नई दिल्ली। सामाजिक न्याय को लेकर आयोजित नेशनल कन्वेंसन राजधानी दिल्ली के कंस्टीट्यूशन क्लब में मंगलवार 29 जनवरी को हुआ. इस आयोजन में 10 प्रतिशत असंवैधानिक आरक्षण और विश्वविद्यालयों में लागू 13 प्वाइंट रोस्टर पर चर्चा की गई. चर्चा में मुख्य रूप से बिहार में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, जस्टिस विश्वरैया, दिल्ली सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, बामसेफ अध्यक्ष वामन मेश्राम, गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवाणी, हिन्दू कॉलेज, दिल्ली विवि के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल, पूर्व राज्यसभा सांसद अनवर अली और वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल, अनिल जयहिंद और सूरज मंडल ने अपने विचार रखे. इस दौरान सभी वक्ताओं ने केंद्र सरकार की नीतियों पर जमकर हमला बोला.
तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सत्ता में मनुवादी सोच वाले गोवलकर और गोडसे की संतान बैठे हैं. ऐसे में देश को बचाने के लिए सबको साथ आना होगा. बाबासाहेब ने दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण दिलवाया, जिसकी बदौलत हम यहां तक पहुंचे हैं. हमें बाबासाहेब के सपनों को पूरा करना होगा. उन्होंने कहा कि देश की जनता को सांसदों से सवाल पूछना चाहिए कि उन्होंने 10 प्रतिशत आरक्षण का विरोध क्यों नहीं किया. उन्होंने बहुजन समाज का आवाह्न करते हुए कहा कि हमें जगदेव बाबू के विचारों पर चलना होगा. उन्होंने कहा था कि 100 में 90 शोषित है, नब्बे भाग हमारा है.
अपने पिता का जिक्र करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारे पिता शेर हैं और हमें उन पर गर्व है. हमने कभी समझौता नहीं किया है. चुनाव में चाहे एक सीट आए, हम विचारों से समझौता नहीं करेंगे. तेजस्वी ने समान विचार वाले सभी लोगों को साथ लेकर आने की बात कही.
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने कहा कि अपने 35 सालों के पत्रकारिता में मैंने आवाम को इतना समझदार नहीं देखा. पहले आवाम समझदार नहीं होती थी, नेता उन्हें समझाता था, अब आवाम समझदार है और वह अपने नेता को समझाती है. उन्होंने कहा कि आज का बहुजन सचेत है. वरिष्ठ पत्रकार ने 10 फीसदी असंवैधानिक आरक्षण पर राष्ट्रीय जनता दल के रुख की तारीफ करते हुए कहा कि राजद इकलौती ऐसी पार्टी है, जिसने इसके खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने बाबासाहेब के द्वारा आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग के संदर्भ में दिए गए तर्क में बताया. उन्होंने उन वाम विचार वाले पत्रकारों को भी निशाने पर लिया जो या तो इस मुद्दे पर चुप हैं या इसका समर्थन कर रहे हैं.
राजेंद्र पाल गौतम
राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर पूरी तरह से साथ है और हम लोकसभा से लेकर राज्यसभा तक में 13 प्वाइंट रोस्टर के मुद्दे को उठाएंगे. उन्होंने बहुजन समाज का आवाह्न करते हुए कहा कि हम आज डरेंगे तो कैसे लड़ेंगे. गौतम ने कहा कि अगर हम नहीं लड़ें तो आने वाली पीढ़ियां हमें कोसेंगी, ये न्याय की लड़ाई है. उन्होंने कहा कि बहुजन समाज के लोगों को सभी दलित सांसदों के घर को घेरना होगा और उनसे सवाल पूछना होगा.
डॉ. रतन लाल
दिल्ली विवि के हिन्दू कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर और एक्टिविस्ट रतन लाल ने दलित नेताओं की जमकर खबर ली. उन्होंने रामविलास पासवान और रामदास अठावले को घेरा. उन्होंने कहा कि यह कांफ्रेंस नहीं बल्कि महासंग्राम का ऐलान है. रतन लाल ने कहा कि मोदी सरकार ने 13 प्वाइंट रोस्टर लाकर 50 हजार दलित, ओबीसी और आदिवासी समाज के भावी प्रोफेसरों की हत्या कर दी है. उन्होंने वहां मौजूद जनता का आवाह्न करते हुए कहा कि रोस्टर पर भारत भर में चक्का जाम हो जाना चाहिए.
जस्टिस इश्वरैया ने कहा कि आज संविधान का रेप हो रहा है. सबको मिलकर इस सरकार को सबक सिखाना है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति नहीं रूकी तो देश में सिविल वार हो जाएगा.
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने कहा कि ये प्रतिक्रांति का दौर है. 10 फीसदी आरक्षण पर उन्होंने हमला बोलते हुए इसकी संवैधानिकता पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि सवर्ण समाज का भिखारी भी आशिर्वाद देता है. अब संविधान बचाने का सवाल है, अगर एकलव्य का अंगूठा बचाना है तो रोस्टर का विरोध करना ही होगा. अगर रोस्टर लागू हो गया तो युनिवर्सिटी गुरूकुल बन जाएगा.
जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि नागपुर में बैठे द्रोणाचार्यों के इशारे पर दिल्ली में बैठे दुर्योधन और दुस्सासन 10 फीसदी आरक्षण और 13 प्वाइंट रोस्टर जैसे कानून लागू कर रहे हैं. तो वहीं पूर्व राज्यसभा सांसद अनवर अली ने कहा कि सरकार के इस कदम से रीढ़ की हड्डी चोटिल हुई है.
राज्यसभा सांसद और राजद नेता मनोज झा ने कहा कि जब मैं 10 फीसदी आरक्षण के खिलाफ बोल रहा था तो सवर्ण समाज के लोगों ने ही मेरी आलोचना की. लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि तब मैं न किसी के पक्ष में बोल रहा था और न ही किसी के विपक्ष में, मैं सिर्फ संविधान के पक्ष में बोल रहा था. हम इस मुद्दे पर हुजुम के खिलाफ गए क्योंकि हमें बाबासाहेब के संविधान की रक्षा करनी थी. उन्होंने कहा कि मुल्क संसद की ताकत से नहीं बल्कि सड़क की ताकत से चलेगा.
इस दौरान वामन मेश्राम ने भी अपने संगठन बामसेफ के इस पूरे आंदोलन में साथ होने का ऐलान किया. उन्होंने ईवीएम के खिलाफ चलाए जाने वाले अपने अभियान की भी जानकारी दी. कंस्टीट्यूशन क्लब में हुए इस सेमिनार में पूरा हॉल खचाखच भरा हुआ था.
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