सवर्णों को पीछे के दरवाज़े से बुलाकर बहुजनों के हक़ मारने की क़वायद

1137

संघी सरकार लगातार ही बहुजनों के हक़ मारने वाले निर्णय ले रही है. एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट को कमज़ोर किया जाना, आरक्षण को अप्रभावी या कमज़ोर करने वाले निर्णय, सीट कटौती, स्कॉलरशिप कटौती जैसे कई बहुजन विरोधी निर्णय लगातार सरकार ले रही है. ताकि इसके तहत वंचित तबकों के प्रतिनिधित्व और अधिकारों के मुद्दे ख़त्म हो जाएं.

इसी कड़ी में एक निर्णय बीजेपी सरकार ने लिया है.

अभी हाल ही में, भारत सरकार ने सचिव जैसे उच्च प्रशासनिक पदों पर निज़ी क्षेत्र के पेशेवरों से भर्ती के आवेदन मंगवाएं हैं. इस विज्ञापन में कहीं भी आरक्षण का उल्लेख नहीं है. ज़ाहिर तौर पर इससे सरकार बैकडोर इंट्री के जरिये सवर्णों को प्रवेश देने जा रही है. यानि अब उच्च ब्यूरोक्रेटिक पदों पर आने के लिए यूपीएससी की परीक्षा पास करने की ज़रूरत नहीं है, इसके लिए सिर्फ सवर्ण होना ही काफी है.

ऐसे में, ऐसे लोग जो निज़ी क्षेत्रों में काम करते हुए संघी सरकार के लिए अप्रत्यक्ष रूप से काम कर रहें हैं उन्हें बंदरबांट के जरिये प्रशासन में प्रवेश मिल जाएगा. वे लोग वंचित तबकों के हक़ तो मारेंगे, बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों के एजेंट के रूप में नीतिगत निर्णयों को प्रभावित करेंगे. साथ ही एक वेलफेयर स्टेट को प्राइवेट कॉरपोरेट ऑफिस की तरह ही ट्रीट करेंगे. सरकार ने प्रशासन की स्टीलफ्रेम ब्यूरोक्रेसी में अपने ब्राह्मणवादी तत्वों को घुसाना शुरू कर दिया है.

यह विज्ञापन यूपीएससी के माध्यम से होने वाली भर्ती की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को समाप्त करता है. इसके कारण अनुसूचित जाति की 15%, अनुसूचित जनजाति की 7.5% और ओबीसी की 27% आरक्षित सीटों पर सलेक्ट होने वाले अभ्यर्थियों के हक़ मारे जाएंगे. अब तक ऐसे 10 पदों पर भर्ती हुई है, जिनमें से संवैधानिक अधिकार के तहत 05 पद आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों को दिए जाते पर ये पद सवर्ण उम्मीदवारों को मिल गए.

जागिये! प्रोमोशन पर आरक्षण के निर्णय पर ताली बजवा कर सरकार आपके मुँह से निवाला छीन ले गई है.

-दीपाली तायड़े

Read Also-पांच करोड़ खर्च के बाद भी मर रही मछलियां, बिहार के सबसे बड़े तालाब बदहाल

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.