राजनीति में जब नेता को सत्ता से बाहर जाने का डर सताने लगे तो वह सबसे पहले देश की जनता को लालच देना शुरू कर देता है। और जब चुनाव पास हो तो वह समय सत्ता रुपी ऊंट का जनता रुपी पहाड़ के नीचे आने का होता है। भाजपा की सरकार ने यही किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एलपीजी की कीमत को 200 रुपये कम करने की घोषणा की है। देश के तमाम समाचार पत्रों में करोड़ो रुपये खर्च कर इसे रक्षाबंधन से पहले बहनों को दिया जाने वाला गिफ्ट बताया गया है। लेकिन सवाल यह है कि बीते साढ़े नौ सालों में मोदी सरकार ने उन्हीं बहनों से जो वसूल किया है उसका क्या? क्या तब पीएम मोदी को अपनी बहनें याद नहीं आई?
कांग्रेस पार्टी इसे इंडिया गठबंधन का डर बता रही है। कांग्रेस नेता और प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है कि जहां कांग्रेस पार्टी की सरकार है, वहां वह 500 रुपये में गैस सिलेंडर दे रही है, जिसकी वजह से भाजपा डर गई है। सुरजेवाला ने एलपीजी को परिभाषित करते हुए L-लूटों, P- प्रॉफिट कमाओ और G-गिफ़्ट देने का नाटक करो! कहा है।
पक्ष और विपक्ष के आरोपों के बीच इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता कि गैस सिलेंडर और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों ने देश की 90 फीसदी आबादी को प्रभावित किया है। मोदी सरकार में गैस की कीमते साल दर साल बेतहाशा बढ़ी है। पिछले तीन सालों में तो इसने सभी रिकार्ड को तोड़ दिया।
जो गैस सिलेंडर 01 मार्च 2014 को कांग्रेस-यूपीए की सरकार में सिर्फ 410 रुपये था, भाजपा-एनडीए की सरकार में वह साल दर साल बढ़ता गया। मोदी सरकार के आते ही 01 मई 2014 को यह कीमत 616 रुपये हो गई थी, जो 01 मई 2021 को 809 रुपये, 01 मई 2022 को 949 रुपये और 01 मई 2023 को 1103 रुपये हो गया है।
अब सवाल यह है कि बीते साढ़े नौ सालों के भीतर तमाम राज्यों के साथ-साथ एक बार लोकसभा का चुनाव भी हो चुका है, तब भाजपा ने कभी पेट्रोल से लेकर गैस सिलेंडर की कीमतों में कोई भारी कटौती नहीं की, बल्कि मूल्य लगातार बढ़ता ही गया। ऐसे में अब राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले गैस सिलेंडर के दामों में 200 रुपये की कटौती बहुत कुछ कहती है। 2024 में सरकार चाहे जिसकी आए, यह साफ है कि मोदी सरकार डरी हुई है।