दलित दस्तक की मेहनत और संघर्ष को जर्मनी की मशहूर न्यूज वेबसाइट डॉयचे वेले ने सराहा है. स्वतंत्र पत्रकार अलेत्ता आंद्रे और अभिन्यु कुमार ने दलित दस्तक पत्रिका के संपादक अशोक दास का इंटरव्यू लिया. डॉयचे वेले ने दलित दस्तक पत्रिका के बारे में एक विस्तृत स्टोरी की है और भारत में दलित आंदोलन में दलित दस्तक के योगदान को सराहा है. संपादक के संघर्ष और मेहनत को विश्व स्तर तक पहुंच दिया है.
डॉयचे वेले ने अपनी वेबसाइट पर पत्रिका के बारे में लिखा है कि पत्रिका सच में दलित, पिछड़े और शोषित समुदाय के लिए काम करती है. जो खबरें मुख्यधारा की मीडिया नहीं दिखाती, दलित दस्तक उसे लोगों के सामने रखता है. वेले ने कहा है कि दलित दस्तक पत्रिका जब से शुरू (2012) हुई तबसे निम्न तबकों की आवाज बन गई है. बहुजन समाज से संबंधित लोगों के अतिरिक्त उच्च जाति के लोग भी इस पत्रिका को पढ़ते हैं.
वेले ने संपादक अशोक दास के जज्बे की सरहाना की. वेले ने वेबसाइट पर लिखा कि अशोक दास ने 2012 में दलित दस्तक पत्रिका की दो हजार प्रतियों से शुरूआत की थी. आज पत्रिका की 25000 प्रतियां हर महीने छपती हैं. तेजी से प्रशंसकों की भीड़ उमड़ी हैं.
डॉयचे वेले तक दलित दस्तक के सम्मान के पीछे बहुजन समाज के हमारे पाठकों की अहम भूमिका है. जिन्होंने दलित दस्तक को अच्छी प्रतिक्रिया दी. पाठकों की प्रतिक्रिया और सराहना से दलित दस्तक आज इस मुकाम तक पहुंचा हैं. दलित दस्तक को यहां तक पहुंचाने के लिए पाठकों और प्रशंसकों का आभार.
गौरतलब है कि हिंदुस्तान टाइम्स ने दलित दस्तक और संपादक अशोक दास के बारे में विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी. साथ ही एनडीटीवी इंडिया के चर्चित पत्रकार रवीश कुमार ने अपने शो प्राइमटाइम में भी दलित दस्तक का जिक्र कर चुके हैं.
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।