Monday, June 23, 2025
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यादव मुख्यमंत्री के प्रदेश में दलितों पर यादवों की गुंडागिरी!

साल 2017 में जब लोकसेवा आयोग के द्वारा चयनित होकर दलितों के बीच से एक युवक असिस्टेंट प्रोफेसर बना और साल 2018 में उसी की बहन नायब तहसीलदार बनी तो यह बात जातिवादियों को चुभने लगी। हालांकि भाई-बहन की सफलता से यह बदला कि दलित समाज के अन्य लोगों में भी आत्मविश्वास जगा और उन्होंने भी अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के माध्यम से उन्नति करने का रास्ता चुना, जो इन जातिवादी गुंडों को रास नहीं आ रहा है।

– निशांंत गौतम

भारतीय समाज के भीतर जाति की संचरना इस कदर बुनी गई है कि सफल और संपन्न दलित हर किसी की आंखों में चुभता है। मध्य प्रदेश के दतिया से ऐसी ही एक घटना सामने आई है।

घटना के मुताबिक, बीते कल 27 मई 2025 को ग्राम नादिया थाना पण्डोखर तहसील भांडेर जिला दतिया मध्यप्रदेश में 18- 20 जातिवादी गुंडों (यादव जाति) ने दलित समाज के परिवार के सदस्यों पर लाठी, डंडों, कुल्हाड़ी व अन्य धारदार हथियारों से हमला कर दिया। जिसमें एक व्यक्ति के आंख और माथे पर कुल्हाड़ी से वार किया गया, उसकी हालत गंभीर है, उसे पहले भांडेर अस्पताल ले जाया गया, उसके बाद उसे जिला अस्पताल दतिया ले जाया गया और वहां से देर रात ग्वालियर रेफर किया गया है, उपचार जारी है किंतु हालत गंभीर बनी हुई है। इसी परिवार के अन्य सदस्यों को भी गंभीर चोटें आई है, जिनका दतिया के जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है।

विवाद का जो मुद्दा है वो यह है कि देश के अधिकांश गांवों की तरह ग्राम नदिया में भी अनुसूचित जाति के सभी घर गांव के दूसरे छोर पर हैं। गांव के बीचों-बीच यादव जाति के 6-7 परिवार रहते हैं। गांव में कोई सवर्ण परिवार नहीं है। केवल OBC और SC जाति के ही लोग रहते हैं। जिसमें पाल समाज की आबादी सबसे अधिक है। गांव की कुल आबादी 500 के करीब है।

गांव की शुरुआत में दलित समाज की जमीन है, जिसपर इस परिवार के एक सदस्य ने पिछले साल मकान बना लिया है और वहां रहने लगे। इसी दलित परिवार के अन्य सदस्य भी उक्त जमीन को खलियान के तौर पर फसल रखने, सुखाने आदि कार्य हेतु लंबे समय से उपयोग करते आए हैं। और हमारे परिवार के कुछ लोग उक्त जमीन पर घर बनाने का सोच रहे हैं।

यादव जाति के मनुवादी मानसिकता से पीड़ित लोगों को यह बात बर्दाश्त नहीं हो पा रही हैं कि अनुसूचित तबके के लोग, गांव के शुरुआत में मकान बना कर कैसे रह सकते हैं। इसीलिए उन्होंने 2-3 दिन पहले उस जमीन पर अतिक्रमण करने की मंशा से कब्जा करने के लिए तार फिनिशिंग करने की योजना बना रहे थे। जब दलित समाज के लोगों को इस बात की जानकारी लगी तो वो अपने परिवार सहित (महिलाएं भी) दिनांक 27/05/2025 को उक्त स्थल पर पहुंचकर विरोध दर्ज कराया तो जातिवादी गुंडे भाग गए। करीब एक घंटे बाद जब दलित समाज के कुछ सदस्य भांडेर तहसील में आवेदन देने के लिए निकल गए तब जातिवादी गुंडे घरों में मौजूद दलित जाति के सदस्यों पर (जिसमें महिलाएं भी शामिल थी) टूट पड़े। इस दौरान 18-20 जातिवादी गुंडों द्वारा जातिसूचक गालियां देते हुए लाठी, डंडे व कुल्हाड़ियों से हमला कर दिया।उनके द्वारा किया गया ये हमला सुनियोजित था। उनके द्वारा हमले के दौरान न तो जमीन पर अतिक्रमण की कोई बात, न अपने अधिकार जमाने की बात, यह सीधा हमला था तो जातीय वर्चस्व को स्थापित करने और अनुसूचित जाति वर्ग में भय पैदा करने के उद्देश्य से किया गया हमला भी मालूम पड़ता है।

दलित परिवार के लोग निहत्थे थे सो अपनी रक्षा भी ठीक ढंग से न कर सके। इस घटना में कई लोगों को चोट आई। जब जातिवादी हमला कर रहे थे तब एक हमलावर ने एक बुजुर्ग महिला के सर पर डंडा मारने की कोशिश की जिसे रविंद्र नाम के युवक ने पकड़ लिया तभी एक अन्य हमलावर ने उस के सर और आंख पर कुल्हाड़ी से वार कर दिया। हमले में घालय होकर वह घंटों तक तड़पता रहा। करीब दो घंटे तक न पुलिस पहुंची न ही एम्बुलेंस। जबकि पुलिस और एम्बुलेंस को तुरंत फोन कर दिया गया था। हमले के दौरान रविंद्र का मोबाइल भी छीन लिया गया, जिसमें घटना के दौरान के कुछ फोटोज व वीडियोस थे।

घटना को अंजाम देने का दूसरा कारण ये भी है कि दलित समाज के पास 40 बीघा के करीब जमीन है, और परिवार के अन्य सदस्यों को मिलकर करीब 150 बीघा जमीन है, जिसमें कुछ जमीन ऐसी भी जिस पर पहुंचने के लिए यादव जाति के लोगों के 1-2 खेतों से निकलना पड़ता है। जिस पर यादवों के द्वारा दलितों के निकलने पर विवाद किया जाता है। जबकि उनके लोगों के कुछ खेत हमारे खेतों के बाद पड़ते हैं किंतु हमने कभी उनके ट्रैक्टर आदि निकलने का कभी विरोध नहीं किया, क्योंकि शासन के सुखाधिकार के नियम के तहत आप किसी को खेती करने के लिए रास्ता देने से मना नहीं कर सकते। इस आशय का एक प्रकरण भी तहसीलदार महोदय, भांडेर के यहां भी लंबित है।

साल 2017 में जब लोकसेवा आयोग के द्वारा चयनित होकर दलितों के बीच से एक युवक संघप्रिय गौतम असिस्टेंट प्रोफेसर बना और साल 2018 में उसी की बहन नायब तहसीलदार बनी तो यह बात जातिवादियों को चुभने लगी। हालांकि भाई-बहन की सफलता से यह बदला कि दलित समाज के अन्य लोगों में भी आत्मविश्वास जगा और उन्होंने भी अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के माध्यम से उन्नति करने का रास्ता चुना, जो इन जातिवादी गुंडों को रास नहीं आ रहा है। उन्हें दलितों की तरक्की बर्दाश्त नहीं रही। दलितों की शिकायत है कि पिछले साल भी इसी जाति के एक व्यक्ति ने दलित युवक के साथ मारपीट की थी, जिस पर पुलिस प्रशासन के ढुलमुल रवैए के चलते मामला दर्ज नहीं हो पाया था। जिससे ऐसे जातिवादी तत्वों का मनोबल बढ़ा हुआ है, और उनमें कानून का कोई खौफ नजर नहीं आता।

वर्तमान की घटना के बाद थाना प्रभारी पण्डोखर तहसील भांडेर जिला दतिया द्वारा वरिष्ठ अधिकारों के हस्तक्षेप के बाद 9 लोगों के विरुद्ध SCST एक्ट व अन्य धाराओं में मामला पंजीबद्ध हुआ है। किंतु धारदार हथियार से हमला करने संबंधित गंभीर धाराएं अभी भी नहीं जोड़ी गईं है। SDOP, भांडेर ने Final Medical Report (MLC) आने के बाद धारा बड़ाये जाने का आश्वासन दिया है। अभी तक किसी की  गिरफ्तारी नहीं हुई है।

इतने बड़े पैमाने पर जातीय वैमनस्यता फैलाने एवं आतंकित करने वाली घटना हुई किन्तु क्षेत्रीय विधायक माननीय फूलसिंह बरैया जो खुद अनुसूचित जाति से हैं, और वंचित वर्गों के हिमायती होने का दावा करते हैं अभी तक न ही पीड़ितों से मिलने आए न ही कोई आधिकारिक बयान जारी किया। गांव में तनावपूर्ण स्थिति है, फिर भी कोई पुलिस बल तैनात नहीं किया गया है, प्रकरण दर्ज होने के बाद भी आरोपियों के हौसले बुलंद है। दोबारा किसी घटना के घटित होने का खतरा अभी भी बना हुआ है।

इस मामले में दर्ज एफआईआर की कॉपी आप नीचे देख सकते हैं-

 

 


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