मनदीप पुनिया की रिहाई के लिए पत्रकारों का आंदोलन जारी, रवीश कुमार ने भी उठाई आवाज

स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया की गिरफ्तारी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। 31 जनवरी को दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के पास पत्रकरों के प्रर्दशन से जहां यह साफ हो गया है कि गोदी मीडिया से इतर पत्रकारों की एक बड़ी बिरादरी इसे मुद्दा बनाकर लड़ने को तैयार है। तो वहीं कई समाचार पत्रों ने भी इससे संबंधित खबरें प्रकाशित कर मनदीप की गिरफ्तारी को मुद्दा बनाया है। वरिष्ठ टीवी पत्रकार रवीश कुमार ने भी इस मुद्दे पर अपने फेसबुक पेज पर लिखा कर मामले का संज्ञान लिया है।

रवीश कुमार ने लिखा- 

मनदीप को गिरफ्तार किया गया है। किसान आंदोलन को स्वतंत्र पत्रकारों ने कवर किया। अगर ये पत्रकार अपनी जान जोखिम में डाल कर रिर्पोट न कर रहे होते तो किसानों को ही ख़बर नहीं होती कि आंदोलन में क्या हुआ है। फ़ेसबुक लाइव और यू ट्यूब चैनलों के ज़रिए गोदी मीडिया का मुक़ाबला किया गया। अब लगता है सरकार इन पत्रकारों को भी मुक़दमों और पूछताछ से डरा कर ख़त्म करना चाहती है। यह बेहद चिन्ताजनक है। बात-बात में FIR के ज़रिए पत्रकारिता की बची खुची जगह भी ख़त्म हो जाएगी।
जिस तरह से स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया और धर्मेंद्र को पूछताछ के लिए उठाया गया उसकी निंदा की जानी चाहिए। आम लोगों को यह समझना चाहिए कि क्या वे अपनी आवाज़ के हर दरवाज़े को इस तरह से बंद होते देखना चाहेंगे? एक पत्रकार पर हमला जनता की आवाज़ पर हमला है। जनता से अनुरोध है कि इसका संज्ञान लें और विरोध करे। मनदीप को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।
दिल्ली पुलिस के अफ़सर भी ऐसी गिरफ़्तारियों को सही नहीं मानते होंगे। फिर ऐसा कौन उनसे करवा रहा है? कौन उनके ज़मीर पर गुनाहों का पत्थर रख रहा है? उन्हें भी बुरा लगता होगा कि अब ये काम करना पड़ रहा है। हम उनकी नैतिक दुविधा समझते हैं लेकिन संविधान ने उन्हें कर्तव्य निभाने के पर्याप्त अधिकारी दिए हैं। अफ़सरों को भी पत्रकारों की गिरफ़्तारी का विरोध करना चाहिए।

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