सोनभद्र। दलितों के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार हर बार गंभीर होने की बात करती है. हैदराबाद की सभा में मोदी ने दलित हिंसा को लेकर यहां तक कह दिया था कि दलितों की जगह मुझे गोली मार दो. मगर मोदी का यह बयान चुनावी घोषणाओं जैसा जुमला ही साबित हुआ. मोदी की पार्टी के ही दलित नेता आज अस्पताल में जीवन मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं, मगर उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.
भाजपा के पूर्व राज्य मंत्री व सांसद रहे कद्दावर दलित नेता सूबेदार प्रसाद पिछले एक सप्ताह से मोदी के संसदीय क्षेत्र में स्थित एक निजी अस्पताल में अपने जीवन के आखिरी पड़ाव पर जीवन सुरक्षा उपकरणों के सहारे हैं. 85 वर्ष की उम्र के पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सूबेदार प्रसाद अपने सरल स्वभाव को लेकर लोगों के बीच मंत्री जी के नाम से पुकारे जाते हैं.
दलित समुदाय से आने वाले सूबेदार प्रसाद उन दिनों जनसंघ में शामिल हुए थे जब बड़ी जाति के लोगों का दबदबा था लेकिन अपनी कर्मठता सरल स्वभाव के चलते उन्होंने न केवल तत्कालीन मिर्जापुर जनपद के दक्षिणी इलाके में रामप्यारे पनिका जैसे धाकड़ आदिवासी नेता के रहते तीन बार विधानसभा का चुनाव जीता और 1969 से लगातार तीन बार विधायक रहे और जनता पार्टी की सरकार में उद्योग मंत्री का पद संभाला.
जनसंघ के समर्पित नेता और लोकप्रिय विधायक होने के कारण आपातकाल में इंदिरा सरकार ने उन्हें 19 माह जेल में भी रखा. अपनी लोकप्रियता के चलते सूबेदार प्रसाद ने 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता रामप्यारे पनिका को इतने बड़े अंतर से हराया कि वे अपनी जमानत नहीं बचा सके.
सूबेदार प्रसाद के बारे में लोग आज भी बात करते है कि 70 के दशक में वन विभाग द्वारा इलाके के हजारों आदिवासियों किसानो की भूमि को धारा 20 के तहत उनसे जबरिया छिना जा रहा था तब सूबेदार प्रसाद ने ही इसका न केवल प्रबल विरोध किया बल्कि उनकी भूमि को वापस भी दिलाया वरना क्षेत्र में बहुत बड़ी संख्या में गरीब आदिवासी व किसान बिना जमीन के हो जाते.

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