दिल्ली। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए आदिवासी परिवार को न्यौता भेजा है। जिसके बाद 22 जनवरी को यह परिवार दिल्ली पहुंच चुका है। 26 जनवरी की परेड में शामिल होने के लिए छत्तीसगढ़ के कवर्धा के बैगा आदिवासी परिवारों को राष्ट्रपति भवन की ओर से न्यौता भेजा गया था। बैगा आदिवासी सबसे पिछड़ी हुई आदिवासी जनजाति में से एक हैं। राष्ट्रपति मुर्मू की ओर से जिन तीन परिवारों को निमंत्रण भेजा गया है, इसमें से कई ऐसे हैं जो पहली बार दिल्ली आए हैं।
इस दौरान राष्ट्रपति इनसे मुलाकात करेंगी, साथ ही वो इन मेहमानों के साथ डिनर भी करेंगी। दिल्ली में इन परिवारों को चुनिंदा जगहों को दिखाने का भी प्लॉन है।
राष्ट्रपति द्वारा निमंत्रण मिलने से ये सभी काफी खुश हैं। गणतंत्र और लोकतंत्र की ताकत भी यही है कि जिन जगहों पर दलित औऱ वंचित समाज की इंट्री बैन थी, अब वहां उन्हें आमंत्रित किया जा रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू खुद आदिवासी समाज से आती हैं, ऐसे में निश्चित तौर पर उन्होंने एक उदाहरण पेश किया है।
हालांकि राष्ट्रपति ने जिन आदिवासी परिवारों को दिल्ली बुलाया है, उनसे जुड़ा एक वीडियो सामने आया है, जिसमें न उनके पास ढंग का घर दिख रहा है और न ही घरों तक सड़क ही पहुंच पाई है। ऐसे में क्या राष्ट्रपति के इस निमंत्रण का फायदा इस समाज को मिलेगा, और उनको बुनियादी सुविधाएं मिल पाएंगी? अगर ऐसा होता है तो इस निमंत्रण की सार्थकता है, वरना यह निमंत्रण एक राजनीतिक स्टंट बन कर रह जाएगा और चार दिन की दिल्ली की चांदनी से वापस लौटकर यह परिवार फिर उसी गरीबी और बदहाली में पहुंच जाएगा।

सिद्धार्थ गौतम दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं। पत्रकारिता और लेखन में रुचि रखने वाले सिद्धार्थ स्वतंत्र लेखन करते हैं। दिल्ली में विश्वविद्यायल स्तर के कई लेखन प्रतियोगिताओं के विजेता रहे हैं।