सहारनपुर के शब्बीरपुर के रहने वाले और हमले में घायल अग्नि भास्कर को इस हमले के बाद समझ में आया कि जातिवादी सवर्ण बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर से कितनी घृणा करते हैं. दलितों के साथ छूआछूत तो आम था लेकिन एक ही साथ रहने वाले लोग सिर्फ जाति के आधार पर दलितों से कितनी नफरत करते हैं, वो उन्हें 5 मई को समझ आया.
भास्कर बताते हैं कि वो अपने परिवार के साथ खेत से तुरंत लौटकर आए थे. तभी अचानक शोर हुआ. भास्कर कुछ समझ पाते इससे पहले ही उनके पूरे परिवार पर हमला हो गया. गांव के ही ठाकुर सरिया और तलवार से भास्कर को उनके पूरे परिवार को पीटने लगे. भास्कर को सबसे ज़्यादा इसीलिए मारा गया क्योंकि वो बाबा साहेब की मूर्ति बना रहे थे.
बाबासाहेब की मूर्ति देखते ही ठाकुर भड़क गए और भास्कर पर एक साथ कई लोग टूट पड़े. अम्बेडकर से जलने की उनकी वजह यह भी है कि बाबासाहेब ही वो शख्स हैं जिन्होंने देश के बहुजनों, दलितों-पिछड़ों को संबल देने का कानून बनाया था. हमलावर यह भी कहते रहे कि अम्बेडकर की वजह से ही दलितों का मन बढ़ गया है.

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