खुद को अंबेडकरवादी आंदोलन का सिपाही कहने वाला कोई व्यक्ति जब तेलंगाना में जाता है, खासतौर पर हैदराबाद में, तो उसकी एक कोशिश पूर्व आईपीएस अधिकारी और एससी-एसटी सोशल वेलफेयर एंड एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के सेक्रेट्री रहे आर.एस.प्रवीण कुमार से मिलने की जरूर होती है। क्योंकि सोशल वेलफेयर इंस्टीट्यूट का सेक्रेट्री रहने के दौरान उन्होंने जिस तरह तेलंगाना में लाखों एससी-एसटी बच्चों की जिंदगी बदल कर रख दी, उसकी चर्चा दुनिया भर में हुई थी।
लेकिन भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद 27 जुलाई को जब हैदराबाद पहुंचे, तो उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी कविता से मुलाकात की। वो के. चंद्रशेखर राव, जिसके सामने आर.एस प्रवीण मजबूती से खड़े हैं। आईपीएस की नौकरी छोड़कर बहुजन समाज पार्टी में शामिल होकर राजनीति शुरू करने वाले आर.एस. प्रवीण तेलंगाना के बहुजनों के हकों के लिए लड़ रहे हैं।
तो क्या दिल्ली के जंतर-मंतर पर 21 जुलाई को अपनी ताकत दिखाने के बाद चंद्रशेखर आजाद चार राज्यों के विधानसभा चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले जिस तरह राजनीति के पुराने खिलाड़ियों के बीच अपनी धमक कायम करना चाहते थे, उसकी शुरूआत हो गई है? कमोबेश लग तो कुछ ऐसा ही रहा है। लेकिन चंद्रशेखर का यह कदम बहुजनों को रास नहीं आ रहा है और बहुजन समाज के लोग चंद्रशेखर को जमकर ट्रोल कर रहे हैं।
दरअसल कुछ समय पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने संविधान में बदलाव की बात कही थी, जिसका अंबेडकरी समाज के भीतर भारी विरोध हुआ था। उसी के.सी.आर की सरकार का समर्थन करना और उनकी बेटी से मुलाकात करने को बहुजन समाज के लोग पचा नहीं पा रहे हैं।
इंजीनियर स्नेहा नाम की ट्विटर यूजर का कहना है कि बहुजन आंदोलन को कमजोर करने तेलगांना पहुंचे चंद्रशेखर! क्या संविधान बदलने की बात करने वाले KCR को मिलेगा अब भीम आर्मी का साथ? क्या प्रवीण कुमार से डर गए है KCR? क्या KCR चंद्रशेखर का कर रहे है उपयोग?
तो क्या स्नेहा के उठाए सवाल सही हैं? क्या केसीआर आर.एस. प्रवीण के मैदान में उतरने के बाद तेलंगाना में बहुजन समाज पार्टी की बढ़ती ताकत से डरे हुई हैं। और दलित वोटों को अपने पाले में रोके रखने के लिए चंद्रशेखर आजाद के चेहरे का सहारा लेना चाहती है?
इससे इंकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि राजनीति में कुछ भी यूं ही नहीं होता। यूं ही कोई सहारनपुर से हैदराबाद नहीं पहुंच जाता। और इसकी तस्दीक केसीआर की बेटी कविता जो कि विधान परिषद की सदस्य भी हैं, उनके ऑफिस से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति को देखने से साफ हो जाता है। इस विज्ञप्ति में कहा गया है कि दोनों नेताओं यानी चंद्रशेखर और कविता ने अपनी-अपनी नीतियों और तेलंगाना में बहुजनों और दलितों के लिए राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यक्रमों पर चर्चा की। इसमें कहा गया है कि आजाद ने राज्य सरकार की महत्वकांक्षी दलित बंधु योजना की विशेष प्रशंसा की।
इस विज्ञप्ति से साफ है कि केसीआर की सरकार चंद्रशेखर के सहारे दलितों के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं को और हाल ही में हैदराबाद में बनी बाबासाहेब आंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा को प्रचारित करना चाह रही है। साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती के बरक्स एक अन्य दलित चेहरे चंद्रशेखर की मुहर लगावाना चाह रही है।
अपने इस दौरे में चंद्रशेखर आजाद का बाबासाहेब के स्टैच्यू से करीब चार मिनट का एक वीडियो स्टेटमेंट भी सामने आया है, जिसमें वह केसीआर की सरकार को अपना समर्थन देते हुए दिखाई दे रहे हैं। उसके भविष्य की बेहतर कामना करते हुए नजर आ रहे हैं।
अब अगर चंद्रशेखर इस मुलाकात को गैर राजनीतिक मुलाकात कह कर अपना हाथ झटकने की कोशिश करेंगे तो सवाल उठेगा कि फिर इतनी राजनीतिक बातें क्यों?
इस बीच सोशल मीडिया पर भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद का एक पुराना ट्विट भी वायरल हो रहा है, जिसमें चंद्रशेखर ने केसीआर पर जमकर निशाना साधा था।
27 जनवरी 2020 को किये इस ट्विट में चंद्रशेखर ने तेलंगाना की सरकार को तानाशाह बताया था। उन्होंने ट्विट किया था- तेलंगाना में तानाशाही चरम पर है, लोगों के विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार को छीना जा रहा है। पहले हमारे लोगों को लाठियां मारी गई, फिर मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। अब मुझे एयरपोर्ट ले आएं हैं, दिल्ली भेज रहे हैं। @TelanganaCMO याद रखे बहुजन समाज इस अपमान को कभी नहीं भूलेगा। जल्द वापिस आऊंगा।
लेकिन चंद्रशेखर ऐसे आएंगे, यह किसको पता था।

अशोक दास ‘दलित दस्तक’ के फाउंडर हैं। वह पिछले 15 सालों से पत्रकारिता में हैं। लोकमत, अमर उजाला, भड़ास4मीडिया और देशोन्नति (नागपुर) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों से जुड़े रहे हैं। पांच साल (2010-2015) तक राजनीतिक संवाददाता रहने के दौरान उन्होंने विभिन्न मंत्रालयों और भारतीय संसद को कवर किया।
अशोक दास ने बहुजन बुद्धिजीवियों के सहयोग से साल 2012 में ‘दलित दस्तक’ की शुरूआत की। ‘दलित दस्तक’ मासिक पत्रिका, वेबसाइट और यु-ट्यूब चैनल है। इसके अलावा अशोक दास दास पब्लिकेशन के संस्थापक एवं प्रकाशक भी हैं। अमेरिका स्थित विश्वविख्यात हार्वर्ड युनिवर्सिटी में आयोजित हार्वर्ड इंडिया कांफ्रेंस में Caste and Media (15 फरवरी, 2020) विषय पर वक्ता के रूप में शामिल हो चुके हैं। भारत की प्रतिष्ठित आउटलुक मैगजीन ने अशोक दास को अंबेडकर जयंती पर प्रकाशित 50 Dalit, Remaking India की सूची में शामिल किया था। अशोक दास 50 बहुजन नायक, करिश्माई कांशीराम, बहुजन कैलेंडर पुस्तकों के लेखक हैं।
देश के सर्वोच्च मीडिया संस्थान ‘भारतीय जनसंचार संस्थान,, (IIMC) जेएनयू कैंपस दिल्ली’ से पत्रकारिता (2005-06 सत्र) में डिप्लोमा। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एम.ए हैं।
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Ashok Das is the founder of ‘Dalit Dastak’. He is in journalism for last 15 years. He has been associated with reputed media organizations like Lokmat, Amar Ujala, Bhadas4media and Deshonnati As a political correspondent for five years (2010-2015). He covered various ministries and the Indian Parliament.
Ashok Das started ‘Dalit Dastak’ with a group of bahujan intellectual in the year 2012. ‘Dalit Dastak’ is a monthly magazine, website and YouTube channel. Apart from this, Ashok Das is also the founder and publisher of ‘Das Publication’. He has attended the Harvard India Conference held at the world-renowned Harvard University in America as a speaker on the topic of ‘Caste and Media’ (February 15, 2020). India’s prestigious Outlook magazine included Ashok Das in the list of ‘50 Dalit, Remaking India’ published on Ambedkar Jayanti. Ashok Das is the author of 50 Bahujan Nayak, Karishmai Kanshi Ram, Ek mulakat diggajon ke sath and Bahujan Calendar Books.
