साल 2022 में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर एबीपी न्यूज के सी- वोटर के सर्वे को लेकर बहस छिड़ गई है। तमाम लोग इस सर्वे पर सवाल उठा रहे हैं। दरअसल अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में चुनाव होने हैं। इस चुनावों को लेकर किये गए सर्वे में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में एक बार फिर से भाजपा शासन की वापसी की बात कही जा रही है। तो पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने की बात कही जा रही है।
खासकर उत्तर प्रदेश के सर्वे में जिस तरह भाजपा की फिर से वापसी की बात हो रही है, और बसपा को एकदम पीछे धकेल कर सिर्फ 12-16 सीटें ही दी गई है, इससे राजनीतिक बहस तेज हो गई है। खुद बसपा प्रमुख मायावती ने इस मामले में सामने आकर एक प्रेस रिलिज जारी किया है और सर्वे की धज्जियां उड़ा दी है।
मीडिया को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि – “कोरोना प्रकोप और अर्थव्यवस्था की सन 1991 जैसी बदहाली के कारण जब देश में महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी के कारण आम जनता त्रस्त है, औऱ भाजपा के खिलाफ रोष है। एक हिन्दी चैनल द्वारा यूपी में इस बार विधानसभा के आमचुनाव में भाजपा को पिछली बार के 40 प्रतिशत से अधिक वोट दिखाने का प्री-पोल सर्वे प्रायोजित ही नही, बल्कि भ्रमित करने वाला है।
सन् 2007 में बीएसपी के पक्ष में जबरदस्त माहौल होने के बावजूद हर प्री-पोल सर्वे पक्षपाती तौर पर बी.एस.पी के सरकार बनाने की बात कबूल कर लेने के बजाय केवल सिंगिल लार्जेस्ट पार्टी बनकर उभरने की ही बात कर रहा था, जबकि रिजल्ट आने पर बी.एस.पी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी। लेकिन बी.एस.पी. के लोग पहले से ही इस प्रकार के षड्यंत्रों का सामना करने के लिए तैयार हैं तथा इसके बहकावे में आने वाला नहीं है। बल्कि इस सर्वे की चुनौती को स्वीकार करते हुए अब और भी ज्यादा जिद, जोश, मेहनत व हिम्म से काम करेंगे।”
निश्चित तौर पर जब चुनाव को लेकर न तो अंतिम तौर पर गठबंधन की स्थिति साफ है और न ही उम्मीदवारों के टिकट फाइनल हुए हैं, ऐसे में इस तरह के सर्वे निश्चित तौर पर भ्रम फैलाने की कोशिश के अलावा कुछ नहीं हैं।

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