16 बार ना के बाद कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्‍सेस देने के लिए हुआ तैयार

0

कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्‍तान को आखिरकार अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट के फैसले के बाद झुकना पड़ा है. अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट के भारत के पक्ष में फैसला सुनाने के लगभग 24 घंटे बाद ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार देर रात बयान जारी कर कुलभूषण जाधव के मामले में अपना रुख साफ कर दिया. इसमें पाक मंत्रालय ने कहा है कि वह अपने देश के कानून के अनुसार भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को राजनयिक पहुंच मुहैया कराएगा और इसके लिए कार्यप्रणाली पर काम हो रहा है. पाक मंत्रालय की ओर से यह भी बताया गया है कि जाधव को राजनयिक संबंधों पर वियना संधि के तहत उनके अधिकारों से अवगत करा दिया गया है.

पाकिस्‍तान की ओर से सबसे पहले प्रधानमंत्री इमरान खान का बयान आया था. उन्‍होंने कहा था कि कानून के हिसाब से कुलभूषण के साथ व्‍यवहार किया जाएगा. इससे साफ हो गया था कि पाक अब अंतरराष्‍ट्रीय दबाव के आगे ज्‍यादा टिक नहीं पाएगा. विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट के फैसले के आधार पर कुलभूषण जाधव को राजनयिक संबंधों पर वियना संधि के अनुच्छेद 36 के पैराग्राफ 1(बी) के तहत उनके अधिकारों के बारे में सूचित कर दिया गया है. एक जिम्मेदार देश होने के नाते पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान के कानूनों के अनुसार राजनयिक पहुंच मुहैया कराएगा, जिसके लिए कार्य प्रणालियों पर काम किया जा रहा है.’

बता दें कि लगातार 16 बार पाकिस्तान ने जाधव को राजनयिक पहुंच देने से भारत को इनकार किया था. पाक की सैन्‍य कोर्ट ने कुलभूषण को फांसी की सजा भी सुना दी थी. इसके बाद भारत अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट पहुंचा और फिर अंतराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है. गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद के दोनो सदनों में बयान दिया कि पाकिस्‍तान को जल्‍द से जल्‍द कुलभूषण को रिहा कर देना चाहिए. जयशंकर ने अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक फैसला बताते हुए पाकिस्तान से आग्रह किया है कि वह जाधव को रिहा करे और उन्हें वापस भारत भेजे. जयशंकर ने कहा कि जाधव ना सिर्फ पाकिस्तान की अवैध हिरासत में हैं बल्कि वहां की सैन्य अदालत ने उन्हें मनगढ़ंत आरोपों में मौत की सजा सुनाई थी. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले के बाद पाकिस्तान जाधव को उनके अधिकारों के बारे में अवगत कराने और उन्हें कॉन्सुलर सुविधा प्रदान करने के लिए बाध्य है.

जानिए क्‍या है वियना संधि विश्व युद्ध के बाद से दुनिया का माहौल बिगड़ा हुआ था. इसके बाद अंतरारष्ट्रीय स्तर पर शांति के प्रयास शुरू हुए. इसी प्रयास के तहत साल 1961 में पहली बार दुनिया के संप्रभु राष्ट्रों ने मिलकर यह संधि की. इसके ठीक दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने ऐसी ही एक संधि की, जो ‘वियना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलर रिलेशंस’ के नाम से जानी जाती है. इसका ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था. इसके एक साल बाद 1964 में इसे लागू कर दिया गया. भारत और पाकिस्तान समेत अब तक कुल 191 देश इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुके हैं. वियना संधि का मुख्य काम है राजनयिकों को विशेष अधिकार देना. इस संधि के मुताबिक मेजबान देश अपने यहां रहने वाले दूसरे देशों के राजनयिकों को विशेष दर्जा देता है. इसके तहत किसी राजनयिक को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है, और ना ही उन्हें हिरासत में रखा जा सकता है. किसी राजनयिक पर टैक्स भी नहीं लगता है. यहां तक कि मेजबान देश किसी देश के दूतावास में भी नहीं घुस सकता. हालांकि, मेजबान को ही दूतावासों को सुरक्षा देनी पड़ती है. संधि के आर्टिकल 36 के अनुसार अगर कोई देश किसी विदेशी नागरिक को गिरफ्तार करता है, तो संबंधित देश के दूतावास को तुरंत इसकी जानकारी देनी होगी.

Read it also- ‘स्मार्ट’ के नाम पर आउट डेटेड मीटर लगाने का खेल!

बिहार के छपरा में मॉब लिंचिंग, मवेशी चोरी के आरोप में 3 लोगों को पीटकर मार डाला

बिहार के सारण से भीड़तंत्र की गुंडागर्दी की खबर है. सारण जिले के बनियापुर इलाके में भीड़ ने शुक्रवार को तीन लोगों को पशु चोरी के आरोप में पीट-पीटकर मार डाला. घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है. मामले में पुलिस की जांच जारी है. बता दें कि गुरुवार को मध्य प्रदेश के नीमच में भी भीड़ ने बकरा चोरी के आरोप में तीन लोगों की बेरहमी से पिटाई कर दी थी.

मिली जानकारी के मुताबिक, स्थानीय लोगों ने पशु चोरी के संदेह मात्र पर शुक्रवार की सुबह तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी. बताया गया है कि स्थानीय लोगों को पशु होने की सूचना मिली. इसके बाद उन्होंने मामले में बिना कोई पुख्ता जानकारी जुटाए इन लोगों को बेहरमी से पीटना शुरू कर दिया जिससे उनकी मौत हो गई. इस घटना से पूरे इलाके में सनसनी का माहौल है. वहीं मृतकों के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है.

दरअसल, नंदलाल टोला में बीती रात पिकअप से आकर पालतू पशु चोरी करने के आरोप में ग्रामीणों के हल्ला पर ग्रामीण एकत्रित हुए और इस दौरान तीन चोर ग्रामीणों के हत्थे चढ़ गए जिनकी ग्रामीणों ने जमकर पिटाई की. चौथा चोर भागने में सफल रहा. ग्रामीणों ने पीकअप गाड़ी जब्त कर और घटना की सूचना पुलिस को दी. पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर उन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए छपरा भेज दिया है और कई थाना की पुलिस घटनास्थल पर पहुंच मामले की जांच कर रही है.

बकरा चोरी के आरोपियों को भीड़ ने पीटा

इससे पहले 18 जुलाई यानी गुरुवार को मध्य प्रदेश के नीमच जिले में भीड़ का हिंसक रूप देखने को मिला था. यहां बकरा चोरी करने के आरोप में भीड़ ने तीन युवकों की जमकर पिटाई कर दी और उनकी मोटर साइकिल को आग के हवाले कर दिया. मामले की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने चोरी करने वाले तीनों आरोपियों और मारपीट करने वाले 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, सिटी कोतवाली क्षेत्र में स्थित एक मंदिर में बुधवार को बकरा बंधा हुआ था. यहां से मोटर साइकिल सवार युवक जो बकरा खरीदी-बिक्री का काम करते हैं, वे उस बकरे को मोटर साइकिल पर रखकर ले जाने लगे. इसे देखकर लोग भड़क उठे और उन्होंने तीनों की जमकर पिटाई कर दी साथ ही उनकी मोटर साइकिल को भी आग के हवाले कर दिया.

Read it also-कर्नाटक में सत्ता के लिए शह-मात का खेल जारी  

कुलभूषण जाधव केस में भारतीय वकील हरीश साल्वे ने पाकिस्तान के वकील की उड़ाई धज्जियां

नई दिल्‍ली। कुलभूषण जाधव के मामले में एक बार फिर भारत और पाकिस्‍तान के बीच का अंतर साफ देखने को मिला. भारतीय वकील हरीश साल्वे ने कुलभूषण जाधव का केस अंतरराष्ट्रीय अदालत में लड़ने के लिए जहां फीस के रूप में सिर्फ एक रुपया लिया, वहीं पाकिस्तान ने जाधव को जासूस साबित करने के लिए अपने वकील पर 20 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दिए. हालांकि, इसके बावजूद भी भारत के पक्ष में आया और पाकिस्‍तान को मुंह की खानी पड़ी. एक रुपये की फीस वाले हरीश साल्‍वे ने पाकिस्‍तान के 20 करोड़ रुपये के वकील खावर कुरैशी को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में हर मोर्चे पर मात दी.

आइसीजे में कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान को मिली करारी मात के बाद सोशल मीडिया पर वकील हरीश साल्वे की जमकर तारीफ हो रही है. बता दें कि पाकिस्तान ने ICJ में जहां दो वकील बदले, वहीं साल्वे अकेले ही दोनों पर भारी पड़े और जाधव की फांसी रुकवाने में कामयाबी हासिल कर ली. पाकिस्‍तान की अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर इस हार को शायद ही प्रधानमंत्री इमरान खान पचा पाएं. दरअसल, हरीश साल्‍वे ने जहां जाधव के मामले को देश की प्रतिष्‍ठा और मान समझकर लड़ा, वहीं खावर कुरैशी ने सिर्फ इसे एक केस के रूप में लड़ा. शायद यही वजह रही कि कुरैशी को हर मोर्चे पर साल्‍वे ने पस्‍त कर दिया. आइसीजे ने 15-1 से भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है. जाधव की फांसी पर भी रोक लगा दी गई है.

वैसे बता दें कि हरीश साल्‍वे की गिनती देश के बड़े वकीलों में होती है. वह सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील हैं और उनका नाम देश के सबसे महंगे वकीलों में शुमार है. खबरों के मुताबिक, साल्‍वे की एक दिन की फीस करीब 35 लाख रुपये के लगभग है. इसके बावजूद उन्‍होंने जाधव का केस सिर्फ एक रुपये में लड़ा. साल्‍वे के पिता एनकेपी साल्वे पूर्व कांग्रेस सांसद और क्रिकेट प्रशासक थे. दूसरी, ओर कुरैशी की बात करें, तो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से कानून में स्नातक वह आइसीजे में केस लड़ने वाले सबसे कम उम्र के वकील हैं. पाकिस्तान सरकार ने पिछले साल देश की संसद में बजट दस्तावेज पेश करते समय बताया था कि द हेग में अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाधव का केस लड़ने वाले वकील खावर कुरैशी को 20 करोड़ रुपये दिए गए हैं.

पाकिस्‍तान अब अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट के आदेश पर कितना अमल करता है, यह देखने वाली बात होगी. यहां गौर करने वाली बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय अदालत के पास अपने आदेश को लागू करवाने के लिए सीधे कोई शक्ति नहीं होती. ऐसे में किसी देश को अगर लगता है कि दूसरे देश ने ICJ के आदेश की तामील नहीं की, तो वह इस पर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में गुहार लगा सकता है. इस पर फिर सुरक्षा परिषद उस आदेश को लागू करवाने के लिए उस देश के खिलाफ कदम उठा सकता है.

Read it also-BSP प्रमुख मायावती बोलीं, मोदी सरकार का बजट धन्नासेठों के लिए

UP में बेखौफ बदमाश, 2 पुलिसकर्मियों की हत्या कर 3 कैदी छुड़ाए

0

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में सामूहिक हत्याकांड का बवाल अभी थमा भी नहीं कि संभल में बेखौफ बदमाशों ने एक बड़ी वारदात को अंजाम दे डाला. वहां कैदियों को ले जा रही पुलिस टीम पर बदमाशों ने हमला बोल दिया. पूरा इलाका गोलियों की आवाज़ से दहल गया. इस दौरान गोलीबारी के बीच हमलावर 3 कैदियों को छुड़ाकर ले गए. इस हमले में 2 पुलिसकर्मी शहीद हो गए.

सोनभद्र के बाद संभल में बदमाशों ने यूपी पुलिस को खुली चुनौती दे डाली. दरअसल, चंदौसी अदालत में पेशी के बाद कैदियों से भरी पुलिस वैन मुरादाबाद लौट रही थी. गाड़ी में हथियार बंद पुलिसकर्मी भी तैनात थे. जब पुलिस वैन संभल के थाना बनियाठेर क्षेत्र से होकर गुजर रही थी. तभी अज्ञात हथियारबंद बदमाशों ने वैन पर हमला बोल दिया.

बदमाशों ने कैदियों से भरी पुलिस वैन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. ये सबकुछ इतनी जल्दी में हुआ कि पुलिस वैन पर तैनात सुरक्षाकर्मी कुछ समझ भी नहीं पाए. हमले में 2 पुलिसकर्मियों को गोली लग गई. बेखौफ बदमाश इसी बीच तीन कैदियों को वैन से निकालकर साथ ले गए.

गोली लगने से घायल हुए दोनों पुलिसकर्मियों की बाद में मौत हो गई. तीन कैदियों को भगा ले जाने की वारदात से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. इलाके में सनसनी फैल गई. सूचना मिलते ही पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए. दोनों मृत पुलिसकर्मियों के शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए गए हैं.

पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. अब पुलिस फरार हुए कैदियों और बदमाशों की तलाश में जुट गई है. उधर, सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतक सिपाहियों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का ऐलान किया है.

एक ही दिन में दो बड़ी वारदातों ने योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. हालांकि दोनों ही मामलों में पुलिस जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार करने का दावा कर रही है.

Read it also-कांग्रेस-जेडीएस कर रही सरकार बचाने की हर कोशिश

मुसीबत में मायावती के भाई

0

बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आनंद कुमार मुसीबत में हैं. न्यूज 18 की एक खबर के मुताबिक आयकर विभाग ने कथित तौर पर आनंद कुमार की बेनामी संपत्ति के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए नोएडा में 400 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है. बताया जा रहा है कि यह सम्पत्ति बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी की है. आयकर विभाग ने नोएडा में 28 हजार वर्ग मीटर की जमीन जब्त की है, जिसकी सरकारी कीमत 400 करोड़ है. जबकि मार्केट प्राइस में इसकी कीमत कई गुना और बढ़ जाएगी.

आनंद कुमार के खिलाफ बेनामी संपत्ती का मामला काफी पुराना है. इस मामले में 2017 में आयकर विभाग ने उनसे पूछताछ की थी. इनकम टैक्स विभाग के मुताबिक आनंद कुमार ने दिल्ली के व्यवसायी एसके जैन के सहयोग से कई हजार करोड़ की बेनामी संपत्ती जुटाई थी. इस मामले में एसके जैन को बोगस कंपनी मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2007 से 2012 के बीच आनंद कुमार की नेटवर्थ 7.5 करोड़ रुपए से बढ़कर 1316 करोड़ रुपए हो गई यानि की पांच साल में उनके नेटवर्थ में 1300 करोड़ से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई.

बेनामी संपत्ति जब्त होने के बाद अब आने वाले दिनों में बसपा के उपाध्यक्ष आनंद कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती है. खबर है कि इनकम टैक्स विभाग द्वारा की गई इस कार्रवाई के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कार्रवाई के तैयारी में हैं. इस मामले में ईडी मनी लांड्रिंग मामले में केस दर्ज किया था.

बसपा प्रमुख मायावती ने हाल ही में भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था. आनंद कुमार के इस पद पर जाने के कुछ ही महीनों बाद जिस तरह उनकी फाइल खुलने लगी है, वह बसपा के लिए एक झटका है. हालांकि ऐसा नहीं है कि सत्ता में आने के बाद सिर्फ बसपा नेताओं की संपत्ति ही बढ़ी है, बल्कि कई सांसदों की संपत्ति में भी कई गुणा इजाफा होने की बात भी सामने आते रही है. पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे की संपत्ति में भी कई गुणा बढ़ोतरी को लेकर काफी विवाद हुआ था, हालांकि भाजपा के सत्ता में होने के कारण उसकी कोई जांच नहीं हुई थी. अब जबकि आनंद कुमार का नाम सामने आया है, देखना होगा कि बसपा अध्यक्ष मायावती पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अपने भाई आनंद कुमार के मुद्दे पर क्या रुख अपनाती हैं.

Read it also-दलित पैंथर के सह संस्थापक राजा ढाले का निधन

जाने T20 World Cup 2020 का Full Schedule

नई दिल्ली। T20 World Cup 2020 का Full Schedule सामने आ गया है. ICC के मुताबिक अभी कुछ टीम इसके लिए क्वालीफाई करने वाली हैं. टी20 वर्ल्ड कप 2020 की मेजबानी ऑस्ट्रेलिया करेगी. उधर, श्रीलंका और बांग्लादेश की टीम कम रैंकिंग के चलते सीधे क्वालीफाई करने में नाकाम रही हैं. जिसके चलते इन दो एशियाई टीमों को सुपर-12 में जगह बनाने के लिए ग्रुप स्टेज में मुकाबले जीतने होंगे.

इस टी20 वर्ल्ड कप के लिए जिन टीमों को सीधे क्वालीफाई करने का मौका मिला है, उनमें मेजबान ऑस्ट्रेलिया के अलावा भारत, पाकिस्तान, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका, वेस्टइंडीज और अफगानिस्तान की टीम का नाम शामिल हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें, किसी भी वर्ल्ड कप में मेजबान टीम सीधे क्वालीफाई करती है, जबकि बाकी टीमें रैंकिंग और क्वालीफायर जीतने के आधार पर वर्ल्ड कप में हिस्सा लेती हैं.

इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल द्वारा हाल ही में जारी किए मेंस टी20 विश्व कप 2020 के शेड्यूल के मुताबिक ये वर्ल्ड कप ऑस्ट्रेलिया में 18 अक्टूबर से शुरू होगा जो करीब एक महीने तक चलेगी. टी20 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) में 15 नवंबर को खेला जाएगा. वहीं, टीम इंडिया इस वर्ल्ड कप में अपना आगाज मैच 24 अक्टूबर को साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेलेगी.

T20 World Cup 2020 का पूरा शेड्यूल

पहला राउंड

18 अक्टूबर 2020

श्रीलंका बनाम क्वालीफायर ए 3 (साइमंड्स स्टेडियम)

क्वालीफायर ए 2 बनाम क्वालीफायर ए 4 (साइमंड्स स्टेडियम)

19 अक्टूबर 2020

बांग्लादेश बनाम क्वालीफायर बी 3 (होबर्ट)

क्वालीफायर बी 2 बनाम क्वालीफायर बी 4 (होबर्ट)

20 अक्टूबर 2020

क्वालीफायर ए 3 बनाम क्वालीफायर ए 4 (साइमंड्स स्टेडियम)

श्रीलंका बनाम क्वालीफायर ए 2 (साइमंड्स स्टेडियम)

21 अक्टूबर 2020

क्वालीफायर बी 3 बनाम क्वालीफायर बी 4 (होबर्ट)

बांग्लादेश बनाम क्वालीफायर बी 2 (होबर्ट)

22 अक्टूबर 2020

क्वालीफायर ए 2 बनाम क्वालीफायर ए 3 (साइमंड्स स्टेडियम)

श्रीलंका बनाम क्वालीफायर ए 4 (साइमंड्स स्टेडियम)

23 अक्टूबर 2020

क्वालीफायर बी 2 बनाम क्वालीफायर बी 3 (होबर्ट)

बांग्लादेश बाम क्वालीफायर बी 4 (होबर्ट)

सुपर 12

24 अक्टूबर 2020

ऑस्ट्रेलिया बनाम पाकिस्तान (सिडनी क्रिकेट ग्राउंड)

भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका (पर्थ स्टेडियम)

25 अक्टूबर 2020

न्यूजीलैंड बनाम वेस्टइंडीज (मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड)

क्वालिफायर 1 बनाम क्वालिफायर 2 (बेलेरिव)

26 अक्टूबर 2020

अफगानिस्तान बनाम क्वालिफायर ए 2 (पर्थ स्टेडियम)

इंग्लैंड बनाम क्वालिफायर बी 1 (पर्थ स्टेडियम)

27 अक्टूबर 2020

न्यूजीलैंड बनाम क्वालिफायर बी 2 (बेलेरिव)

28 अक्टूबर 2020

अफगानिस्तान बनाम क्वालिफायर बी 1 (पर्थ स्टेडियम)

ऑस्ट्रेलिया बनाम वेस्टइंडीज (पर्थ स्टेडियम)

29 अक्टूबर 2020

भारत बनाम क्वालिफायर ए 2 (मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड)

पाकिस्तान बनाम क्वालिफायर ए 1 (सिडनी क्रिकेट ग्राउंड)

30 अक्टूबर 2020

इंग्लैंड बनाम दक्षिण अफ्रीका (सिडनी क्रिकेट ग्राउंड)

वेस्टइंडीज बनाम क्वालिफायर बी 2 (पर्थ स्टेडियम)

31 अक्टूबर 2020

पाकिस्तान बनाम न्यूजीलैंड (गाबा)

ऑस्ट्रेलिया बनाम क्वालिफायर ए 1 (गाबा)

1 नवंबर 2020

भारत बनाम इंग्लैंड (मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड)

दक्षिण अफ्रीका बनाम अफगानिस्तान (एडिलेड)

2 नवंबर 2020

क्वालिफायर ए 2 बनाम क्वालिफायर बी 1 (सिडनी क्रिकेट ग्राउंड)

न्यूजीलैंड बनाम क्वालिफायर ए 1 (गाबा)

3 नवंबर 2020

पाकिस्तान बनाम वेस्टइंडीज (एडिलेड)

ऑस्ट्रेलिया बनाम क्वालिफायर बी 2 (एडिलेड)

4 नवंबर 2020

इंग्लैंड बनाम अफगानिस्तान (गाबा)

5 नवंबर 2020

दक्षिण अफ्रीका बनाम क्वालिफायर ए 2 (एडिलेड)

भारत बनाम क्वालिफायर बी 1 (एडिलेड)

6 नवंबर 2020

पाकिस्तान बनाम क्वालिफायर बी 2 (मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड)

ऑस्ट्रेलिया बनाम न्यूजीलैंड (मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड)

7 नवंबर 2020

वेस्टइंडीज बनाम क्वालिफायर ए 1 (मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड)

इंग्लैंड बनाम क्वालिफायर ए 2 (एडिलेड)

8 नवंबर 2020

दक्षिण अफ्रीका बनाम क्वालिफायर बी 1 (सिडनी क्रिकेट ग्राउंड)

भारत बनाम अफगानिस्तान (सिडनी क्रिकेट ग्राउंड)

T20 वर्ल्ड कप 2020 सेमीफाइनल्स

11 नवंबर 2020 – पहला सेमीफाइनल (सिडनी क्रिकेट ग्राउंड)

12 नवंबर 2020 – पहला सेमीफाइनल (एडिलेड)

T20 वर्ल्ड कप 2020 फाइनल

15 नवंबर 2020– फाइनल (मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड)

Read it also-इंग्लैंड ने रचा इतिहास, पहली बार बना विश्व चैंपियन

बहुजन समाज का बहुसंख्यक वर्ग मीडिया की ताकत से अंजान क्यों ?

आज मीडिया (प्रिंट/इलेक्ट्रॉनिक, अखबार, पत्र, पत्रिकाएं, टीवी चैनल, फेसबुक, सोशल मीडिया आदि) की ताकत एटम बम से भी घातक सिद्ध हो चुकि है। डॉ अंबेडकर साहब भी मीडिया की ताकत को भलीभांति समझते थे। डॉ अंबेडकर साहब द्वारा अपने अछूत वर्ग के लोगों के लिए किए जा रहे कार्यों की खबर को भारतीय मीडिया नहीं छापता था। इसीलिए बाबा साहब को अपनी आवाज अपने लोगों तक पहुँचाने के लिए अखबार निकालने पड़े। गांधी जी को प्रख्यात करने और राष्ट्रपिता जैसी अधोषित उपाधि से जन सामान्य में पहचान दिलाने में हिन्दुवादि मीडिया कि अहम भुमिका थी।

मीडिया आज के दौर और भी ताकतवर बनकर उभर रहा है। आज कोई भी राजनीतिक दल मीडिया की मदद के बिना सरकार बना ही नहीं सकता। बहुजन समाज को धार्मिक आडंबरों के चकाचौंध में दिग्भ्रमित करने का काम मीडिया ही करता है। अगर व्यक्ति के पास ज्ञान है, मिशनरी लोग हैं, समाजोत्थान के लिए काम करने वाली संस्थाएं/ संगठन है, लेकिन उनकी बातों, कार्यों की जानकारी समुदाय के लोगों तक पहुंचाने, समझाने के लिए मीडिया नहीं है तो यह समय असमय ही सांसे तोड़ देती हैं।

हमारे अपने इतिहास, महापुरुषों की जानकारी को मनुवादी मीडिया हम तक क्यों पहुंचाएगा? सोचो तो सही?

डॉ अंबेडकर की मेहरबानी से बहुजन समाज का बहुत बड़ा तबका शिक्षित बन रहा है। अभी केवल शिक्षित बना है, लिखने से तो अभी भी बहुत दूर है। जब तक आप अपनी बात लिखोगे नहीं तो अपनी शिक्षा और ज्ञान का दायरा संकुचित ही रहेगा। आजकल अधिकतर युवा वर्ग सोशल मीडिया पर किसी लिखी पोस्ट शेयर कर देता है या फिर ‘जय भीम’ लिखता है या कोई स्माइली कॉपी पेस्ट कर देता है। अपने विचारों की अभिव्यक्ति लिख कर नहीं करता इस पर ध्यान देना होगा।

हमारा शिक्षित वर्ग मीडिया की ताकत को समझने भी लगा है, लेकिन दुख यह है कि वह अपनी स्वयं की भूमिका नहीं निभा रहा है। बहुजन समाज का बहुसंख्यक वर्ग यह गलत फहमी पाले बैठा है कि मनुवादी मीडिया हमारी बातों को जन-जन तक पहुंचाने का काम करेगा।

जब तक हम हमारा अपना मीडिया तैयार नहीं करेंगे जो आर्थिक संघर्ष से छोटे मोटे अखबारों का प्रकाशन कर रहे हैं उनको सपोर्ट नहीं करेंगे तो हम रेंगते हुए ही विकास करेंगे।

हमारे अपने अधिकतर विशेष विशेषज्ञ उच्च पदों पर विराजमान प्रशासनिक अधिकारी बहुजन समाज के प्लेटफार्म पर लेखन नहीं कर रहे हैं। जबकि मनुवादी अधिकारी अपनी लेखनी अपने वर्ग के लिए चला रहे हैं। हमारे अधिकतर उच्च अधिकारी तो सोशल मीडिया पर अपनी फोटो, माला पहने हुए या फिर मनुवादी त्यौहार पर बधाई और शुभकामनाएं देने तक सीमित है। आर्थिक सहयोग भी मनुवादी मीडिया को ही करते देखे गये हैं।

हमें लिखना होगा हमारी आवाज को हमारे लोगों तक पहुंचाना होगा, केवल जय भीम, जय भीम लिखने से उद्देश्य हल नहीं होगा। बाबा साहब ने कहा था कि Pay back to society करना है। इसका मतलब में तन-मन-धन से समाज के लिए योगदान देना है।

हमारे अपने सामाजिक समाचार पत्र हर घर-घर आनी ही चाहिए। क्या आपने अपने घर पर समाजिक समाचार पत्र आता है?

हमें “अपना मीडिया अपनी आवाज” के लिए काम करना ही होगा। यह बोलना बंद करना होगा कि हमारी खबर मनुवादी मीडिया छापता ही नहीं है। अपना मीडिया स्वयं तैयार करो। वक्त की आवाज है। हमारे महापुरुषों इतिहास, संविधान की जानकारी, अपने आधिकारिक, शैक्षणिक जानकारी आदि को लिख-लिख कर अपने सामाजिक समाचार पत्र में प्रकाशित करो। पुस्तकों को प्रकाशित करो। ढोलक-मंजीरे पीटन, प्राण प्रतिष्ठा करने से, जागरण, भंडारा करने से कुछ नहीं होगा। जागरण शिक्षा का करना होगा।

बहुजन समाज के बहुसंख्यक वर्ग जब अपने मीडिया की ताकत के साथ खड़ा हो गया तो फिर बाबा साहब की उंगली के इशारे का टारगेट क्रेक करने में देर नहीं लगेगा। हाँ यह भी काफी हद तक सही है कि हमारे कुछ लोग सामाजिक समाचार पत्र/ अखबार के नाम से हमारे लोगों से पैसा लेकर चंपत हो जाते हैं। इसका प्रभाव मिशनरी संपादकों पर पड़ता है। कोई बात नहीं जो भाग जाते हैं वे भी अपने ही हैं। समाज में सभी तरह के लोग हैं। उनकी भी कुछ परिस्थिति रहती हैं। उनको आत्मग्लानि तो होती ही है। खूब लिखो खूब लिखो बहुजन की ताकत के लिए लिखो।

एक सुझाव:- बहुजन समाज (दलित वर्ग) के लोग जब भी कोई किसी प्रकार का समारोह/ कार्यक्रम/ सम्मान समारोह आदि आयोजित करें तो इनमें समाजिक समाचार पत्र के संपादक, पत्रकारों को आमंत्रित करें तथा कार्यक्रम की प्रेस विज्ञप्ति, सूचना अपने सामाजिक अखबार वालों को भी भिजवायें।

जागो जागो मीडिया की ताकत पहचानो।

“सामाजिक पत्र आएगा घर-घर गौरव संदेश लाएगा”’

डॉ गुलाब चन्द जिन्दल ‘मेघ’ इसे भी पढ़ें-एक पलंग, 4 लाशें, मौत का तरीका देखकर लोग कांप उठे

दलित पैंथर के सह संस्थापक राजा ढाले का निधन

0
राजा ढाले

जाने-माने लेखक और दलित पैंथर के संस्थापकों में से एक राजा ढाले का आज (मंगलवार, 16 जुलाई) को उनके आवास पर निधन हो गया. पारिवारिक सूत्रों ने इस बात की जानकारी मीडिया को दी. वह 78 वर्ष के थे. परिवार के एक सदस्य ने बताया कि राजा ढाले रोज की तरह सुबह उठने के बाद टहलने के लिए निकले लेकिन वह घर में ही फर्श पर गिर पड़े. उन्हें तुरंत पास के एक अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. राजा ढाले की बेटी गाथा ढाले फिलहाल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) की नेता हैं.

महाराष्ट्र के सांगली जिले के रहने वाले ढाले दलित पैंथर के सह-संस्थापकों में से एक थे. ये सभी लोग अमेरिका में अफ्रीकी अमेरिकियों के संगठन ब्लैक पैंथर से प्रभावित थे. इसके तर्ज पर ही इन्होंने अपनी पार्टी बनाई. अपने सामाजिक व्यक्तित्व और साहित्यिक कार्यों के लिए प्रसिद्ध राजा ढाले ने मुंबई उत्तर-पूर्व लोकसभा क्षेत्र से 1999 और 2004 लड़ा, हालांकि वह जीत नहीं सकें. सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ ही वह एक लेखक भी थे. उन्होंने अपने सामाजिक कार्यों तथा विचारों को लेकर कई किताबें भी लिखी हैं. केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री और आरपीआई (ए) नेता रामदास अठावले ने राजा ढाले के निधन पर शोक जताया. ढाले का अंतिम संस्कार बुधवार को दादर के चैत्य भूमि में किया जाएगा.

स्थानीय स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी ले रही है जान

मृतक लड़की वेदवती

आज गर्मियों की छुट्टियों के बाद कॉलेज आया तो एक दुःखद खबर मिली. जिस गांव में रहता हूँ उसके थोड़ी ऊपर जाकर दूसरे एक गांव में एक घर है जहाँ यह बालिका जिसका फ़ोटो यहाँ साझा कर रहा हूँ, (फेसबुक से साभार) इसका नाम वेदवती था. जी हाँ, ‘था’. क्योंकि यह 21 वर्षीय बच्ची अब इस दुनिया में नहीं है. यहां आकर पता चला कि 3 दिन पहले ही इसका आकस्मिक निधन हो गया. पेंटिंग का शौक रखने वाली यह बच्ची ग्राफिक एरा, देहरादून से पेंटिंग ऑनर्स में ग्रेजुएशन कर रही थी. इसकी पेंटिंग इसकी प्रोफाइल पर जाकर देखेंगे तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना बड़ा भावी कलाकर इसके भीतर छिपा था. कितनी प्रतिभा थी इस बच्ची में.

अब बात आती है इसमें खास बात क्या हुई, रोजाना ही यहाँ कोई न कोई दुनिया छोड़ जाता ही है. बिल्कुल सही सोच रहे हैं आप. जिस कारण इस बच्ची की मौत हुई उस कारण पर आपका ध्यान केंद्रित कराना इस पोस्ट का मकसद है. जहाँ मैं रहता हूँ वो उत्तराखंड का एक दुर्गम स्थान है जहाँ कोई मेडिकल फैसिलिटी नहीं है. अस्पताल के नाम पर 3-4 कमरों में चलने वाला एक आयुर्वेदिक हॉस्पिटल है, जो शाम 5 बजे बंद हो जाता है. ले देके एक छोटा सा मेडिकल स्टोर है जहाँ सभी दवाइयां मिलना असम्भव है. यदि इस क्षेत्र में कोई अच्छा अस्पताल होता तो आज यह बालिका हम सबके बीच होती.

हुआ यह कि इस बच्ची की तबियत रात 10 बजे खराब हुई, (स्थानीय लोगों ने बताया कि उसे सांप ने काटा, किसी ने कहा ब्रेन हेम्ब्रेज हुआ, कुल मिलाकर वो अचानक फर्श पर गिर पड़ी) चूंकि यहाँ सबसे नजदीक बेहतर हॉस्पिटल ऋषिकेश एम्स है जो यहाँ से 90 किमी दूर है, बरसात के मौसम में 4 से 5 घण्टे में पहुंचा जाता है. जब तक इस बच्ची को हॉस्पिटल ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था की गयी, उसे के जाया गया तो रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया, जिसकी पुष्टि एम्स के डॉक्टरो ने की. उन्होंने कहा थोड़ी देर पहले लाते तो शायद बच जाती, पर उन्हें कौन बताएं कि रात में यहाँ से ऋषिकेश पहुंचना बहुत मुश्किल है.

 टाइम से गाड़ी भी नहीं मिल पाती. और 108 तो कभी यहाँ आती ही नहीं. अब मुख्य प्रश्न यह हमारे सामने है कि यहाँ रहने वालों के साथ सबसे बड़ी समस्या यही है कि अचानक यदि किसी का स्वास्थ्य खराब हो जाये और वह भी रात को, तब अधिकांश केस में मरीज अपनी जान से चला जाता है. इसमें दोषी कौन है? इस बात के बजाए, ध्यान इस पर जाए कि किया क्या जाए? इस पोस्ट के माध्यम से उत्तराखंड सरकार से यही निवेदन है कि ऐसे दुर्गम स्थानों को चिन्हित कर एक बेहतर आधुनिक सुविधाओं से पूर्ण एक अस्पताल तो बनवाने की उचित कार्रवाई तुरन्त करें, और दूसरा 108 की 24 घण्टे व्यवस्था हर क्षेत्र में रहनी ही चाहिये, जिससे समय रहते मरीज को प्राथमिक चिकित्सा मिल सके और समय से मरीज को अस्पताल पहुंचाया जा सके.

यह आलेख सिर्फ मन की पीड़ा को साझा करना भर नहीं है, बल्कि लिखने का उद्देश्य यह भी है कि यह संदेश उत्तराखंड सरकार से लेकर केंद्र तक पहुंच सके. देश में हर व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलनी चाहिए. यह देश के हर व्यक्ति का हक है. आखिर इस दिशा में सरकारें कब सोचेंगी?

 ‘स्मार्ट’ के नाम पर आउट डेटेड मीटर लगाने का खेल!

सांकेतिक फोटो
Written By- अजय कुमार, लखनऊ

वर्षों पहले अपने घरों में लगे बिजली के पुराने मीटर अब अतीत बनकर रह गए हैं. इस मीटर में एक लोहे की प्लेट लगी रहती थी वह प्लेट घूमती ओर उसी की रीडिंग के अनुसार आपका बिजली बिल निर्धारित किया जाता था. इस मीटर ने दशको ‘राज’ किया. हर आदमी आसानी से रीडिंग ले और देख सकता था. जमाना बदला और उसके बाद उन मीटरों का स्थान डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक मीटर ने लिया. इसको लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन दो-तीन सालों के भीतर ही बिजली विभाग को यह डिजिटल मीटर बेकार नजर आने लगे. अब इसे फिर एक बार बदला जा रहा है. अब मोदी सरकार आने वाले तीन सालो में देशभर में बिजली के सभी मीटरों को स्मार्ट प्रीपेड में बदलने जा रही है. देश भर में इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. इससे उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं है.

 प्रदेश का बिजली महकमा आजकल घर-घर ‘स्मार्ट मीटर’ लगाने का काम कर रहा है. इस मीटर की खूबियों का तो खूब प्रचार हो रहा है, लेकिन  इस मीटर की खामियों और पुरानी तकनीक की बातों को छुपाया जा रहा है. दरअसल, बिजली विभाग स्मार्ट मीटर बताकर घर-घर जो टू-जी और थ्री-जी टेक्नालॉजी वाले मीटर लगा रहा है. वह पुराने यानी आउट डेटेड हो चुके हैं. यूपी में कथित स्मार्ट मीटर लगाने का जिम्मा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ईईएसएल को सौंपा गया है. यह समझना जरूरी है कि विद्युत मंत्रालय ने एनटीपीसी लिमिटेड, पीएफसी, आरईसी और पावरग्रिड के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम बनाया था, जिसे ईईएसएल कहा जाता है. बल्ब-पंखे आदि बेचने के बाद इस कम्पनी के द्वारा थोक में खरीदे गए स्मार्ट मीटर को लगाने का काम उत्तर प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में चल रहा है. बिजली विभाग का दावा है कि इससे बिजली चोरी रुकेगी, वितरण कंपनियों की कार्यकुशलता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को वास्तविक समय पर बिजली खपत की जानकारी मिलेगी.

  वहीं राज्य विद्युत नियामक आयोग इन स्मार्ट मीटरों की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं, जिसके चलते उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने की पावर कॉरपोरेशन की योजना अधर में नजर आ रही है. राज्य विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में 2जी और 3जी टेक्नॉलजी के लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर पर स्टेटस रिपोर्ट पावर कॉरपोरेशन से मांगी थी. आयोग के चेयरमैन के निर्देश पर सचिव संजय कुमार सिंह ने पावर कॉरपोरेशन के एमडी से यह बताने को कहा है कि जब टू-जी और थ्री- जी टेक्नॉलजी बंद हो जाएगी, तब मीटर को अडवांस टेक्नॉलजी में बदलने पर कितना खर्च आएगा. आयोग ने पावर कॉरपोरेशन द्वारा खरीदे जा रहे मीटर मॉडम पर भी रिपोर्ट तलब की है.

  पावर कॉरपोरेशन द्वारा लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सवाल तो प्रत्यावेदन के आधार पर आयोग ने रिपोर्ट मांगी है. परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सवाल उठाया था कि जो तकनीक बंद हो रही है, उसके 40 लाख मीटर प्रदेश में क्यों लगवाए जा रहे हैं.

   उधर, ईईएसएल के अधिकारियों के अनुसार कंपनी ने उत्तर प्रदेश में लगाने के लिए पिछले साल सार्वजनिक निविदा के जरिये ऐसे 40 लाख बिजली के स्मार्ट मीटर खरीदे थे, लेकिन ग्राहकों की संख्या इससे कहीं अधिक है. इसलिए अगले चरण में कंपनी जल्द ही ऐसे 50 लाख और मीटर खरीदने की योजना बना रही है. उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, इलाहबाद, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा जैसे शहरों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम आजकल तेजी से चल है.

सूत्र बताते हैं कि ईईएसएल बिजली वितरण कंपनियों से प्रति मीटर प्रति महीने 70 रुपए लेगी. वहीं वितरण कंपनियों को औसतन प्रति मीटर 200 रुपए का लाभ होने का अनुमान है. उत्तर प्रदेश में बिजली ‘रीडिंग’ पर 40 रुपए प्रति मीटर का खर्च आता है. वहीं बिल की कुशलता 75 से 80 प्रतिशत है. विश्लेषण से पता चलता है कि 30 प्रतिशत बिल गलत होते हैं. इससे उपभोक्ता और वितरण कंपनियों में विवाद होता है. एक अनुमान के अनुसार इसके कारण वितरण कंपनियों को प्रति मीटर 200 रुपए की लागत आती है. स्मार्ट मीटर लगने से बिजली वितरण कंपनियों को यह बचत होगी.

  कम्पनी का दावा है कि ‘स्मार्ट मीटर लगने से उपभोक्ताओं को वास्तविक समय पर पता चलेगा कि वे कितनी बिजली की खपत कर रहे हैं. इसके अनुसार वे बिजली खपत को नियंत्रित कर सकते हैं. इससे कम बिजली खपत करने वाले उत्पादों की मांग बढ़ेगी और एक बहुत बड़ा बदलाव आएगा.

गौरतलब हो, ईईएसएल को स्मार्ट मीटर राष्ट्रीय कार्यक्रम (एसएमएनपी) के तहत देश में 25 करोड़ परंपरागत मीटरों को स्मार्ट मीटर से बदला जाना है. एक और बात स्मार्ट मीटर लगाते समय यह दावा किया जा रहा है कि इस मीटर को लगाने की एवज में उपभोक्ताओं से कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है, उपभोक्ता का पुराना मीटर हटाकर स्मार्ट मीटर फ्री में लगाया जा रहा है, साथ ही पांच साल तक मीटर में कोई गड़बड़ी होती है तो भी मीटर बिना किसी शुल्क के बदला जाएगा. बताते चलें ईईएसएल ने ऐसे ही दावे एलईडी बल्ब बेचते समय भी किए थे.

 इस कम्पनी के माध्यम से पिछले तीन-चार सालों में पूरे देश में जो एलईडी बल्ब बेचे गए गए थे, वह कुछ महीनों बाद ही खराब होना शुरू हो गए. जब उपभोक्ता इन्हें बदलने के लिए पुहंचे तो इन्हें बेचने वाले नदारद थे. सभी जगहों पर ऐसी घटनाएं घटी. बहुत विवाद भी हुए लेकिन इस कम्पनी पर कुछ भी कार्यवाही नही हुई. इस कंपनी को देश भर में स्ट्रीट लाइट को एलईडी से बदलने का ठेका भी दिया गया जिसके सब कांट्रेक्ट उन्होंने ऐसे लोगो को दिए जो एक साल में ही शहर छोड़ कर भाग गए. यह कम्पनी सिर्फ एलईडी बल्ब तक ही सीमित नही है. लाखो पंखे इन्होंने खरीदे हैं और यहाँ तक कि डेढ़ टन के एसी भी हजारों की संख्या में इन्होंने खरीदे है लेकिन कही भी देखने मे नही आया कि बल्ब-पंखें आदि खरीद के बाद सर्विस की कोई व्यवस्था इस कम्पनी के पास रही हो. क्योंकि यह कम्पनी किसी तरह का उत्पादन ही नही करती है.

   वैसे सच तो यह है कि कोई चीज फ्री में नही लगाई जाती, फ्री में लगाने से पहले ही सारा केलकुलेशन बैठा लिया गया है कि पहले 6 महीने में ही आपका जो बिल बढ़ा हुआ आएगा उसी में यह राशि समायोजित कर दी जाएगी, ओर जिन घरों में यह मीटर लगाए गए हैं उन सभी घरों में जो बिल आए हैं उसमें सवा से डेढ़ गुनी अधिक खपत दिखाई दे रही है.खुले बाजार में फिलहाल सबसे सस्ता सिंगल फेज प्रीपेड बिजली मीटर अभी 8 हजार रुपये का मिल रहा है. हालांकि अच्छी गुणवत्ता वाला मीटर खरीदने के लिए लोगों को 25 हजार रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं अब ये कम्पनी जो स्मार्ट मीटर लगा रही हैं उसमें किस तरह से आपसे पैसा वसूला जाएगा आप खुद ही सोच लीजिए.

   दूसरी ओर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिरकार यह मीटर सप्लाई कौन कर रहा है? कही न कही तो इनका उत्पादन किया जा रहा होगा? क्या विद्युत नियामक आयोग स्वतंत्र रूप से इन स्मार्ट मीटरों की जाँच करवा चुका है? क्योंकि सारा झोलझाल तो यही है. देश भर में इन स्मार्ट मीटर की आपूर्ति एनर्जी एफिशियेंसी सर्विसेज लिमिटेड ईईएसएल कर रहा है.

– लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।

इंग्लैंड ने रचा इतिहास, पहली बार बना विश्व चैंपियन

0

आखिरकार इंग्लैंड ने 2019 क्रिकेट विश्व कप जीत ही लिया. रविवार को खेला गया विश्व कप का फाइनल मुकाबला बेहद रोमांचक रहा. न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के बीच हुआ यह मैच टाई रहा जिसके बाद मैच का नतीजा निकालने के लिए सुपर ओवर करवाया गया और सुपर ओवर भी टाई हो गया. आईसीसी के नियम के मुताबिक इस स्थिति में मैच में ज्यादा चौके लगाने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता है. इस मैच में इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड के मुकाबले ज्यादा चौके लगाए थे जिस आधार पर उसे विजेता घोषित कर दिया गया. इंग्लैंड ने इस मैच में कुल 24 चौके लगाए, जबकि न्यूजीलैंड की टीम ने अपनी पारी में कुल 14 चौके ही लगाए थे.

इससे पहले न्यूजीलैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 8 विकेट खोकर 241 रन बनाए. जवाब में उतरी इंग्लैंड की टीम ने भी 50 ओवर में 10 विकेट खोकर 241 बना लिए. इंग्लैंड ने सुपर ओवर में 15 रन बनाए और न्यूजीलैंड की टीम भी सुपर ओवर की 6 गेंदों में 15 रन ही बना सकी.

न्यूजीलैंड द्वारा दिए गए 242 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए मेजबान इंग्लैंड को पहला झटका जेसन रॉय के रूप में लगा. जेसन रॉय 20 गेंदों में 17 रन बनाकर मैट हेनरी की गेंद पर विकेट के पीछे टॉम लेथम के हाथों कैच आउट हुए. इसके बाद जो रूट को कॉलिन डी ग्रैंडहोम ने सात रन पर चलता किया. इसके कुछ देर बाद ही जॉनी बेयरस्टो को लॉकी फर्ग्युसन ने क्लीन बोल्ड कर दिया. बेयरस्टो ने 55 गेंदों पर 36 रन बनाए.

इंग्लैंड को चौथा झटका कप्तान इयोन मोर्गन के रूप में लगा. मोर्गन 22 गेंदों में 9 रन बनाकर जिमी नीशम की गेंद पर फर्गुसन के हाथों कैच आउट हुए. इसके बाद जोस बटलर और बेन स्टोक्स ने पारी को संभाला और पांचवें विकेट के लिए 110 रन की साझेदारी की. लेकिन, जोस बटलर (59 रन) के आउट होने बाद कोई भी ज्यादा देर नहीं टिक सका. इसके बाद क्रिस वोक्स दो रन, लियाम प्लंकेट दस, जोफ्रा आर्चर, मार्क वुड और आदिल राशिद बिना कोई रन बनाए आउट हो गए. इंग्लैंड की तरफ से बेन स्टोक्स ने सबसे ज्यादा 84 रन बनाए और अंत तक नाबाद रहे.

न्यूजीलैंड की ओर से तेज गेंदबाज लॉकी फर्ग्यूसन और जेम्स नीशम ने तीन-तीन बल्लेबाजों को आउट किया. जबकि मैट हेनरी कॉलिन डी ग्रैंडहोम ने एक-एक इंग्लिश बल्लेबाज को अपना शिकार बनाया.

इससे पहल लार्ड्स के मैदान में खेले जा रहे इस फाइनल मैच में न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया था. न्यूजीलैंड के सलामी बल्लेबाज मार्टिन गुप्टिल और हेनरी निकोलस ने संभलकर शुरुआत की. लेकिन, सातवें ओवर में गुप्टिल पगबाधा आउट हो गए. उस समय टीम का स्कोर 29 रन था. उसके बाद आए कप्तान विलियमसन और निकोलस ने पारी को बढ़ाना शुरु किया और स्कोर को 103 तक पहुंचाया. लेकिन 103 रन के स्कोर पर प्लंकेट ने विलियमसन को बटलर के हाथों आउट करा न्यूजीलैंज का दूसरा विकेट झटका. विलियमसन ने 53 गेंदों में 30 रन बनाए. इसके बाद न्यूजीलैंड के विकेट जल्दी-जल्दी गिरे. निकोलस 27 वें ओवर में उस समय आउट हुए जब टीम का स्कोर 118 रन था. उन्होंने 77 गेंदों में 55 रन बनाए. इसके बाद रॉस टेलर भी 15 रन बनाकर आउट हो गए और टीम का स्कोर 141 रन पर चार विकेट हो गया.

इसके बाद लेथम और नीशम ने कुछ अच्छे शॉट्स खेलकर दबाव कम करने की कोशिश की. लेकिन रन गति बढ़ाने के प्रयास में नीशम प्लंकेट की गेंद पर आउट हो गए. न्यूजीलैंड की आधी टीम पैवेलियन वापस लौट चुकी थी और स्कोर 173 रन था. इसके बाद लेथम और ग्रैंडहोम ने पारी को संभाला. खासतौर, पर लेथम ने तेजी से रन बटोरने शुरु किए. लेकिन, मैच के 47 वें ओवर में ग्रैंडहोम, वोक्स की गेंद पर आउट हो गए. उस समय तक न्यूजीलैंड ने छह विकेट खोकर 219 रन बनाए थे. इसके बाद लेथम रन गति बढ़ाने के प्रयास में 49 ओवर में क्रिस वोक्स की गेंद पर आउट हो गए. इस समय तक न्यूजीलैंड का स्कोर 232 पर सात हो चुका था. पारी के आखिरी ओवर में आर्चर ने मैट हेनरी को बोल्ड कर दिया और न्यूजीलैंड आठ विकेट खोकर 241 रन ही बना सके.

इंग्लैंड की ओर से प्लंकेट ने 10 ओवर में 42 रन खर्च कर तीन विकेट लिए. क्रिस वोक्स को तीन और वुड को एक विकेट मिला. ज्योफ आर्चर ने किफायती गेंदबाजी करते हुए एक विकेट झटका.

इंग्लिश बल्लेबाज बेन स्टोक्स को उनकी 84 रन की पारी के लिए इस मैच का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया. न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन को टूर्नामेंट में 578 रन बनाने के लिए विश्व कप 2019 का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया.

Read it also-भारत को मिली इस विश्व कप में पहली हार

बहुजन विद्यार्थियों को आरक्षण के मुताबिक दाखिला नहीं दे रहा दिल्ली विश्वविद्यालय

0
Delhi university

देश के बड़े विश्वविद्यालयों में से एक दिल्ली विश्वविद्यालय में इन दिनों दाखिले का दौर चल रहा है। देश भर से तमाम युवा दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन की चाह लिए अपने भविष्य के सपने बुन रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रों के सपने पूरे भी कर रहा है, लेकिन सिर्फ एक खास जाति वर्ग के। जबकि यही विश्वविद्यालय कमजोर वर्ग के युवाओं के डीयू में पढ़ने के सपने को कुचलने पर अमादा है।

8 जुलाई को एडमिशन की तीसरी कट ऑफ लिस्ट जारी होने के बाद विश्वविद्यालय के इंफर्मेशन बुलेटिन के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले में 61.11 फीसदी सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया है, जबकि आरक्षण होने के बावजूद अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग का कोटा तक पूरा नहीं किया गया है। इस खबर को समाचार पत्र द हिन्दू ने भी प्रकाशित किया है। उसकी रिपोर्ट के मुताबिक अब तक हुए दाखिले में दलित, आदिवासी वर्ग और पिछड़े वर्ग के साथ बहुत बड़ा धोखा सामने आया है। अनुसूचित जनजाति के लिए संविधान में 7.5 फीसदी आरक्षण दिया गया है लेकिन डीयू ने इस वर्ग के सिर्फ 3 फीसदी विद्यार्थियों को ही दाखिला दिया है।

Photo Courtesy: The Hindu

इसी तरह अनुसूचित जाति के लिए संविधान के तहत नौकरियों और विश्वविद्यालयों में दाखिले में 15 फीसदी आरक्षण दिया गया है, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय ने नियमों को ताक पर रख कर इस वर्ग के सिर्फ 10.94 फीसदी विद्यार्थियों को ही मौका दिया है। पिछड़े वर्ग का हाल भी इससे जुदा नहीं है। नियम के मुताबिक पिछड़े वर्ग को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण को भी विश्वविद्यालय ने नजरअंदाज किया है और इस वर्ग के सिर्फ 20.96 फीसदी छात्रों को दाखिला दिया है। यानि दिल्ली विश्वविद्यालय ने अनुसूचित जनजाति यानि शिड्यूल ट्राइब के हक का साढे चार (4.5) प्रतिशत, अनुसूचित जाति यानि शिड्यूल कॉस्ट का चार प्रतिशत (4.06) और पिछड़े वर्ग यानि ओबीसी समाज का 6 फीसदी आरक्षण हड़प कर दूसरे वर्ग को दे दिया है।

‘द हिन्दू’ की खबर में अनुसूचित जनजाति की खाली सीटों को लेकर जब डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर राजीव गुप्ता से पूछा गया तो उनका कहना था कि देश भर में कई विश्वविद्यालय हैं और तमाम तरह के प्रोफेशनल कोर्सेस हैं, इसलिए यह नंबर पूरा नहीं हो पाता। हालांकि अगर एक पल को उनकी बात पर यकीन कर भी लिया जाए तो अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग को लेकर उनकी यह दलील काफी कमजोर लगती है। क्योंकि इस वर्ग के तमाम छात्र डीयू में दाखिला न मिल पाने के कारण परेशान हैं।

आखिर आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों की अनदेखी की वजह क्या है, इसे वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल की उस प्रतिक्रिया से समझा जा सकता है जो उन्होंने अपने फेसबुक पर लिखा है, दिलीप मंडल कहते हैं- दिल्ली यूनिवर्सिटी खास है क्योंकि इसी से देश भर के विश्वविद्यालयों की नीति तय होती है. ये देश की सबसे बड़ी सेंट्रल यूनिवर्सिटी है जिसमें रेगुलर कोर्स में हर साल 52,000 से ज्यादा सीटें आती हैं. यहां के ग्रेजुएट कोर्स से अक्सर तरक्की की राह खुलती है. कई कॉ़लेजों में शानदार प्लेसमेंट होता है. विदेश जाने का रास्ता भी यहां से आसान हो जाता है. इसलिए जातिवाद का सबसे निर्मम खेल यहीं होता है ताकि एससी-एसटी-ओबीसी के स्टूडेंट यहां न आ पाएं. ज्यादा खेल यहां के टॉप 10 कॉलेजों में है. वहां सबसे ज्यादा जातिवाद है.

दिलीप मंडल का सवाल जायज है। हालांकि इस खबर के सामने आने के बाद भी बहुजनों के खेमें में छाई चुप्पी और बड़े विरोध की कमी चिंता की बात है।

सेमीफाइनल में हार के बाद हो सकता है टीम इंडिया के इन खिलाड़ियों का वर्ल्ड कप करियर खत्म

0

भारतीय टीम को न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्ल्ड कप 2019 के सेमीफाइनल मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा. न्यूजीलैंड ने मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में हुआ ये मुकाबला 18 रन से अपने नाम किया. न्यूजीलैंड ने टीम इंडिया के सामने 240 रन का लक्ष्य रखा था, लेकिन भारतीय टीम 49.3 ओवर में 221 रन ही बना सकी.

भारतीय टीम की वर्ल्ड कप से विदाई के साथ ही अब हार का पोस्टमार्टम भी शुरू हो गया है. कोई सेमीफाइनल में हार के लिए विराट कोहली के फैसलों को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो कोई टीम में दिनेशन कार्तिक की जगह को लेकर भी सवाल उठा रहा है. हार की वजह जो भी हो, वर्ल्ड कप के बाद एक बात तो तय हो गई कि कुछ खिलाड़ी अब कभी भारतीय टीम के लिए वर्ल्ड कप खेलते नजर नहीं आएंगे. ऐसे हुए कुछ खिलाड़ियों पर नजर डालते हैं जिनका अगले वर्ल्ड कप में न खेलना या तो तय है या इस बात की पूरी उम्मीद है.

महेंद्र सिंह धोनी

अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को दो वर्ल्ड कप जिताने वाले महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. 37 साल के धोनी 2023 का वर्ल्ड कप नहीं खेलेंगे, यह बात लगभग तय ही है. बल्कि धोनी अगर इंग्लैंड से लौटकर कुछ ही दिन में संन्यास का ऐलान कर दें तो भी किसी को हैरान नहीं होना चाहिए. धोनी ने अपने करियर में सब कुछ हासिल कर लिया है. ऐसे में अब शायद सिर्फ ये देखना बाकी है कि भारतीय टीम के इस हीरो की विदाई कैसी होती है.

वर्ल्ड कप 2019 में प्रदर्शन : 9 मैचों में 273 रन, सर्वाधिक 56 बनाम वेस्टइंडीज

वनडे करियर : 350 मैच, 10773 रन, 10 शतक, सर्वाधिक 183*, औसत 50.57

दिनेश कार्तिक

टीम इंडिया के इस विकेटकीपर बल्लेबाज की उम्र 34 साल है और अगले वर्ल्ड कप में वह 38 साल की उम्र पार कर जाएंगे. उम्र व ऋषभ पंत और नए विकेटकीपरों की खेप देखते हुए दिनेश कार्तिक का टीम में जगह मुश्किल है. ऐसे में दिनेश कार्तिक का वर्ल्ड कप करियर यहीं खत्म हो गया है. इस बात की भी उम्मीद बेहद कम ही है कि वे टीम इंडिया के आगामी मुकाबलों में भी टीम में शामिल किए जाएं.

वर्ल्ड कप 2019 में प्रदर्शन : 3 मैचों में 14 रन. सर्वाधिक 8 रन बनाम बांग्लादेश.

वनडे करियर : 94 मैच, 1752 रन, 30.20 का औसत, सर्वाधिक 79 रन

शिखर धवन

भारतीय दिग्गज ओपनर शिखर धवन ने मौजूदा वर्ल्ड कप में केवल दो ही मैच खेले. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले मैच में उन्होंने आठ रन बनाए और इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार 117 रन जड़कर टीम इंडिया को जीत दिलाई. इसी मैच में उनके बाएं हाथ के अंगूठे में चोट लग गई, जिसके बाद वे वर्ल्ड कप से बाहर हो गए. धवन की उम्र अभी 33 साल 218 दिन हैं. 2023 वर्ल्ड कप तक वे करीब 38 साल की दहलीज पर खड़े होंगे. उनका करियर चोटों से भी प्रभावित रहा है. ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि 2023 वर्ल्ड कप टीम में धवन दिखाई न दें.

वर्ल्ड कप 2019 में प्रदर्शन : दो मैचों में 125 रन. सर्वाधिक 117 बनाम ऑस्ट्रेलिया.

वनडे करियर : 130 मैच, 5480 रन, 17 शतक, 44.91 का औसत

केदार जाधव

टीम इंडिया के इस बैटिंग ऑलराउंडर की उम्र फिलहाल 34 साल है. अगले वर्ल्ड कप तक वे 38 साल के हो जाएंगे. ऐसे में इस बात में कोई शक नहीं कि वे अगला वर्ल्ड कप खेलने नहीं जा रहे हैं. जाधव से हालांकि मौजूदा वर्ल्ड कप में काफी उम्मीदें थीं, लेकिन वे उन पर पूरी तरह खरे नहीं उतर सके. जाधव को छह मैचों में मैदान में उतारा गया.

वर्ल्ड कप 2019 में प्रदर्शन : 6 मैचों में 80 रन. विकेट एक भी नहीं. सर्वाधिक 52 रन बनाम अफगानिस्तान.

वनडे करियर : 65 वनडे, 1254 रन, 2 शतक, 43.24 का औसत

Read it also-विश्व कप में भारत की लगातार दूसरी बड़ी जीत, ऑस्ट्रेलियाई टीम को धूल चटाई

Read Dalit Dastak JULY 2019 Issue दलित दस्तक का जुलाई 2019 अंक यहां पढ़िए

0
 

For Read More- मासिक पत्रिका (Monthly Magazine) “दलित दस्तक” का यह अंक पूरा पढ़ने के लिए कृपया पत्रिका की सदस्यता लें। दलित/बहुजन मीडिया को मजबूत करने के लिए पत्रिका को सब्सक्राइब करिए। हम इस पत्रिका को इसलिए निकाल रहे हैं क्योंकि इसके जरिए हम बहुजन नायकों और बहुजन आंदोलन को जिंदा रख सकें। आपको यहां वो तमाम जानकारियां मिलेंगी जो कथित मुख्यधारा की मीडिया आपसे छिपा लेती है। हमारे पास भी यह मौका है कि हम मुख्यधारा की मीडिया में नौकरी कर खुद को समाहित कर लें, लेकिन तब मीडिया में अम्बेडकरी-फुले आंदोलन और बिरसा मुंडा के संघर्ष को सामने लाने की आवाज मंद पर जाएगी। हम ऐसा नहीं करना चाहतें। हमारी जितनी पहुंच और ताकत है, हम वर्तमान दौर में अम्बेडकरी-फुले आंदोलन की मशाल जलाए रखना चाहते हैं। आपका साथ और सहयोग मशाल की इस लौ को तेज करेगा।

आप हमारे खाते में सीधे पैसा जमा कर सदस्य बन सकते हैं।
Account Details-
DALIT DASTAK
A/C- 1518002100509028
PUNJAB NATIONAL BANK
IFSC- PUNB0151800
BRANCH- PATPARGANJ, NEW DELHI- 110092
पत्रिका की सदस्यता लेने का विवरण यूं है-
एक साल के लिए– 700 रुपये / (रजिस्टर्ड डाक खर्च सहित) दो साल- 1300/- (रजिस्टर्ड डाक खर्च सहित पांच साल– 3000/- (रजिस्टर्ड डाक खर्च सहित आजीवन- 10,000/- (रजिस्टर्ड डाक खर्च सहित)** संस्थागत (एक वर्ष)- 1000 रुपये (रजिस्टर्ड डाक खर्च सहित) ग्रुप मेंबरशिप (कम से कम 10 लोग एक साथ)- 6000 रुपये (रजिस्टर्ड डाक खर्च सहित) PDF Copy– आजीवन 2000 रुपये (ईमेल पर) NOTE-1: पत्रिका के लिए सदस्यता शुल्क / Subscription Fee जमा करने के बाद आप हमें dalitdastak@gmail.com पर ईमेल कर के या फिर 9711666056 पर मैसेज कर के सूचित करें और अपना डाक का पता (Postal Address) जरूर भेजें।

NOTE-2: करेंट इश्यू का या फिर किसी पुराने अंक का PDF ईमेल पर पाने के लिए 9711666056 पर प्रति अंक 20 रुपये PayTm करें और हमें स्क्रीनशार्ट लेकर dalitdastak@gmail.com पर ईमेल करें। हम आपको 24 घंटे के भीतर अंक ईमेल के जरिए उपलब्ध करवाएंगे।

इस लिंक पर जाकर हमारे यू-ट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करिए-    https://www.youtube.com/c/dalitdastak

बड़े नेताओं के विरोध पर क्यों उतारू हैं बसपा कार्यकर्ता

लोकसभा चुनाव में आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिलने और फिर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ने के बाद बसपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. देश भर से पार्टी के भीतर से ही विरोध की खबरें आ रही हैं. पिछले दिनों महाराष्ट्र के अमरावती और यूपी के हाथरस से भरी बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के समर्थकों के बीच मारपीट की खबर तक आई थी. नई सूचना गोरखपुर से है, जहां क्षेत्र के एक कद्दावर युवा नेता श्रवण कुमार निराला के समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच जमकर जूतम पैजार हुई है.

दरअसल मंगलवार 9 जुलाई को बहुजन समाज पार्टी की समीक्षा बैठक चल रही थी. इस बैठक में गोरखपुर मंडल के कार्यकर्ताओं को बुलाया गया था. मुख्य अतिथि के रूप में प्रमुख जोन इंचार्ज घनश्याम खरवार मौजूद थे. इस दौरान हर लोकसभा सीट की समीक्षा शुरू होने लगी. बांसगांव लोकसभा की समीक्षा के दौरान पदाधिकारियों ने श्रवण कुमार निराला को बताया कि बहनजी उनको वापस संगठन में लेना चाहती हैं और उनको महाराजगंज का प्रभारी बनाया जा रहा है.

बस फिर क्या था, निराला नाराज हो गए. नाराज होने की वजह यह थी कि बसपा मुखिया ने ही निराला को बांसगांव विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया था. जहां पिछले दो साल से निराला मेहनत भी कर रहे थे. लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र से बसपा को सबसे अधिक 85 हजार वोट भी मिले थे. निराला क्षेत्र में लगातार सक्रिय थे और विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारियों में लगे थे. ऐसे में अचानक उन्हें संगठन में लगाने का मतलब था, उनका टिकट काटा जाना.

श्रवण कुमार निराला

इस सूचना के मिलते ही निराला मंच पर चढ़ गए और अपने समर्थकों को जानकारी दी कि बांसगांव से पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है. निराला यहीं नहीं रुके और लगे हाथ मंच से ही बसपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी. इस दौरान उनका कहना था कि चूकि वो पैसे नहीं दे सकते, इसलिए उनका टिकट काटा जा रहा है. इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से न सिर्फ जमकर नारेबाजी शुरू हो गई, बल्कि नौबत मारपीट तक पहुंच गई. हाथा-पाई में कई कार्यकर्ताओं के कपड़े फट गए.

जहां तक श्रवण कुमार निराला की बात है तो वह पिछले दो दशक से ज्यादा समय से बहुजन समाज पार्टी से जुड़े हुए हैं. गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति करने वाले और विश्वविद्यालय के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने वाले निराला ने जब सक्रिय राजनीति में कदम रखने की सोची तो अम्बेडकरी विचारधारा से जुड़े होने के कारण उन्होंने बहुजन समाज पार्टी को चुना. उनकी काबिलियत को पहचानते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने उन्हें संगठन के भीतर कई पदों पर भी रखा. 2008 में उन्हें जोनल को-आर्डिनेटर बनाया गया था. पिछले दो साल से वह बांसगांव विधानसभा के प्रभारी या यूं कहें कि प्रत्याशी के रूप में सक्रिय थे. लेकिन अब अचानक उनका टिकट काटने की खबर आ गई.

श्रवण निराला के इस्तीफे के बाद आनन-फानन में गोरखपुर के बसपा जिलाध्यक्ष ने एक विज्ञप्ति जारी कर बसपा प्रमुख मायावती के निर्देश पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की बात कह कर निराला को पार्टी से निष्कासन की बात कही, हालांकि पहले के तमाम मिशनरी नेताओं की तरह पार्टी की ओर से इस बार भी नहीं बताया कि आखिर निराला ने क्या काम किया था जो पार्टी विरोधी था. इस तरह पार्टी को अपने जीवन के कीमती साल देने के बावजूद पार्टी से निकाले जाने वाले नेताओं की सूची में एक और नाम जुड़ गया है.

लेकिन यहां एक सवाल यह है कि आखिर बसपा की समीक्षा बैठकों के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से कार्यकर्ताओं के हंगामा करने की खबरें क्यों आ रही है. आखिर क्यों महाराष्ट्र के अमरावती में समीक्षा बैठक के दौरान कार्यकर्ताओं के गुस्से का शिकार होने के बाद पदाधिकारियों को बैठक से भागना पड़ा. सवाल है कि आखिर देश के तमाम हिस्सों से पार्टी के भीतर विरोध की खबरें क्यों आ रही हैं.

दरअसल तमाम जगहों पर विरोध की वजह यह है कि बैठक के दौरान कार्यकर्ता पार्टी पदाधिकारियों के सामने अपनी बात रखना चाहते हैं, जिसे सुनने में कुछ बड़े पदाधिकारियों की कोई दिलचस्पी नहीं दिखती है. तो वहीं सालों से पार्टी के भीतर लगे कार्यकर्ताओं को पार्टी संगठन में तो खूब इस्तेमाल करती है लेकिन जब इसमें से तमाम लोग टिकट की मांग करते हैं तो उन्हें निराशा हाथ लगती है. ऐसे में कार्यकर्ता खुद को ठगा हुआ महसूस करता है और विरोध पर उतर जाता है. इस तरह की खबरों से पार्टी की छवि को लगातार धक्का लग रहा है. इस बारे में बसपा नेतृत्व को गंभीरता से सोचने की जरूरत है.

बुलंदशहर DM के घर CBI रेड, नोट गिनने के लिए मंगाई गई मशीन

0

उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित खनन घोटाला मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बुधवार को छापेमारी की. ये छापे बुलंदशहर के जिलाधिकारी (DM) अभय कुमार सिंह के निवास पर मारे गए हैं. खनन मामले में अभय कुमार सिंह भी रडार पर थे, ऐसे में सीबीआई ने अब कार्रवाई की है. बता दें कि ये मामला तबका है जब राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री थे.

डीएम आवास पर हुई छापेमारी में बड़ी संख्या में नोट बरामद होने की जानकारी है. जिसके चलते सीबीआई टीम ने अब नोट गिनने की मशीन भी मंगाई है. सीबीआई की टीम बुलंदशहर के डीएम के घर पूरी तैयारी के साथ छापा मारने गई थी. इस दौरान 4 गाड़ियां वहां पहुंची थी, जिनमें से दो गाड़ियां जरूरी दस्तावेज़ को अपने साथ ले गई है. अभी भी दो गाड़ियां घर में हैं और पूछताछ जारी है.

अवैध खनन का मामला 2012 से 2016 के बीच का है, इस वक्त राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी. तब खनन मंत्रालय का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ही संभाल रहे थे. ऐसे में उनपर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं.

अभय सिंह, सितंबर 2013 से लेकर जून 2014 तक फतेहपुर के डीएम रह चुके हैं. अभय कुमार सिंह 2007 बैच के यूपी कैडर के IAS अधिकारी हैं. वह बुलंदशहर के अलावा फतेहपुर, रायबरेली और बहराइच के भी डीएम रह चुके हैं.

सूत्रों की मानें तो 2012 और 2016 के बीच कुल 22 टेंडर पास किए गए थे, जो विवाद में आए. इन 22 में से 14 टेंडर तब पास किए गए थे, जब खनन मंत्रालय अखिलेश यादव के पास ही था. बाकी के मामले गायत्री प्रजापति के कार्यकाल के हैं.

अब एजेंसियों का मानना है कि अखिलेश यादव और गायत्री प्रजापति के अप्रूवल के बाद ही इन्हें लीज पर दिया गया था. क्योंकि 5 लाख से ऊपर का कोई भी मसला हो, उसके लिए मुख्यमंत्री की इजाजत जरूरी है. इससे पहले जून में इसी मामले में सीबीआई ने गायत्री प्रजापति के घर पर भी छानबीन की थी.

इस मामले में सीबीआई काफी एक्टिव है और देश के अलग-अलग हिस्सों में छापेमारी कर चुकी है. जिसमें गायत्री प्रजापति के अलावा IAS अधिकारी बीएस चंद्रकला के घर पर भी छापे पड़े थे. बीएस चंद्रकला बिजनौर और मेरठ की डीएम भी रह चुकी हैं.

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है. हाई कोर्ट ने जनहित याचिकाओं के दाखिल होने के बाद इस मामले में जांच का आदेश दिया था.

Read it also-निर्मला सीतारमण ने किया कुछ ऐसा कि बदल गई बजट की परंपरा

इस्तीफा स्वीकार न होने के चलते सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बागी विधायक, कहा- स्पीकर जानबूझकर देर कर रहे

कर्नाटक का राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है. अब इस्तीफा स्वीकार नहीं किए जाने के बाद बागी विधायकों ने विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. विधायकों ने स्पीकर पर आरोप लगाया है कि रमेश कुमार अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं. वह जानबूझकर इस्तीफे की स्वीकृति में देरी लगा रहे हैं. इस मामले की गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है.

विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार ने मंगलवार को 13 में से 8 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए थे. उन्होंने कहा था, ‘‘13 में से 8 विधायकों के इस्तीफे कानूनन तौर पर सही नहीं है. इस बारे में राज्यपाल वजुभाई पटेल को भी जानकारी दे दी है. किसी भी बागी विधायक ने मुझसे मुलाकात नहीं की. मैंने राज्यपाल को भरोसा दिलाया है कि मैं संविधान के तहत काम करूंगा. जिन पांच विधायकों के इस्तीफे ठीक है, उनमें से मैंने 3 विधायकों को 12 जुलाई और 2 विधायकों को 15 जुलाई को मिलने का वक्त दिया है.”

वहीं, कांग्रेस-जेडीएस के 10 बागी विधायक मुंबई के रेनेसां होटल में हैं. बुधवार को उनसे मिलने पहुंचे कांग्रेस नेता शिवकुमार को मुंबई पुलिस ने होटल में जाने से रोक दिया गया. इस पर शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने यहां रूम बुक किया है. कुछ दोस्त यहां रुके हुए हैं. उनके बीच छोटी सी समस्या हो गई है. विधायकों से बातचीत करना चाहता हूं. यहां डराने-धमकाने की कोई बात नहीं है. वे एक-दूसरे का सम्मान करते हैं. वहीं, जेडीएस नेता नारायण गौड़ा के समर्थकों ने होटल के बाहर शिवकुमार गो बैक के नारे लगाए.

कर्नाटक सरकार में मंत्री शिवकुमार ने कहा, ‘‘वे अपना काम कर रहे हैं. हम अपने दोस्तों से मिलने आए हैं. हमने एक साथ राजनीति शुरू की और एक ही साथ राजनीति में मरेंगे. वे हमारी पार्टी के लोग हैं और हम उनसे मिलने आए हैं. मैं अपने दोस्तों से बिना मिले नहीं जाऊंगा.’’

वहीं, कांग्रेस के बागी विधायक रमेश जारकिहाली ने कहा कि हम उनसे नहीं मिलना चाहते. भाजपा का कोई भी नेता हमसे मिलने यहां नहीं आया है. बी. बस्वराज ने भी कहा कि हमारा शिवकुमार का अपमान करने का कोई इरादा नहीं है. हमें उनपर भरोसा है, लेकिन ऐसा कदम उठाने का कारण है. हम उनसे आग्रह करते हैं कि वे यह समझने का प्रयास करें कि हम उनसे आज नहीं मिल सकते.’’

मुंबई के रेनेसां होटल में ठहरे कांग्रेस और जेडीएस के 10 विधायकों को मनाने के लिए कर्नाटक सरकार में मंत्री डीके शिवकुमार और जेडीएस विधायक शिवलिंगे गौड़ा बुधवार को विशेष विमान से बेंगलुरु से मुंबई पहुंचे. बागी विधायकों ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार से खतरा है. इसे लेकर विधायकों ने मुंबई पुलिस को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की.

पत्र के मुताबिक, ‘‘हमने सुना है कि सीएम और डीके शिवकुमार होटल आने वाले हैं. इस कारण हम डरे हुए हैं. हम उनसे नहीं मिलना चाहते. पुलिस से आग्रह है कि उन्हें होटल में न आने दिया जाए.’’ पत्र में 10 विधायकों शिवराम हेबर, प्रताप गौड़ा पाटिल, बीसी पाटिल, एसटी सोमशेखर, रमेश जारकिहोली, बी बस्वराज, एच विश्वनाथ, गोपालैया, नारायण गौड़ा और महेश कुमुताली के हस्ताक्षर हैं.

इसके बाद पुलिस ने होटल के बाहर कड़ी सुरक्षा लगाई गई है. महाराष्ट्र रिजर्व पुलिस फोर्स और रैपिड ऐक्शन फोर्स (आरएएफ) को होटल के बाहर तैनात कर दिया गया है. अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (उत्तरी क्षेत्र) दिलीप सावंत भी पवई के होटल रेनेसां पहुंचे.

जेडीएस विधायक गौड़ा ने कहा कि हम गठबंधन सरकार से संतुष्ट नहीं हैं, क्योंकि दोनों पार्टियों में कोई एकता नहीं है. कांग्रेस ने एचडी कुमारस्वामी को बहुत परेशान किया है. उन्होंने वह नहीं करने दिया जाता जो वह चाहते हैं. जब वह हमें बुलाएंगे तो हम स्पीकर से मिलेंगे, हमने पार्टी नहीं छोड़ी, केवल विधायकी से इस्तीफा दिया है.

एक विधायक ने हॉर्स ट्रेडिंग (खरीद-फरोख्त) के आरोपों पर कहा कि हम यहां पैसों के लिए नहीं आए. हमें कोई पैसे नहीं दे रहा. हमने पार्टी को सौ बार अपनी समस्याएं बताईं, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी. कुछ मंत्री हमारा मजाक उड़ाते थे. विधायक नारायण गौड़ा ने कहा कि किसी ने हमें सूचना दी थी कि मुख्यमंत्री और शिवकुमार यहां विधायकों से बात करने आने वाले हैं. उनके साथ कोई बैठक नहीं करना चाहते है, इसलिए पुलिस से सुरक्षा देने के लिए कहा है.

इससे पहले कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा था कि हम स्पीकर से दलबदल कानून के तहत बागी विधायकों पर कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं. हम अनुरोध करते हैं कि उन्हें न केवल अयोग्य घोषित करें बल्कि 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से भी रोकें. विधायकों ने भाजपा से समझौता कर लिया है.

उमेश कामतल्ली, बीसी पाटिल, रमेश जारकिहोली, शिवाराम हेब्बर, एच विश्वनाथ, गोपालैया, बी बस्वराज, नारायण गौड़ा, मुनिरत्ना, एसटी सोमाशेखरा, प्रताप गौड़ा पाटिल, मुनिरत्ना और आनंद सिंह इस्तीफा सौंप चुके हैं. वहीं, कांग्रेस के निलंबित विधायक रोशन बेग ने भी मंगलवार को इस्तीफा दे दिया.

शनिवार को कांग्रेस-जेडीएस के 14 विधायकों ने स्पीकर को इस्तीफा दे दिया था. अगर 14 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होते हैं तो विधानसभा में कुल 210 सदस्य रह जाएंगे. विधानसभा अध्यक्ष को छोड़कर ये संख्या 209 रह जाएगी. ऐसे में बहुमत के लिए 105 विधायकों की जरूरत होगी. कुमारस्वामी सरकार के पास केवल 102 विधायकों का समर्थन रह जाएगा. ऐसे में सरकार अल्पमत में आ जाएगी.

Read it also-कर्नाटक में सत्ता के लिए शह-मात का खेल जारी

रिजर्व डे पर जानें कौन-सी टीम फायदे में और किसको हो सकता है नुकसान

इस विश्व कप में यह दूसरा मौका है, जब भारत और न्यूजीलैंड के मैच में बारिश की वजह से खेल में बाधा आई है. भारत और न्यूजीलैंड के बीच मंगलवार (9 जुलाई) को मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में वर्ल्ड कप के पहले सेमीफाइनल की शुरुआत हुई. भारतीय गेंदबाजों ने टाइट गेंदबाजी करते हुए न्यूजीलैंड को खुलकर स्ट्रोक नहीं खेलने दिए. न्यूजीलैंड ने 46.1 ओवर में 211 रन बनाए, जब बारिश शुरू हो गई. इसके बाद लगातार बारिश होती रही, जिसकी वजह से मैच सस्पेंड करना पड़ा. वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल और फाइनल के लिए रिजर्व डे रखे गए थे, इसलिए भारत और न्यूजीलैंड का यह मैच बुधवार (10 जुलाई) को खेला जाएगा.

आज मैच वहीं से शुरू होगा, जहां कर रुका था. यानि न्यूजीलैंड पांच विकेट पर 211 रन के स्कोर से अपनी पारी आगे बढ़ाएगा और 50 ओवर पूरे करेगा. वर्ल्ड कप के पहले चरण में पिच तेज थी लेकिन दूसरे चरण में पिच सूखी और धीमी होती गई. बारिश का असर ओल्ड ट्रैफर्ड की पिच पर हो रहा है. पिच स्लोअर होती जा रही है.

आज मैच हुआ तो भारत रहेगा फायदे में हालांकि छोटा स्कोर ट्रिकी हो सकता है, लेकिन भारत के पास लंबी बैटिंग है. भुवनेश्वर कुमार भी जरूरत पड़ने पर अच्छी बल्लेबाजी कर सकते हैं. भारत के लिए दूसरी फायदेमंद स्थिति यह होगी कि भारत को रनों का पीछा कैसे करना है इसको सोचने के लिए काफी समय मिलेगा.

ओवर कम मिले तो हो सकता है नुकसान यदि मैच कुछ ओवर कम का होता है तो भारत से ये फायदा छिन सकता है. न्यूजीलैंज के पास शानदार गेंदबाज हैं, जो किसी भी बैटिंग लाइनअप को ध्वंस कर सकते हैँ. यदि मैच बुधवार को वहां से शुरू होता है और आज बारिश नहीं होती तो 240 के आसपास का स्कोर तो भारत के लिए उतना मुश्किल नहीं होगा. भारतीय ओपनर पहले 10 ओवरों में परंपरागत ढंग से खेलते हैं. छोटे स्कोर का पीछा करने में यह नजरिया एकदम परफेक्ट है.

बहुत बुरी स्थिति होती है और भारत का टॉप ऑर्डर असफल हो जाता है तब भी भारत के पास पर्याप्त बल्लेबाजी है. ऋषभ पंत और हार्दिक पांड्या, अनुभवी महेंद्र सिंह धौनी और दिनेश कार्तिक आसानी से इतने रनों का पीछा कर सकते हैं. इसके अलावा रवींद्र जडेजा और भुवनेश्वर कुमार भी निचले क्रम में आत्मविश्वास से बल्लेबाजी कर सकते हैं.

पूरा मैच हुआ तो न्यूजीलैंड के लिए घाटे का सौदा न्यूजीलैंड निश्चित रूप से चाहेगा कि बुधवार को खेल हो, और कम ओवरों का खेल हो. लेकिन यदि बुधवार को खेल वहीं से शुरू होता है तो बुमराह और भुवनेश्वर बचे हुए चार ओवर फेंकेंगे. उस स्थिति में न्यूजीलेंड अधिक रन नहीं जोड़ पाएगा. तब उन्हें डकवर्थ लुईस स्कोर से भी कम स्कोर दिया जाएगा. ऐसे में न्यूजीलैंड के लिए नुकसानदेह रहेगा.

डकवर्थ लुईस से फैसला यदि बुधवार को भी बारिश की वजह से अगर ओवर घटाए गए और न्यूजीलैंड आगे बल्लेबाजी नहीं कर पाया तो डकवर्थ लुईस के नियमों के आधार पर भारत का लक्ष्य निर्धारित होगा. -डकवर्थ लुईस के नियमों के आधार पर भारत को 20 ओवर मिले तो उसे जीत के लिए 148 रन बनाने होंगे.

  • 25 ओवरों में टारगेट 172 रन होगा
  • 30 ओवरों में टारगेट 192 रन होगा
  • 35 ओवरों में टारगेट 209 रन होगा
  • 40 ओवर में टारगेट 223 रन होगा
  • 46 ओवरों में भारत को जीत के लिए 237 रन बनाने होंगे.
Read it also-BSP प्रमुख मायावती बोलीं, मोदी सरकार का बजट धन्नासेठों के लिए

कांग्रेस-जेडीएस कर रही सरकार बचाने की हर कोशिश

नई दिल्ली। कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार का संकट गहराता जा रहा है. निर्दलीय विधायक एच नागेश ने भी गठबंधन का साथ छोड़ दिया है, जिन्हें हाल में मंत्री बनाया गया था. बीजेपी नेता येदियुरप्पा के निजी सचिव पहले दिन से बाग़ी विधायकों के साथ देख रहे हैं और सोमवार को कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार ने आरोप लगाया कि नागेश को बीजेपी के लोग ज़बरदस्ती उठा ले गए. इस बीच कांग्रेस और जेडीएस के सभी मंत्रियों से इस्तीफ़ा लिया गया ताकि विद्रोहियों को जगह दी जा सके. वहीं असंतुष्ट विधायक मुंबई से गोवा के लिए निकल गए.

देखिय कुछ महत्वपूर्ण तथ्य…
  • राज्य की 13 महीने पुरानी सरकार को बचाने के प्रयास में मंत्रिमंडल में फेरबदल के कदम पर विद्रोही खेमे से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. कांग्रेस की राज्य इकाई के नेता राजीव गौड़ा के अनुसार यूपीए अध्यक्ष और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने कहा है कि उन्हें ‘‘पूरा पूरा विश्वास” है कि अगले दो दिनों में चीजें सामान्य हो जाएंगी.
  • उधर, कर्नाटक में गठबंधन सरकार के बागी विधायक और निर्दलीय विधायक सोमवार को मुंबई छोड़ गोवा के लिये रवाना हो गए. कर्नाटक के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर अब सबकी निगाहें गोवा पर टिक गई हैं.
  • सूत्रों ने बताया कि उनके साथ मुंबई भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष मोहित भारतीय भी हैं. बेंगलुरू में जेडीएस के सूत्रों के अनुसार पार्टी विधायकों को शहर के बाहरी क्षेत्र में स्थित एक रिसॉर्ट ले जाया गया है.
  • विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार यदि 13 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लेते है तो सत्तारूढ़ गठबंधन को बहुमत खोने के खतरे का सामना करना पड़ सकता है.
  • कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने 13 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद राज्य की कांग्रेस- जेडीएस सरकार के संकट में आने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में सोमवार को कहा कि उन्हें ‘‘राजनीतिक घटनाक्रमों” को लेकर ‘‘कोई भय” नहीं है और वह अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने पर ध्यान दे रहे हैं.
  • इस बीच बीजेपी ने कुमारस्वामी के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा कि उनकी सरकार ‘अल्पमत’ में है. पूर्व उपमुख्यमंत्री आर अशोक ने कहा, ‘‘अगर उनमें कोई सम्मान और आत्मसम्मान बचा है, या अगर उन्हें कर्नाटक की संस्कृति और परंपराओं के बारे में पता है, तो उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.
  • कांग्रेस ने सरकार बचाने के लिए कदम बढ़ाते हुए उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर के निवास पर यहां बैठक की जिसमें कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए.
  • बाद में मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्विटर पर बताया, ‘‘जद (एस) के सभी मंत्रियों ने भी कांग्रेस के 21 मंत्रियों की तरह इस्तीफे दे दिये हैं. मंत्रिमंडल में जल्द ही फेरबदल होगा.”
  • गठबंधन सरकार में में 34 मंत्री पदों में से कांग्रेस और जद (एस) के पास क्रमश: 22 और 12 मंत्री पद थे. वेणुगोपाल ने कहा है कि पार्टी हर चीज पर चर्चा के लिए तैयार है और जिन विधायकों ने इस्तीफे दिये है, उन्हें लौट आना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘ हमें विश्वास है कि वे लौटेंगे.”
  • यह मामला संसद में भी उठाया गया जहां केंद्र सरकार ने इस राजनीतिक गतिरोध में अपनी भूमिका से इनकार किया जबकि कांग्रेस ने उस पर साजिश रचने का आरोप लगाया. लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा इस्तीफा अभियान शुरू किया गया था. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के बड़े नेता इस्तीफा दे रहे हैं.”
Read it also-भारी बारिश से मुम्बई में तबाही

चमार रेजिमेंट की बहाली को लेकर जंतर-मंतर पर जुटे देशभर के लोग

28 जून को हरिद्वार से शुरू हुई थी अखिल भारतीय चमार रेजिमेंट बहाल संघर्ष समिति की पदयात्रा

नई दिल्ली। अखिल भारतीय चमार रेजिमेंट बहाल संघर्ष समिति ने चमार रेजिमेंट बहाल करने की मांग को लेकर सोमवार को जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. समिति के अध्यक्ष महात्मा ज्ञान दास ने बताया कि 1 मार्च 1943 को अंग्रेजों द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ी जाति, अल्पसंख्यकों की तत्कालीन 1108 उपजातियों को शामिल करके चमार रेजिमेंट की स्थापना की गई थी.

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारत के नागालैंड में जापानी सेना आगे बढ़ रही थी, जिसे रोकने के लिए नागालैंड के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में महापराक्रमी चमार रेजिमेंट को लगाया गया. चमार रेजिमेंट ने वीरता से लड़ते हुए सात हजार जापानी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया. जिसमें चमार रेजिमेंट के 917 बहादुर सैनिक शहीद हुए. जापानी सेना 31 मई 1944 को रात में तीन बजे जवानों की लाशों व हथियार को छोड़कर चमार रेजिमेंट के डर से भागने पर मजबूर हुई.

चमार रेजिमेंट द्वारा बर्मा व रंगून को भी फतेह किया गया. चमार रेजिमेंट को द्वितीय युद्ध में सर्वोच्च अवार्ड बैटल ऑनर ऑफ कोहिमा से सम्मानित किया गया. 1946 में अंगे्रजों ने चमार रेजिमेंट को आजाद हिंद फौज से लडऩे को बाध्य किया, लेकिन देशभक्ति के कारण चमार रेजिमेंट ने लडऩे से इनकार कर दिया. जिस पर अंग्रेजों ने चमार रेजिमेंट को भंग करके विद्रोही घोषित किया. तत्कालीन डिफेंस एडवाईजरी कमेटी ने भी जिसमें प्रतिनिधित्व भी शामिल था, ने जातीय कारणों से इस बहादुर रेजिमेंट की बहाली का प्रयास नहीं किया. देश आजाद होने के बाद भी चमार रेजिमेंट को इतिहास में स्थान नहीं दिया गया. इस मौके पर मांग की गई कि जिस प्रकार अन्य जातियों के नाम पर रेजिमेंट हैं, इसी प्रकार चमार रेजिमेंट को भी बहाल किया जाए. उन्होंने बताया कि रेजिमेंट की बहाली के लिए 28 जून को हरिद्वार के गुरु रविदास मंदिर से पैदल यात्रा शुरू की गई थी. यात्रा का समापन दिल्ली में हुआ और जंतर-मंतर पर चमार रेजिमेंट की मांग को लेकर धरना दिया गया. इस अवसर पर महासचिव रामकुमार असनावड़े, विक्रम रविदासिया, रेणू किशोर झारखंड, मित्रसेन रविदासी, मनोरंजन राठी, अमित जस्सी पंजाब, ओंकार सिंह, विकास कुमार, महात्मा विजेश दास, गंगा प्रसाद नेपाल, डॉ. जयराजू आन्ध्र प्रदेश, प्रमोद तेलंगाना, जनार्दन राम बिहार, पीसी चौधरी मध्य प्रदेश, नरेन्द्र चौहान पश्चिम बंगाल, अनिल रांची, भीम शंकर कर्नाटक समेत भारी संख्या में देशभर से लोग मौजूद थे.

पूर्ण सिंह Read it also-BSP प्रमुख मायावती बोलीं, मोदी सरकार का बजट धन्नासेठों के लिए