1500 लोगों ने अपनाया बौद्ध धर्म, ज्यादातर दलित, एक मुस्लिम

मेरठ। उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्वामी विवेकानंद सुभारती यूनिवर्सिटी में बुधवार को सैकड़ों लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाया. इस आयोजन में छह हजार लोगों ने हिस्सा लिया. सुभारती यूनिवर्सिटी के मालिक डॉक्टर अतुल कृष्ण ने जहां इसे अहिंसा और प्रेम के संदेश देने के मसकद से उठाया गया कदम बताया. वहीं बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने आए कई लोगों ने इसको दलित हिंसा में हुए उत्पीड़न से जोड़ा. उनका कहना था कि दलितों पर हुए अत्याचार खासकर दो अप्रैल की हिंसा से वह परेशान हैं. बौध विद्वान डॉक्टर चंन्द्रकीर्ति भंते का कहना है कि लोगों ने स्वेच्छा से बौध धर्म की दीक्षा ली है. जातिविहीन समाज की स्थापना की कोशिश सरकार को करनी चाहिए.

दरअसल, सुभारती यूनिवर्सिटी के बौद्ध उपवन में बुधवार मेरठ और आसपास के जिलों से सैकड़ों लोग पहुंचे. हिंदू धर्म से ताल्लुक रखने वाले इन लोगों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली. सुभारती यूनिवर्सिटी के सर्वेसर्वा डॉक्टर अतुल कृष्ण ने कई महीने पहले धर्मांतरण का यह अभियान छेड़ा था. आज डेढ़ हजार से ज्यादा लोग बौद्ध धम्म दीक्षा कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने बौद्ध भिक्षुओं की मौजूदगी में हिंदू धर्म से अलग होकर डॉक्टर अतुल कृष्ण और उनके परिवार की अगुवाई में बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया.

आयोजकों का दावा है कि यह एक अराजनीतिक आयोजन था और लोगों ने स्वेच्छा से बौद्ध धर्म स्वीकार किया. सुभारती की मीडिया टीम के सदस्य अनम कान शेरवानी ने बताया कि कुल छह हजार लोगों ने प्रोग्राम में हिस्सा लिया, जिसमें से 1500 से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली. अतुल कृष्ण का कहना है कि बौद्ध धर्म अनत्व, मैत्री, भाईचारे, करूणा प्रेम का है, यहां भेदभाव नहीं होता. इसमें इंसान का इंसान के प्रति प्रेम पर महत्व दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने परिवार के साथ इस धर्म को अपनाया है. करीब 1500 और लोगों इसे अपनाने वाले शामिल रहे हैं. देश और समाज की एकता के लिए इस धर्म को अपनाया जाना चाहिए.’

बौद्ध धर्म अपनाने वाले एक बुजुर्ग मामराज ने कहा, ‘हम स्वेच्छा से धर्म बदल रहे हैं. हम दलित हैं. दो अप्रैल को हमारे समाज के लोगों के खिलाफ झूठे मुकदमे लिखकर जेल भेजा गया. उत्पीड़न किया गया.’ वहीं एक अन्य व्यक्ति रमेश का कहना था, ‘समाज में हमें हीन भावना से देखा जाता था. चंद साल पहले हमारे समाज के लोगों ने सिख धर्म स्वीकार कर लिया था. तब हर कोई सम्मान से सरदार जी कहकर पुकारता था. नहीं तो जातिवादी मानसिकता रखते हैं.’ बाकी लोगों के साथ मुजफ्फरनगर जिला निवासी सरदार अली ने भी बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है.

धर्मांतरण अनुष्ठान का नेतृत्व कर रहे बौध विद्वान डॉ चंन्द्रकीर्ति ने कहा कि हालंकि इस आयोजन में लोग स्वेच्छा से शामिल हुए. लेकिन पिछले दिनों अनुसूचित जाति के लोगों पर हुए अत्याचार का असर भी धर्मांतरण के तौर पर दिखा है. उनका मानना है कि इतनी बड़ी तादात में हिंदुओं के धर्मांतरण के बाद सरकार पर भी इसका असर पड़ेगा और सरकार सोचने को मजबूर होगी. देश को विकसित करने के लिए सरकार और रातनीतिज्ञों को जातिविहीन समाज की स्थापना करनी चाहिए. विदेशों में नस्लभेद आदि कम हुआ है, कुछ जगह मिट गया है, ऐसे आयोजन से भारत में भी भेदभाव की स्थित में कमी आएगी.

Read it alsoबिहार में महागठबंधन को लेकर अपने पत्ते नहीं खोलना चाहती बसपा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.