अमिताभ बच्चन अर्श का सफर तय करके दोबारा फर्श पर आ चुके थे. लेकिन उनमें नियती से लड़ने का हौसला बरकरार था. इंडियन बोर्ड ऑफ इंड्रस्ट्रियल फायनेंसियल रिकंस्ट्र्क्शन ने अमिताभ की कंपनी एबीसीएल को दिवालिया करार दे दिया. इस बुरे वक्त में सहारा इंडिया के मुखिया सुब्रतो राय और उस वक्त समाजवादी नेता रहे अमर सिंह ने उनकी मदद को आगे आए. अमिताभ बच्चन ने सहारा इंडिया फायनेंस को अपना बंगला गिरवी रखकर कर्ज की रकम का इंतजाम किया.
अमिताभ बच्चन के पास फिल्में नहीं थी. कोई उन्हें नई फिल्म देने को तैयार नहीं था. स्टारडम एक झटके में खत्म हो चुका था. ऐसे मौके पर यश चोपड़ा ने उन पर भरोसा जताया और अपनी फिल्म मोहब्बतें में उन्हें रोल ऑफर किया.
अमिताभ बच्चन ने कभी कहा था, ‘उन दिनों हर वक्त मेरे सिर पर तलवार झूलती रहती थी. मैंने कई रातें जागकर बिताईं. एक सुबह मैं उठा और सीधे यश चोपड़ा के पास चला गया. मैंने उनसे कहा कि मैं दिवालिया हो चुका हूं. मेरे पास फिल्म नहीं है. मेरा घर और दिल्ली की कुछ प्रॉपर्टीज अटैच हो चुकी है. यशजी ने मेरी पूरी बात शांत होकर सुनी और अपनी फिल्म मोहब्बतें में एक रोल ऑफर किया. इसके बाद मैंने कुछ कर्मशियल एड, टेलीविजन शो और फिल्में करनी शुरू की. मैंने 90 करोड़ रुपए के कुल कर्ज को चुकता किया और एक बार फिर से नई शुरुआत की.’
2000 में वो एकबार फिर से एक्शन में दिखने लगे. स्टार प्लस के शो कौन बनेगा करोड़पति से उन्होंने बड़े पर्दे का मोह छोड़कर टेलीविजन पर अवतरित हुए. इसके पहले सीजन के 85 एपिसोड से अमिताभ बच्चन को 15 करोड़ की कमाई हुई. उसी वक्त पर उन्होंने आईसीआईसीईआई बैंक जैसे कुछ ब्रांड्स का एंडोर्समेंट कर अच्छी खासी कमाई की और कर्ज चुकता किया.
इसके बाद एक बातचीत में अमिताभ बच्चन ने कहा था, ‘मैं ये नहीं कहूंगा कि ये मेरी सेकेंड इनिंग्स है. मैं कहूंगा कि मुझे एक मौका मिला है खुद को दोबारा साबित करने का. हमलोग अब छाछ भी फूंक-फूंक कर पिएंगे. मैंने अपनी गलतियों से सबक लेना सीखा है. हम बुरे वक्त से गुजरे और अपनी असफलता को स्वीकार किया है. अब हम नई शुरुआत करना चाहते हैं.

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