Sunday, June 29, 2025
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महादलितों के पूजा करने पर उच्च जाति के लोगों ने पीटा और घरों पर किया पथराव

बिहार शरीफ। बिहार में लक्ष्मी पूजा करने पर उच्च जाति के लोगों ने रविवार को महादलितों को रोका. विरोध करने पर पिटाई की. उनके घरों पर पथराव किया. इससे गांव में तनाव बढ़ गया है. इसमें महादलितों के छह से ज्यादा लोग घायल हो गए. घटना के चलते पुलिस छावनी में गांव तब्दील हो गया है.

पुलिस के मुताबिक रविवार को महादलित लक्ष्मी पूजा के बाद प्रसाद वितरण कर रहे थे. इस दौरान गांव के दबंगों ने उन्हें रोका. इस पर दोनों पक्षों में विवाद हो गया. उच्च जाति के लोगों ने महादलितों को पीटा और उनके घरों पर पथराव किया. इसमें महादलित परिवार की सुशीला देवी, बुलेटन पासवान, धर्मवीर कुमार, अजीत कुमार और लवली कुमारी घायल हो गए. इनका इलाज गांव के निजी क्लीनिक में कराया जा रहा है. विवाद बढ़ने की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची.

गांव में परंपरा चली रही थी कि मूर्ति स्थापित होने के बाद गांव में उसे घुमाया जाता है उसके बाद मूर्ति को मंदिर में स्थापित की जाती है. तनाव के मद्देनजर जिला प्रशासन ने मूर्ति को मंदिर में स्थापित करा दिया और आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम पर रोक लगा दी है.

पुत्र की नौकरी लगने पर दिया था मूर्ति का चंदा 

महादलित परिवार की सुशीला देवी के पुत्र संतोष कुमार की सिपाही की नौकरी लगी थी. महिला ने मन्नत मांगी थी कि पुत्र की नौकरी होने पर वह लक्ष्मी की मूर्ति का खर्च देगी. महिला के पैसे से गांव में मूर्ति बिठाई गई. महिला जब अपने परिवार के साथ पूजा-अर्चना करने गई तो उच्च जाति के लोगों ने उसे पूजा करने और प्रसाद बांटने से मना कर दिया. इसके बाद परिवार के सभी सदस्यों को मार-पीटकर वहां से खदेड़ दिया गया.

पंचायत ने 2002 से लगा रखी थी पूजा पर रोक: महादलित परिवार के रविन्द्र रविदास ने बताया कि वर्ष 2002 में पूजा करने को लेकर उच्च जाति के लोगों ने गोलीबारी की थी. वे महादलित और दलित परिवारों को मंदिर में पूजा करने नहीं देते हैं. बवाल के बाद पंचायत ने फैसला सुनाया था कि कोई भी महादलित परिवार मूर्ति पूजा में शामिल नहीं होगा.

कायम रहेगी परंपरा, नहीं पूजा करने दूंगा: उच्च जाति के दिनेश सिंह, रविन्द्र यादव समेत अन्य ने बताया कि पूर्वजों के जमाने से गांव में यह परंपरा चली रही है कि महादलित को गांव के लक्ष्मी स्थान में पूजा नहीं करने दिया जाएगा. यह परंपरा कायम रहेगी. किसी के चंदा देने से क्या होता है. वे लोग महादलित को पूजा करने नहीं देंगे.

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