गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विशेषज्ञ रहे डा. कफील खान एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हालांकि सुर्खियों में वे यूपी सरकार की दमनकारी नीतियों के चलते गिरफ्तारी और अपनी समाजसेवाओं के लिए पहले से रहते रहे हैं। परंतु, इस बार सुर्खियों में उनके बने रहने की बड़ी वजह यह कि समाजवादी पार्टी ने उन्हें देवरिया कुशीनगर स्थानीय निकाय से विधान परिषद का उम्मीदवार बनाया है। यह पहला मौका है जब डा. कफील खान सियासी संग्राम में शरीक होंगे।
बताते चलें कि डा. कफील खान की पहचान एक जुझारू चिकित्सक की रही है। वह आमलोगों के बीच आम आदमी के डाक्टर के रूप में भी प्रसिद्ध रहे हैं। फिर चाहे वह कोविड की महामारी हो या फिर बिहार में बाढ़ के कारण फंसे लोगों की सेवा, डा. कफील सभी जगह नजर आए और पूरे देश में उनकी अलग पहचान बनी।
हालांकि डा. कफील खान उत्तर प्रदेश सरकार के निशाने पर भी रहे। यहां तक कि उन्हें गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण बच्चों की मौत मामले अभियुक्त भी बनाया गया और गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जबकि उन्होंने न केवल बच्चों को बचाने की पूरी कोशिश की थी और सार्वजनिक तौर पर यह उजागर किया था कि किन कारणों से अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हुई। इस सच बयानी की कीमत उन्हें जेल में यातना सहकर चुकानी पड़ी। लेकिन डा. कफील खान झुके नहीं।
ध्यातव्य है कि हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किसी भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया था। इस बार कुल 29 मुसलमान विधायक विजयी हुए हैं और ये सभी सपा गठबंधन के उम्मीदवार रहे।
बहरहाल, समाजवादी पार्टी ने उन्हें देवरिया कुशीनगर स्थानीय निकाय से प्रत्याशी बनाकर यूपी में वापसी करनेवाली भाजपा सरकार के समक्ष चुनौती पेश कर दी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि सियासी अखाड़े में डा. कफील खान को जीत मिलती है या हार।

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