महू। दलितों के हक और समाज में समानता के लिए पूरी जिंदगी लडऩे वाले बाबासाहेब अम्बेडकर की जन्मस्थली पर एक दलित छात्र को प्रोफेसर द्वारा जातिसूचक शब्द कहने का मामला सामने आया है. मामले के मुताबिक महू के एडवांस टेक्निकल कॉलेज में प्रोफेसर विक्रम सिंह ठाकुर ने एक दलित छात्र के लिए जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया.
प्रोफेसर द्वारा जातिसूचक शब्द के इस्तेमाल का छात्रों ने विरोध किया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. लेकिन बाद में छात्र नेता प्रोफेसर ठाकुर के खिलाफ शिकायत इस शर्त पर वापस लेने के तैयार हो गए कि वो बाबासाहेब अम्बेडकर की जन्मस्थली पर जाकर उनकी प्रतिमा के सामने कान पकड़कर माफी मांगेंगे. छात्रों ने प्रोफेसर ठाकुर से बाबसाहेब अम्बेडकर की प्रतिमा के सामने भविष्य में ऐसी हरकत न करने की शपथ भी दिलवाई.
भारतीय संविधान के अनुसार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए जाति सूचक शब्द का प्रयोग दंडनीय अपराध है. द शेड्यूल कास्ट्स एंड ट्राइब्स (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज) एक्ट के तहत छुआछूत दूर करने के लिए एससी/एसटी के तहत आने वाली जातियों के लिए जाति सूचक शब्दों के प्रयोग पर प्रतिबंध है.

दलित दस्तक (Dalit Dastak) साल 2012 से लगातार दलित-आदिवासी (Marginalized) समाज की आवाज उठा रहा है। मासिक पत्रिका के तौर पर शुरू हुआ दलित दस्तक आज वेबसाइट, यू-ट्यूब और प्रकाशन संस्थान (दास पब्लिकेशन) के तौर पर काम कर रहा है। इसके संपादक अशोक कुमार (अशोक दास) 2006 से पत्रकारिता में हैं और तमाम मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Bahujanbooks.com नाम से हमारी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को सोशल मीडिया पर लाइक और फॉलो करिए। हम तक खबर पहुंचाने के लिए हमें dalitdastak@gmail.com पर ई-मेल करें या 9013942612 पर व्हाट्सएप करें।