कुश्ती में विवाद, किसके साथ खड़ी है मोदी सरकार?

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दिल्ली के जंतर-मंतर पर देश के दिग्गज पहलवानों ने भारतीय कुश्ती संघ के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट समेत कई पहलवान इंसाफ की मांग को लेकर डटे हुए हैं। प्रदर्शन कर रहे पहलवानों का आरोप सीधे कुश्ती फेडरेशन और उसके अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ है। महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। धरने पर जो खिलाड़ी बैठे हैं उनके नामों और योगदान पर गौर करिए। धरने पर बैठे खिलाड़ियों में बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, सरिता, संगीता फोगाट, सत्यव्रत मलिक, जितेन्द्र किन्हा सहित 30 पहलवान शामिल हैं। ये वो नाम हैं, जिन्होंने देश के लिए ओलंपिक, विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीते हैं।

 ये तो पूरा मामला है, जिसके बारे में आप दर्शकों को अब तक पता चल गया होगा। लेकिन इन आरोपों के बाद सरकार और कुश्ती संघ का रवैया इस देश के लिए चिंता की बात है। कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह जो कि भाजपा के सांसद हैं, उनके और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर जोकि खुद भी भाजपा के ही सांसद हैं, के बीच फोन पर बात होती है। बृजभूषण को जवाब देने के लिए 72 घंटे का समय दिया जाता है। बृजभूषण मीडिया के सामने आकर थेथरई कर रहे हैं और खिलाड़ियों पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन जनाब क्या इस देश के पदक विजेता खिलाड़ी इतने खाली हैं जो अपना आखाड़ा छोड़कर कुश्ती संघ के खिलाफ कुश्ती लड़ें?

इस पूरे मामले के सामने आने के बाद पहली बात क्या आती है, चलिये दर्शकों आप खुद बताईए, इन आरोपों के बाद क्या कुश्ती संघ के अध्यक्ष को खुद अपने पद से यह कहते हुए नहीं हट जाना चाहिए था कि इसकी जांच की जाए और आरोपों पर जांच समिति का निर्णय आने तक वह खुद को इस पद से दूर करते हैं? या फिर क्या सरकार को ही कुश्ती संघ के अध्यक्ष को जांच समिति की रिपोर्ट आने तक पद से नहीं हटा देना चाहिए?

लेकिन ये भारत है, यहां तमाम मामलों में आरोपों पर सजा सुनाए जाने के पहले जिस पर आरोप लगा है उसकी हैसियत देखी जाती है। जिस पर आरोप लगा है, अगर वह राजनीतिक व्यक्ति हो और उसका संबंध सत्ताधारी दल से हो तब तो उस पर हाथ डालने से पहले पुलिस भी सौ बार सोचती है और जांच समिति भी।

 बृजभूषण शरण सिंह के मामले में भी यही बात है। पिछले 11 सालों से कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद पर जमें बृजभूषण उत्तर प्रदेश के कैसरगंज लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद हैं। ऐसे वैसे सांसद नहीं, बल्कि उनकी छवि मनुवादी मीडिया की नजर में दबंग वाली है, मेरी परिभाषा में दबंग माने गुंडा। वह 6 बार से सांसद हैं। वह बड़ी जल्दी आपा खोते हैं। मंच पर एक कुश्ती खिलाड़ी को थप्पड़ मार चुके हैं। महिलाओं के मामले में बात करते हुए वे शालिनता भूल जाते हैं। इतनी गुंडई पर उतारू हो जाते हैं कि 2019 के लोकसभा के चुनाव प्रचार के दौरान उसने देश की कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश की चार बार की मुख्यमंत्री मायावती जी को गुंडी कह दिया था।

ऐसा लगता है कि भाजपा में नेताओं को महिलाओं के खिलाफ कुछ भी बोलने की आजादी है। क्योंकि इसी भाजपा के नेता दयाशंकर ने मायावती के बारे में ऐसे अपशब्द कहे थे, जिसे दोहराया नहीं जा सकता। आज वह प्रदेश सरकार में मंत्री हैं।

खैर यहां हम बात खिलाड़ियों के आरोपों की कर रहे हैं जो कि काफी गंभीर है। कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण के इस्तीफे से कम पर खिलाड़ी राजी नहीं हैं। अगर खिलाड़ी बृजभूषण के खिलाफ अड़ गए हैं तो भारत की सरकार को भी सोचना चाहिए। दर्जनों खिलाड़ियों की बात सही है या फिर एक नेता की, जिसकी अपनी छवि भी साफ नहीं है।  देश देख रहा है। सत्ता के नशे में चूर दूसरों को कुछ न समझने वाले नेताओं को भी, और सरकार के इंसाफ को भी। देखना होगा भाजपा की मोदी सरकार किसके साथ खड़ी है।

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