Tuesday, August 5, 2025

ओपीनियन

आज के दौर में अम्बेडकरवादियों के झुण्ड के झुण्ड पैदा हो रहे हैं किंतु…..

पूरे विश्व में ‘बुध्द’' ही ऐसे व्यक्ति रहे हैं जिन्होंने कहा था कि मेरी पूजा मत करना, ना ही मुझसे कोई उम्मीद लगा के रखना कि मैं कोई चमत्कार करूंगा........ दु:ख तुमने पैदा किया है और उसको दूर भी तुम्हें ही करना पड़ेगा. मै...

हिन्दुस्तान का गोत्र कॉपर है, जाति मर्करी और धर्म सल्फेट….

पुष्कर में खुलासा होता है कि राहुल गान्धी का गोत्र दत्तात्रेय है. हमारे पीएम प्रत्याशी मोदी चुनाव प्रचार के दौरान पूर्वांचल पहुंच कर अपनी जाति का ऐलान करते है. हम राहुल के गोत्र पर सवाल खडा करते है. ये गोत्र और जाति ही हिन्दुस्तान का,...

मोहम्मद अज़ीज को रवीश कुमार की श्रद्धांजलि

गानों की दुनिया का अज़ीम सितारा था,मोहम्मद अज़ीज़ प्यारा था. काम की व्यस्तता के बीच हमारे अज़ीज़ मोहम्मद अज़ीज़ दुनिया को विदा कर गए. मोहम्मद रफ़ी के क़रीब इनकी आवाज़ पहचानी गई लेकिन अज़ीज़ का अपना मक़ाम रहा. अज़ीज़ अपने वर्तमान में रफ़ी साहब...

अयोध्या एक तहज़ीब के मर जाने की कहानी है

कहते हैं अयोध्या में राम जन्मे, वहीं खेले कूदे बड़े हुए, बनवास भेजे गए, लौट कर आए तो वहां राज भी किया, उनकी जिंदगी के हर पल को याद करने के लिए एक मंदिर बनाया गया, जहां खेले, वहां गुलेला मंदिर है, जहां पढ़ाई...

महात्मा ज्योतिबा फुले स्मृति दिवस: ज्योतिबा और डॉ. अंबेडकर में एक समानता है

ज्योतिबा फुले और आम्बेडकर का जीवन और कर्तृत्व बहुत ही बारीकी से समझे जाने योग्य है. आज जिस तरह की परिस्थितियाँ हैं उनमे ये आवश्यकता और अधिक मुखर और बहुरंगी बन पडी है. दलित आन्दोलन या दलित अस्मिता को स्थापित करने के विचार में...

समाजवादी पार्टी और मुस्लिम हित: मिथ या हक़ीक़त

आईये आज समाजवादी गुफ्तगू की जाये वह भी उत्तर प्रदेश के समाजवाद की. यह बात सबको मालूम है कि उत्तर प्रदेश में समाजवाद का मतलब समाजवादी पार्टी. अगर मैं यह सवाल करूँ कि क्या समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव मुस्लिमों के मसीहा...

दलित आंदोलन बनाम सवर्ण आंदोलन

भारत देश में पद्मावती विवाद जैसे फ़िज़ूल मुद्दे आंदोलन का रूख अख्तियार कर लेते हैं, परंतु दलितों का विरोध प्रदर्शन कभी राष्ट्रव्यापी आंदोलन नहीं बन पाता. जबकि भारत में दलितों की जनसंख्या, पद्मावती विवाद को लेकर तोड़-फोड़ करके राष्ट्र का नुकसान करने वाले जाति वर्ग...

फेक न्यूज’ से रहें सचेत

प्रेस लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है. लोकतंत्र के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों-विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका की भाँति प्रेस की भी अपनी महत्ता है. शासन-प्रशासन एवं विधि के निर्माण में प्रेस सीधे तौर पर तो अपनी भूमिका नहीं निभाता, पर सत्ता(हाथी) जब अपनी मार्ग...

शहरों/ नगरों /सड़कों के  नाम बदलने की राजनीति नई तो नहीं है किंतु ….

आज के दौर में हम केवल भारतीय नहीं रह गए हैं. वैसे पहले भी हम कभी भारतीय नहीं रहे. भारतीय समान को जातियों में विभाजित कर देना इस देश की जनता के सिर सबसे बड़ा कलंक है. देश आजाद हुआ तो देश की जनता...

“व्हाट इज इन ए नेम”, अर्थात नाम में क्या रखा है

महान विद्वान सेक्सपियर ने लिखा है, "व्हाट इज इन ए नेम", अर्थात नाम में क्या रखा है. बच्चा जब पैदा होता तब उसका नामकरण संस्कार किया जाता है. उसको एक नाम दिया जाता वही नाम उसकी पहचान बन जाती है यहाँ तक कि मरने के...

संत शिरोमणी गुरू रविदास महाराज जी

दोहाः-  चैदाह सौ तैंतीस की माघ सूदी प्रन्द्रास. दुखियों के कल्याण हेतू प्रकटे श्री गुरू रविदास. उनका जन्म भारत के प्रसिद्ध शहर वाराणसी के नजदीक 15 पूर्णिमा (1433) सन 1377 में हुआ. पिता श्री संतोख दास, माता पूज्यनीय कलसा देवी जी की पावन खोक से...

सरदार वल्लभ भाई पटेल डा. अम्बेडकर के धुर विरोधी थे

सरदार वल्लभ भाई पटेल और अंबेडकर, दोनों को ही भारतीय राजनीति के सबसे मजबूत स्तंभों में गिना जाता है| दोनों के बीच की बहस और मतभेद उन सवालों पर रोशनी डालते हैं, जो आज के राजनीतिक परिदृश्य में भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने...

मंदिर और मूर्तियों में रुचि रखने वाले शूद्रों(पिछड़ों) और आम महिलाओं से एक विनम्र सवाल!

क्या आपने 'संघ-विहिप-भाजपा' से कोई एमओयू (MoU) करा ली है कि अयोध्या के भावी भव्य मंदिर से लेकर केरल के शबरीमला मंदिर तक, सारा धरम-करम अब लोकतांत्रिक ढंग से होगा? जाति, उम्र और लिंग का भेदभाव नहीं होगा? किसी भी जाति का व्यक्ति पुजारी...

दलित गुमराह तो नहीं है

भारत में वर्ण-व्यवस्था सदियों से चलता चला आ रहा है. कालान्तर में जातियों ने वर्ण-व्यवस्था का स्थान ले लिया; लेकिन जातियों ने वर्ण-व्यवस्था के अंतर्गत ही अपना विकास सुनिश्चित किया. अब जातियां ही वर्ण-व्यवस्था का अस्तित्व हैं. जातियां ख़त्म हो गईं तो वर्ण-व्यवस्था टूट...

डाइवर्सिटी डे :2018

स्वाधीनोत्तर भारत के दलित आंदोलनों के इतिहास में भोपाल सम्मलेन (12-13 जनवरी,2002) का एक अलग महत्व है,जिसमें 250 से अधिक शीर्षस्थ दलित बुद्धिजीवियों ने शिरकत किया था.उसमें दो दिनों के गहन विचार मंथन के बाद 21 सूत्रीय ‘भोपाल घोषणापत्र’ जारी हुआ था जिसमें अमेरिका...

गुंडा शब्द की कहानी

भाषावैज्ञानिकों ने बगैर सोचे-समझे बता दिए हैं कि बदमाश के अर्थ में गुंडा पश्तो भाषा का शब्द है. यदि गुंडा पश्तो भाषा का शब्द होता तो इसका सर्वाधिक प्रयोग शेरशाह और उनके उत्तराधिकारियों के समय में मिलता. कारण कि वे अफगान थे और पश्तो...

आदिवासियों के विनाश का साक्षी है ‘स्टैच्यू आॅफ यूनिटी’

भारत के आधुनिक विकास के इतिहास में एक और काला अध्याय जुड़ने वाला है. 31 अक्टूबर 2018 को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के नर्मदा जिले स्थित केवड़िया के साधु बेट द्वीप में स्थापित सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति ‘स्टैच्यू आॅफ यूनिटी’...

सबरीमाला और महिलाएं

मेरे कई पाठक/पाठिकाओं ने मुझे मैसेज करके कहा की मुझे सबरीमाला विवाद पर लिखना चाहियें. पर मैं सोचता हूँ मेरे लिखने या न लिखने से क्या होगा? वैसे हुआ तो कुछ सबसे बड़ी अदालत के लिखने के बाद भी नहीं. खैर लिखने या कहने...

दलित साहित्य में पत्र-पत्रिकारिता

पत्राचार ही एक ऐसा साधन है, जो दूरस्थ व्यक्तियों को भावना की एक संगमभूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है. व्यावहारिक जीवन में पत्राचार वह सेतु है, जिससे मानवीय सम्बन्धों की परस्परता सिद्ध होती है. अतएव पत्राचार...

झूठ की फैक्टरी का सामना झूठ की फैक्टरी खड़ी करके जीत हासिल की जा सकती है?

आम आदमी अपनी सही और गलत की समझ मीडिया को सुन, पढ़ या देख कर बनाता है. एक समय था जब टेलीविजन पर रातको 9:20 पर खबर आती थी. सुबह अखबार आता था. देश-विदेश या किसी जगह हुई घटना की जानकारी का माध्यम सिर्फ...
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ओपीनियन

प्रो. नन्दू राम: भारतीय समाजशास्त्र को समग्रता प्रदान करने वाले समाजशास्त्री

भारतीय समाजशास्त्र में प्रो. नन्दू राम अगर अपनी लेखनी से भारत की एक-चौथाई जनता का समाजशास्त्रीय सच प्रकाशित एवं स्थापित नहीं करते तो भारतीय...

राजनीति

झारखंड और हेमंत सोरेन का दुनिया भर में नाम

नई दिल्ली/रांची। झारखंड की महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में शुरू की गई मुख्यमंत्री मंइयां सम्मान योजना को अब अंतरराष्ट्रीय मंच...
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