के बारे में जाकर दुखी और सदमे में हूं. मेरा CRPF के उन बहादुर शहीद जवानों के परिजनों के लिए भर आता है. जो जवान घायल हैं वे जल्द स्वस्थ हो”

शहीद के परिवार को कांग्रेस सरकार का 1 करोड़, भाजपा ने दिया 25 लाख

0
पुलवामा में हुए आतंकी हमले की तस्वीर

नई दिल्ली। कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 के करीब जवानों की मौत के बाद पूरा देश सदमे में है. इस हमले में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के 12 जवान मारे गए हैं. हमला पुलवामा के अवन्तिपुरा के गोविंदपुरा इलाके के गुरुवार को तब हुआ जब सेना सीआरपीएफ का काफिला वहां से गुजर रहा था. बताया जा रहा है कि इस हमले में करीब 350 किलो IED (Improvised Explosive Device) का इस्तेमाल हुआ था. यह एक आत्मधाती हमला था जिसकी जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) ने ली है.

इस हमले के बाद भाजपा शासित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रत्येक शहीद के परिजनों को 25-25 लाख रुपये और  परिवार के एक व्यक्ति को प्रदेश सरकार की ओर से नौकरी देने की घोषणा की है. साथ ही पैतृक गांव के संपर्क मार्ग का नामकरण भी संबंधित जवानों के नाम पर किया जायेगा. जबकि वहीं कांग्रेस शासित मध्यप्रदेश सरकार ने अपने राज्य के मृतक परिवार को एक करोड़ रुपये और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, “हमले में जबलपुर के शहीद सपूत अश्विनी कुमार काछी की शहादत को नमन करता हूं. राज्य सरकार द्वारा शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपये, एक आवास व परिवार के एक सदस्य को शासकीय नौकरी दी जाएगी. दुख की घड़ी में हम उनके साथ है.”

गौरतलब है कि यूपी के गृह विभाग की ओर से एक बयान जारी कर मृतक परिवारों का नाम बताया गया है. बयान के मुताबिक चंदौली के अवधेश कुमार यादव, शामली के अमित कुमार, शामली के ही प्रदीप कुमार, देवरिया के विजय कुमार मौर्य, मैनपुरी के राम वकील, इलाहाबाद के महेश कुमार, वाराणसी के रमेश यादव, आगरा के कौशल कुमार रावत, कन्नौज के प्रदीप सिंह, महाराजगंज के पंकज कुमार त्रिपाठी, कानपुर देहात के श्याम बाबू तथा उन्नाव के अजित कुमार आजाद शामिल हैं. सूचना विभाग की ओर से जारी बयान के अनुसार शहीद जवानों का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ होगा जिसमें प्रदेश के मंत्री, जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहेंगे.

बताते चलें कि यह उरी से भी बड़ा हमला है. 18 सितंबर 2016 में जम्मू कश्मीर के ही उरी में सुरक्षा बलों के कैंप में कुछ आतंकवादी घुस आए थे. इस हमले में उरी हमले 18 सैनिक शहीद हो गए थे. जबकि इससे पहले 2 जनवरी 2015 को आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था जिसमें 7 जवान शहीद हुए थे जबकि 30 से ज्यादा जवान घायल हो गए थे.

पूर्व नक्सली ने कहा, ‘अर्बन नक्सलियों की हैसियत नहीं कि PM की हत्या की साजिश रचें’

0

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के नामजद आरोपियों को भले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली, लेकिन हैदराबाद में सरेंडर करने वाले सवा करोड़ के इनामी नक्सली सुधाकरण ने दावा किया कि कथित शहरी नक्सलियों पर प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने का आरोप गलत है. सुधाकरण ने दावा किया उसे भीमा कोरेगांव साजिश की जानकारी नहीं है. उसने कहा कि वामपंथी विचारधारा वाली प्रतिबंधित पार्टी सीपीआई माओवादी और उससे जुड़े लोगों की इतनी हैसियत नहीं कि प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रच सकें. इस समय पार्टी एक छोटे नेता को मारने की हालत में भी नहीं है.

सुधाकरण के मुताबिक शहरों में रहने वाले वामपंथी विचारधारा के कुछ लोग प्रतिबंधित सीपीआई माओवादी का समर्थन जरूर करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि वो पार्टी में आकर कुछ मदद कर रहे हैं. सुधाकरण ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री को मारने की साजिश करनी होती तो पार्टी ही करती है, इसमें बाहर वाले लोगों को कोई रोल नहीं होता. उसने कहा कि पार्टी की हालत सभी जगह कमजोर है. केवल छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में पार्टी की हालत बाकी जगहों के मुकाबले कुछ मजबूत है.

सुधाकरण ने भीमा कोरेगांव साजिश की जानकारी होने से भी इनकार किया. हैदराबाद में रहने वाले वामपंथ समर्थक प्रोफेसर वरवर राव से संपर्क के बारे में सुधाकरण ने कहा कि वह, वरवर राव को 1989-90 से जानता है और 2010 में रामनगर षड़यंत्र केस में वरवर राव भी उसके साथ आरोपी थे. लेकिन उसके बाद से वरवर राव के संपर्क में नहीं रहा है. सुधाकरण का दावा है कि भीमा कोरेगांव साजिश के बारे में उसे अखबारों के जरिए ही जानकारी मिली.

वैसे, सुधाकरण के साथ उसकी पत्नी नीलिमा उर्फ अरुणा ने भी आत्मसमर्पण किया है. नीलिमा ने खुलासा किया कि महिला नक्सलियों के साथ अत्याचार होते हैं. महिलाओं पर शादी के लिए दवाब बनाया जाता है और अगर वो नहीं तैयार हो तो उसके साथ जबरदस्ती की जाती है. नीलिमा ने बताया कि पार्टी में तमाम खामियां पैदा हो गई हैं. लोगों का जोर पैसा कमाने पर है. तेलंगाना के निर्मल जिले का रहने वाला सुधाकरण साल 2001 से छत्तीसगढ़ और झारखंड में ऑपरेट कर रहा था. सेंट्रल कमेटी के सदस्य सुधाकरण के सिर पर झारखंड में 1 करोड़ और तेलंगाना में 25 लाख रुपए का इनाम था. तेलंगाना में नीलिमा के सिर पर 10 लाख का इनाम था. पिछले कुछ महीनों से सुधाकरण और उसकी पत्नी नीलिमा तेलंगाना पुलिस के संपर्क में थे और आत्मसमर्पण करना चाहते थे. सरेंडर के बाद तेलंगाना पुलिस ने दोनों के ऊपर घोषित इनाम की रकम उन्हें देने का वादा किया है. सुधाकरण ने बताया कि उसने सरेंडर के लिए कोई शर्त नहीं रखी थी और वो अब तेलंगाना में रहकर शांति की जिंदगी जीना चाहता है.​

साभारः न्यूज 18 Read it also-131 दलित सांसद क्या वास्तव में दलितों का प्रतिनिधित्व करते हैं?

इस महिला को सरकार ने दिया सर्टिफिकेट, अब नहीं है कोई जाति-धर्म

0

तामिलनाडु के वेल्लोर जिले की रहने वाली स्नेहा ने एक ऐसा काम कर दिखाया है जो पूरे देश में अब तक किसी ने नहीं किया. पेशे से वकील स्नेहा को आधिकारिक रूप से ‘नो कास्ट, नो रिलिजन’ सर्टिफिकेट मिल गया है. यानी कि अब सरकार दस्तावेज़ों में इन्हें जाति बताने या उसका प्रमाण पत्र लगाने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी.

एमए स्नेहा वेल्लोर जिले के तिरुपत्तूर की रहने वाली हैं. वह बतौर वकील तिरुपत्तूर में प्रैक्टिस कर रही हैं और अब सरकार के द्वारा उन्हें जाति और धर्म न रखने की भी इजाज़त मिल गई है. स्नेहा और उनके माता-पिता हमेशा से किसी भी आवेदन पत्र में जाति और धर्म का कॉलम खाली छोड़ते थे.

लंबे समय से जाति-धर्म से अलग होने के उनके इस संघर्ष की 5 फरवरी को जीत हुई, जब उन्हें सरकार की ओर से यह प्रमाण पत्र मिला. 5 फरवरी को तिरुपत्तूर जिले के तहसीलदार टीएस सत्यमूर्ति ने स्नेहा को ‘नो कास्ट- नो रिलिजन’ सर्टिफिकेट सौंपा. स्नेहा इस कदम को एक सामाजिक बदलाव के तौर पर देखती हैं. यहां तक कि वहां के अधिकारियों का भी कहना है कि उन्होंने इस तरह का सर्टिफिकेट पहली बार बनाया है.

स्नेहा का कहना है कि उनके परिवार में उनके अलावा उनके माता-पिता और तीन बहनें हैं. स्नेहा के माता-पिता समेत उनकी सभी बहनें भी पेशे से वकील हैं. उनके माता-पिता ने अपनी तीनों बेटियों का नाम स्नेहा, मुमताज और जेनिफर रखा जिससे जाति या धर्म की पहचान न हो सके.

उन्होंने बताया कि उनके बर्थ सर्टिफिकेट से लेकर स्कूल के सभी प्रमाण पत्रों में जाति और धर्म का कॉलम खाली हैं. इन सभी में उन्होंने खुद को सिर्फ भारतीय लिखा हुआ है. स्नेहा ने बताया कि जो भी फॉर्म वह भरती हैं उसमें जाति प्रमाण पत्र देना ज़रूरी होता है. ऐसे में उन्हें सेल्फ एफिडेविट लगाना पड़ता. स्नेहा ने कहा कि जो लोग जाति धर्म मानते हैं उन्हें जाति प्रमाण पत्र दे दिया जाता है तो मेरे जैसे लोग जो ये नहीं मानते उन्हें प्रमाण पत्र क्यों नहीं दिया जा सकता.

साभारः न्यूज 18

Read it also-सुप्रीम कोर्ट से मायावती को बड़ा झटका

नई मिसालः भारतीय संविधान को साक्षी मानकर रचाई शादी

0

सामाजिक परिवर्तन के लिए संघर्षरत बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच/बहुजन फाउंडेशन के संयोजक/संस्थापक कुलदीप कुमार बौद्ध व अनुराधा बौद्ध ने अनोखी शादी कर एक मिसाल पेश की है. इन दोनों ने भारतीय संविधान को साक्षी मानकर बौद्ध रीति रिवाज से शादी की. यह शादी पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय रही. नव दम्पति ने भारतीय संविधान को साक्षी मानकर शादी करने पर कहा कि भारतीय संविधान की बदौलत ही हमें हमारे सारे अधिकार मिलते हैं, विवाह करने की अनुमति यानि की विवाह अधिनियम भी भारतीय संविधान से ही मिलता है. भारतीय संविधान हमारे लिए सर्वोपरि है, इसलिए हम लोगों ने भारतीय संविधान को साक्षी मानकर शादी की है.

आपको बता दें की कुलदीप कुमार बौद्ध एक दलित सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो बुंदेलखंड जैसे अति पिछड़े क्षेत्र में दलितों,पिछड़ों, वंचितों व महिलाओं के हक़ अधिकार व सम्मान के लिये बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच और बहुजन फाउंडेशन संगठन के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन व दलित मानवाधिकार के लिए संघर्षरत है. वही अनुराधा बौद्ध अभी पढ़ाई कर रही हैं, दोनों ने मिलकर संविधान को साक्षी मानकर बौद्ध रीतिरिवाज से शादी कर इस सामाजिक आन्दोलन के कारवां को एक साथ मिलकर आगे बढ़ाने का भी संकल्प लिया है. समारोह के दौरान उपस्थित लोगों के लिए यह एक बड़ा उदाहरण था. जिले में पहली बार किसी दंपत्ति ने संविधान को साक्षी मानकर शादी किया था. एक तरफ लोगों ने इस कदम की बहुत सराहना की वहीं कुछ लोगों के बीच आज भी ये चर्चा का विषय बना हुआ है. इस शादी समारोह में विभिन्न जिलों व प्रदेशों के लोग शामिल रहे व इस एतिहासिक शादी के गवाह बने.

Read it also-हरियाणाः बसपा इनेलो गठबंधन टूटने के मायने