नई दिल्ली। देश चुनावी मोड में आ चुका है. भाजपा ने जहां कश्मीर में गठबंधन तोड़ कर चुनाबी बिसात में अपनी पहली चाल चल दी है तो बिहार से लेकर बंगाल तक में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर हलचल साफ महसूस की जा रही है. इस बीच कर्नाटक चुनाव के बाद बसपा देश की राजनीति में महत्वपूर्ण होकर उभरी है. आलम यह है कि तमाम राजनीतिक दल अपने राज्य में बसपा से गठबंधन करना चाहते हैं.
महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव से पहले एक नया गठजोड़ बनता दिख रहा है. और इसे जमीन पर उतारने की कोशिश में जुटे हैं महाराष्ट्र के दिग्गज और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार. महाराष्ट्र में शिवसेना के अकेले लड़ने की घोषणा के बाद पवार अब भाजपा को घेरने में जुट गए हैं. इसके लिए पवार महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में बसपा का साथ चाहते हैं.
विदर्भ में लोकसभा की 11 सीटें हैं. 2014 लोकसभा चुनावों में इन सीटों पर भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने जीत हासिल की थी. इन 11 सीटों को अपने पाले में लाने के लिए राकांपा यहां कांग्रेस और बसपा के साथ मिलकर महागठजोड़ बनाना चाहती है.
हालांकि, बसपा ने महाराष्ट्र में कोई विधानसभा या लोकसभा सीट पिछले चुनाव में नहीं जीता था पर दोनों चुनावों में उसका वोट प्रतिशत ढाई फीसदी के आसपास रहा है. इसमें पिछले चुनाव में एनसीपी-कांग्रेस के वोटों को जोड़ा जाए तो यह गठजोड़ बड़ी ताकत बनकर उभर सकता है. हाल के दिनों में जिस तरह कोरेगांव और 2 अप्रैल को दलित उभार दिखा है, उसको बसपा के पक्ष में वोट में बदलने की संभावना है. इसी संभावना ने कर्नाटक, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के बाद अब महाराष्ट्र में भी विपक्षियों के लिए बसपा को महत्वपूर्ण कर दिया है.
अकेले चुनाव लड़ने पर अड़ी शिवसेना अगर भाजपा के खिलाफ कोई निर्णायक कदम उठाएगी तो विपक्ष की संभावनाएं बढ़ सकती हैं. अगर पवार की कोशिश रंग ले आई और अगर वो कांग्रेस और बसपा के साथ मिलकर महागठजोड़ बनाने में कामयाब हो जाते हैं तो महाराष्ट्र में भाजपा की राह आसान नहीं होगी.
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