लखनऊ। भाजपा समर्थकों द्वारा लेनिन और पेरियार की मूर्ति तोड़े जाने के खिलाफ बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा की राजनीति पर सवाल खड़ा किया है. इस मुद्दे पर बसपा प्रमुख ने भाजपा की बयानबाजी को खोखला बताते हुए उसकी निंदा की है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी के मामले में तत्काल कानूनी कार्रवाई कर सकती है तो अन्य राज्यों की सरकारें भी त्वरित कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं कर सकती थी.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहाकि बीजेपी एंड कंपनी को अपने लोगों पर नियंत्रण रखने के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी सभी राज्य सरकारों को हिंसा को रोकने के सख्त निर्देश देने चाहिए, न कि उपद्रवियों को खुला छोड़ देना चाहिए. उन्होंने केंद्र व बीजेपी की राज्य सरकारों से लोगों के जान-माल व मजहब के सुरक्षा की संवैधानिक गारंटी को सुरक्षित रखने की मांग की. भाजपा पर तंज कसते हुए मायावती ने कहा कि सत्ता में आ जाने के बाद बीजेपी व आर.एस.एस को राजनीतिक हिंसा व विध्वंस को अपना हथियार बनाने से बाज आना चाहिए.
लखनऊ से जारी अपने बयान में बसपा अध्यक्ष ने कहा कि त्रिपुरा राज्य में नई बीजेपी सरकार के बनते ही वहां मार्क्सवादी नेताओं पर हमले, उनके कार्यालयों में तोड़फोड़ तथा सार्वजनिक स्थलों में स्थापित लेनिन की मूर्तियों का विध्वंस करने के साथ आत्म सम्मान मूवमेंट के नेता रामास्वामी नायकर पेरियार की मूर्ति को खंडित करना यह साबित करता है कि देश में नफरत, हिंसा व विघटन की राजनीति हर तरफ सर चढ़कर बोलने लगी है, क्योंकि आपराधिक मानसिकता वाले लोगों को अब कानून का बिल्कुल खौफ नहीं रह गया है.
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