बगदाद। इराकी सेना जल्द ही मोसुल को इस्लामिक स्टेट यानि आईएस आतंकियों के कब्जे से छु़ड़ाने में कामयाब होने वाली है. अंतिम चरण के संघर्ष के बीच संयुक्त राष्ट्र ने करीब 20 हजार निर्दोष नागरिकों के आतंकियों के कब्जे में होने की बात कही है. भागने की कोशिश करने वालों को आतंकियों गोली मार रहे हैं.
इराकी सेना ने मोसुल को आतंकियों से आजाद कराने के लिए 8 महीने पहले अभियान चलाया था. इसमें अमेरिकी सेना भी उनकी मदद कर रही है. आईएस मोसुल के पुराने इलाके के एक क्षेत्र में सिमट गया है, जिसे छु़ड़ाने के लिए सेना को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है. इराक में मानवीय मदद पहुंचाने के अभियान की संयोजक लिज ग्रांडे ने बताया कि द्विपक्षीय संघर्ष में हजारों नागरिक फंसे है.उन्होंने बताया कि यूएन के आंकलन के अनुसार, आईएस के कब्जे वाले पुराने शहर में 15 से 20 हजार नागरिक आतंकियों के कब्जे में हैं.
ग्रांडे के अनुसार, ‘संघर्ष वाले क्षेत्र में फंसे लोग खौफनाक हालात में हैं. बमबारी और लगातार गोलीबारी के चलते इन लोगों को खतरनाक स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। आईएस लड़ाके अब भी वहां मौजूद हैं, जो भागने वालों को निशाना बना रहे हैं.’ गौरतलब है कि इस खूनी संघर्ष के चलते 9.15 लाख लोगों को घर-बार छो़ड़ कर भागना पड़ा है. इनमें से 7 लाख लोग अब भी विस्थापित हैं. ग्रांडे ने युद्धग्रस्त क्षेत्र के पुनर्निर्माण पर उम्मीद से कहीं ज्यादा खर्च आने की बात कही है.
ब्रिटेन में बना जिहादी जेल
अमेरिका के ग्वांतानामो बे की ही तर्ज पर ब्रिटेन ने आतंकियों के लिए विशेष सेल बनाया है. इसे ‘जिहादी जेल’ का नाम दिया गया है. यह कदम ब्रिटिश जेलों में बंद कैदियों को कट्टरपंथी बनाने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए उठाया गया है. खबरों के अनुसार, ऐसा पहला सेल डरहम के समीप एचएमपी फ्रैंकलैंड में बनाया जा चुका है. एचएमपी फुल सटन (यॉर्क) और एचएमपी लांग लार्टिन (वर्केस्टरशायर) में भी ऐसे दो सेल बनाए जाएंगे. तीनों सेल में 28 सबसे ज्यादा कुख्यात आतंकियों को रखा जाएगा. ब्रिटिश जेल मंत्री सैम गिमाह ने बताया कि आतंकवाद के किसी भी रूप को खत्म करना जरूरी है. लिहाजा ऐसे कैदियों को अलग सेल में रखा जाएगा.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।