Monday, June 16, 2025

इतिहास-नायक

संत रैदास की बेगमपुर की अवधारणा की वर्तमान प्रासंगिकता

संत रैदास जी की वाणी में से कुछ महत्वपूर्ण निम्नलिखित हैं-  ऐसा चाहूँ राज मैं जहाँ मिलै सबन को अन्न। छोट बड़ो सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न।। जात-जात में जात हैं, जों केलन के पात। रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जात न जात।। रैदास कनक और...

मंडल पूर्व युग के महानायक थे कर्पूरी ठाकुर

24 जनवरी, 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौझिया को अपने जन्म से धन्य करने वाले कर्पूरी ठाकुर वंचित बहुजन समाज में जन्मे उन दुर्लभ नेताओं में एक रहे, जिन्होंने स्वाधीनता संग्राम में प्रभावी योगदान के साथ स्वाधीन भारत की राजनीति में भी...

तिलका मांझी के शहादत दिवस की कहानी

जनवरी की 13 तारीख भारत के इतिहास में एक क्रांतिकारी वीर सपूत के शहादत दिवस के रूप में दर्ज है। साल 2025 में भारत और भागलपुर- संथाल परगना क्षेत्र  के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी, महान् क्रान्तिकारी किसान नेता एवं महान मूलनिवासी बहुजन नायक, अमर शहीद...

फातिमा शेख पर बहस के बीच इतिहासकार विक्रम हरिजन ने दिलीप मंडल को किया बेनकाब

9 जनवरी को माता सावित्री बाई फुले की सहयोगी और पहली महिला मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख की जयंती हुई थी। इस दौरान जब देश भर के लोग उन्हें श्रद्धांजली दे रहे थे, पूर्व अंबेडकरवादी और वर्तमान में भाजपा की मोदी सरकार में मीडिया एडवाइजर...

सवर्ण महिलाओं को सावित्रीबाई फुले का एहसानमंद होना चाहिए

सावित्रीबाई फुले का जन्म 03 जनवरी, 1831 में पश्चिमी महाराष्ट्र के नायगांव में हुआ था। इन्होंने पति जोतीराव फुले के साथ मिलकर शिक्षा क्रांति के लिए जो काम किया, वह हर कोई जानता है। लेकिन इसके साथ ही फुले दंपति ने समाज की अन्य...

बिरसा मुंडा जयंती विशेषः ऐसा महानायक योद्धा, जिससे खौफ खाते थे अंग्रेज

बिरसा मुंडा भारत के उस महान सपूत का नाम है, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल तब फूंक दिया था, जब उनकी उम्र 25 साल भी नहीं थी। इसके बावजूद बिरसा मुंडा को लेकर अंग्रजों का खौफ ऐसा था कि उन्होंने उन पर...

ऑस्ट्रेलिया में बौद्ध आंदोलन, मेलबोर्न में बौद्ध समाज ने किया शानदार कार्यक्रम

ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में भारतीय बौद्ध समुदाय ने 19 अक्टूबर 2024 को 68वां धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस मनाया। यह कार्यक्रम मेलबर्न बुद्धिस्ट सेंटर और भारतीय बौद्ध समुदाय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। इस दौरान बौद्ध समाज ने बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर और...

विपश्यना से लौटे पत्रकार यशवंत ने साझा किया शानदार अनुभव

मैंने हरियाणा के सोहना स्थित धम्मा सेंटर में भिक्षु के रूप में दस दिन बिताए। यहां न बोलना था, न आंखें मिलानी थी किसी से, जो मिल जाए वो खाना था। काम के नाम पर दिन भर ध्यान करना साधना करना। बाहरी दुनिया से...

14 अक्टूबर, जब 1956 में बाबासाहेब ने अपनाया था बौद्ध धर्म

भारत के इतिहास में 14 अक्टूबर 1956 का दिन एक क्रांति के रूप में दर्ज है। इस दिन भारत में वह क्रांति हुई, जिसके बारे में किसी ने भी सोचा नहीं होगा। अछूत समाज पर हिन्दू समाज के लगातार अत्याचार और इसमें सुधार की...

जानिये असोक धम्मविजय दशमी का पूरा इतिहास

सम्राट असोक ने धरती पर समता और शांति का साम्राज्य स्थापित करने हेतु बौद्ध धम्म को अपना कर तलवार के विकल्प के रूप में धम्म को चुना। उन्होंने ईसा पूर्व 266 में विधिवत आश्विन शुक्ल पक्ष दशमी के दिन बौद्ध धम्म ग्रहण किया था...
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कास्ट मैटर्स

टोरंटो से गूंजी जातिविहीन दुनिया की आवाज, जारी हुआ ऐतिहासिक घोषणा पत्र

टोरंटो, 27 मई 2025। जातीय भेदभाव और वंश आधारित अत्याचार के खिलाफ वैश्विक स्तर पर एक बड़ी पहल करते हुए "ग्लोबल कॉन्फ्रेंस फॉर अ कास्ट-फ्री...

वीडियो

ओपीनियन

बदहाल बिहार में फेल होती डबल इंजन की सरकार

(- सुशांत नेगी) बिहार बदहाल है। पिछले कई महीनों से बिहार से जिस तरह अपराध, हत्याएं, गुंडागर्दी और प्रशासनिक बदइंतजामी की खबरें आ रही है,...

राजनीति

मुजफ्फरपुर की दलित बेटी के परिवार से मिले तेजस्वी यादव, परिवार ने बताई पूरी कहानी

(तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा) मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी में बलात्कार के बाद गरीब दलित परिवार की 9 वर्षीय बच्ची की अस्पताल में बेड...
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