1- मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर दायर याचिका में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव पर स्टे लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- OBC आरक्षण पर न हो इलेक्शन। साथ ही आदेश दिया है कि ओबीसी सीटों को फिर से नोटिफाई किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि यदि कानून का पालन नहीं किया जाएगा तो भविष्य में चुनाव रद्द भी किए जा सकते हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को की जाएगी।
2- गोरखपुर कॉलेज प्रबंधक के खिलाफ दलित उत्पीड़न समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है। खबर है कि जिले के गीडा थाना क्षेत्र के सेक्टर सात स्थित ताहिरा साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट में काम कर चुके असिस्टेंट प्रोफेसर श्याम चरण ने प्रबंधक चेयरमैन एवं मैनेजर शोएब अहमद पर दलित उत्पीड़न का आरोप लगाया है, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ मारपीट व दलित उत्पीड़न की धारा में केस दर्ज किया गया है।
3- मध्य प्रदेश के हरदाका की रहने वाली एक दलित महिला ने दबंगों द्वारा मंदिर के नल से पानी न भरने देने का आरोप लगाया है। महिला ने कहा है कि उसके घर के पास रहने वाले दो लोग उसे दलित होने का हवाला देकर मंदिर में लगे नल से पानी भरने से रोक रहे हैं। उसने पुलिस पर भी आरोप लगाते हुए कहा है कि पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जबकि पुलिस का कहना है कि वह आरोपियों को अभी तक ढूंढ नहीं पाई है, इसलिए उसका बयान दर्ज नहीं हो पाया है।
4- बसपा सुप्रीमो मायावती ने निजीकरण का विरोध करते हुए सत्ताधारी बीजेपी सरकार का विरोध करते हुए ट्विट कर कहा है कि ‘बीएसपी गरीब मेहनतकश जनता का दुख-दर्द समझती है। इसीलिए पूंजीपतियों के धन में विकास के बजाय देश की पूंजी में विकास चाहती है ताकि आमजन व देश का भला हो सके। इसी क्रम में सरकारी बैंक के निजीकरण की समर्थक नहीं, जबकि भाजपा जल्दबाजी करके निजीकरण में ही वयस्त है यह अति दुखद है’।
वहीँ, गंगा एक्सप्रेस के शिलान्यास के बाद मायावती ने सपा, कांग्रेस और बीजेपी को आड़े हाथ लेते हुए ट्वीट कर कहा, हमारी योजना पर सपा, कांग्रेस व भाजपा ने अडंगा लगाया और उसका विरोध किया और अब यही विधानसभा चुनाव आने पर गंगा एक्सप्रेस-वे को टुकड़ों में बांटकर उसका शिलान्यास किया जा रहा है।
![](https://www.dalitdastak.com/wp-content/uploads/2020/12/DD-logo.jpg)
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
![](https://www.dalitdastak.com/wp-content/uploads/2020/12/PLATE.jpg)