अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी की आने वाली फिल्म में लेखक ‘मंटो’ के किरदार को जीवंत करना हो या फिल्म ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ में अब तक का सबसे ‘बेशर्म’ किरदार निभाना हो, अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी उन फिल्मों का हिस्सा बन रहे हैं, जो अब तक राज रहे पहलुओं को उजागर करने का काम कर रही हैं. जहां मौजूदा दौर में बड़े बजट में बनी फिल्म ‘बाहुबली’ ने भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक नई मिसाल पेश की है, वहीं बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता का कहना है कि किसी फिल्म को करने का फैसला वह उसके बजट, उससे जुड़े निर्देशक या कलाकारों को देख कर नहीं करते हैं.
उन्होंने कहा कि फिल्म चाहे कितनी ही बड़ी हो या इससे चाहे कितने ही मशहूर निर्देशक जुड़े हों, लेकिन जब तक उन्हें फिल्म समझ में नहीं आती, वह नहीं करते हैं. नवाजुद्दीन के मुताबिक, “अगर कोई कहता है कि यह 50 करोड़ रुपये के बजट वाली या 70 करोड़ रुपये बजट वाली फिल्म है, तो मैं उसे छोड़ दूंगा और 50 लाख रुपये बजट वाली फिल्म करूंगा, क्योंकि संतुष्टि मेरे लिए बहुत मायने रखती है. शायद 50 करोड़ रुपये की फिल्म उस अभिनय क्षमता के नए पहलू को दिखाने का मौका न दे, जो एक छोटे बजट की फिल्म दे सकती है.

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