बागेश्वर। चक्की छूने पर दलित सोहनराम की हत्या की घटना के बाद भेटा गांव के लोग दहशत में हैं. डर के मारे दलितों के बीस बच्चे पिछले पांच दिनों से स्कूल नहीं गए हैं. छात्रों के आरोप है आनंद कर्नाटक उन्हें उनके वास्तविक नाम से नहीं पुकारता है. वह जानवरों के नाम लेकर उन्हें बुलाता और पढ़ाता है. अभिभावकों का कहना है कि बच्चे उससे बेहद डरते है. भेंटा में अनुसूचित जाति के लोग रहते हैं. गांव के इंटर कॉलेज में दलितों के 20 बच्चे पढ़ते हैं.
सोहन राम की हत्या के केस में राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा कि दलितों के साथ भेदभाव करने वाले शिक्षकों का पूरा डाटा तैयार किया जाए. भेटा के स्कूल में अनुसूचित जाति के बच्चों को मवेशियों के नाम से पुकारने की जांच होनी चाहिए. टम्टा ने फास्ट ट्रेक कोर्ट गठित करने की मांग की. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पीड़ित परिवार को अन्य प्रदेशों की तरह मुआवजा दें. उन्होंने कहा कि मृतक की पत्नी आठवीं पास हैं, उसे सरकार नौकरी दे.
गौरतलब है कि 5 अक्टूबर को दलित समाज से ताल्लुक रखने वाला सोहन राम कुंदन सिंह भंडारी (35 वर्ष) की चक्की पर गेहूं पिसवाने आया था. इसी दौरान भेटा गांव निवासी पेशे से शिक्षक ललित कर्नाटक भी आटा चक्की पर आ गया. वहां पहले से मौजूद सोहन राम को देखकर जातीय दंभ से भरे ललित कर्नाटक ने उसे जाति सूचक शब्द कह दिया. साथ ही उसने यह भी कहा कि सोहन के आने से चक्की अशुद्ध हो गयी है. सोहन राम ने सवर्ण शिक्षक का विरोध किया. दलितों के प्रति जन्मजात घृणा से भरे उस शिक्षक को यह बर्दास्त नहीं हुआ और उसने पास ही पड़ी दराती उठाकर सोहन की गर्दन पर वार कर दिया. दराती के वार से सोहन की गर्दन एक तरफ लटक गई. जमीन पर गिरकर वह तड़पने लगा और तुरंत ही उसकी मौत हो गई.

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