नमाज पर सियासत में कूदी मायावती, यूपी सरकार को घेरा

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mayawatiनोएडा। राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में नमाज को लेकर डीएम के आदेश के बाद राजनीति गरमा गई है. इस मुद्दे पर चल रही बहस के बीच बसपा प्रमुख मायावती भी सामने आई हैं. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर एक बयान जारी कर सरकारी फरमान को अनुचित व एकतरफा बताया है.

दरअसल नोएडा के सेक्टर-58 स्थित प्राधिकरण के सार्वजनिक पार्क में पूर्व अनुमति के बग़ैर जुमा की साप्ताहिक नमाज़ पढ़ने पर प्रशासन द्वारा पाबंदी लगा दी गई है. साथ ही ऐसा होने पर वहाँ की निजी कम्पनियों पर भी कार्रवाई करने की धमकी दी है। इस फैसले को लेकर तमाम नेताओं और राजनीतिक दलों ने अपना विरोध दर्ज कराया है। इसी क्रम में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने एक बयान जारी कर कहा है कि “अगर उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार के द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक गतिविधियों पर पाबन्दी लगाने की कोई नीति है तो वह सभी धर्मों के लोगों पर एक समान तौर पर तथा पूरे प्रदेश के हर जिले में व हर जगह सख्ती से बिना किसी भेदभाव के क्यों नहीं लागू की जा रही है?”

सुश्री मायावती जी ने अपने बयान में कहा है कि “उस स्थल पर अगर फरवरी 2013 से ही जुमे की नमाज लगातार हो रही है तो अब चुनाव के समय उसपर पाबन्दी लगाने का क्या मतलब है? यह कार्यवाही पहले ही क्यों नहीं की गयी तथा अब लोकसभा आमचुनाव से पहले इस प्रकार की कार्रवाई क्यों की जा रही है? इससे बीजेपी सरकार की नीयत व नीति दोनों पर ही उंगली उठना व धार्मिक भेदभाव का आरोप लगना स्वाभाविक है.”

मायावती ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया कि इस कदम से यह आशंका भी प्रबल होती है कि चुनाव के समय में इस प्रकार के धार्मिक विवादों को पैदा करके बीजेपी की सरकार अपनी कमियों व विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बांटना चाहती है.”

दरअसल जुमे की नमाज के सम्बन्ध में नोएडा सेक्टर-58 स्थित 23 निजी कम्पनियों को पुलिस नोटिस जारी करके उनपर कार्रवाई की धमकी देने की बात कही गई है. बसपा प्रमुख ने इसे पूरी तरह से गलत व अति-गैरजिम्मेदाराना कदम बताया है. भाजपा के इस कदम को हालिया चुनावी नतीजों से जोड़ते हुए बसपा प्रमुख ने कहा है कि बीजेपी सरकार की ऐसी कार्रवाईयों से यह साफ है कि हाल में पाँच राज्यों में हुये विधानसभा आम चुनावों में हुई करारी हार से बीजेपी के वरिष्ठ नेतागण कितना घबराये हुये हैं तथा उसी हताशा व निराशा से गलत व विसंगतिपूर्ण फैसले ले रहे हैं.

यूपी: नोएडा में खुले में नमाज पढ़ने पर रोक, एसएसपी ने जारी किया आदेश

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उत्तर प्रदेश की नोएडा पुलिस ने सेक्टर 58 औद्योगिक क्षेत्र स्थित कंपनियों को चिठ्ठी लिखकर कर्मचारियों से खुले में नमाज पढ़ने से बचने की सलाह दी है. जारी आदेश में कहा गया है कि मुस्लिम कर्मचारी जुमे की नमाज पार्क जैसे खुले एरिया में न पढ़ें.

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नोएडा पुलिस द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि यदि किसी औद्योगिक संस्थान के कर्मचारी निर्देश का उल्लंघन करते हुए पाए जाते हैं तो इसके लिए संबंधित कंपनियों को उत्तरदायी ठहराया जाएगा.

क्षेत्र की कंपनियों ने मामले पर स्पष्टीकरण के लिए नोएडा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की मांग की है. जानकारी के अनुसार, जारी नोटिस में कहा गया है सेक्टर 58 स्थित अथॉरिटी के पार्क में किसी प्रकार की धार्मिक गतिविधियां जिसमें शुक्रवार को पढ़े जाने वाली नमाज की अनुमति नहीं है.

पुलिस ने पत्र में लिखा कि, प्राय: यह देखने में आया है कि आपके कंपनी के मुस्लिम कर्मचारी पार्क में एकत्रित होकर नमाज पढने के लिए आते हैं, जिनको पार्क में सामूहिक रूप से मुझ एचएलओ द्वारा मना किया गया है एवं इनके द्वारा दिए गए नगर मजिस्ट्रेट महोदय के प्रार्थनापत्र पर किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नहीं दी है.’

‘अत: आपसे अपेक्षा की जाती है कि आप अपने स्तर से अपने समस्त मुस्लिम कर्मचारियों को अवगत कराएं कि वो नमाज पढ़ने के लिए पार्क में न जाएं. यदि आपकी कंपनी के कर्मचारी पार्क में आते हैं तो ये समझा जाएगा कि आपने उनको अवगत नहीं कराया है. ये व्यक्तिगत कंपनी की जिम्मेदारी होगी.’

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इंडोनेशिया में सुनामी से मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई 429 : आपदा प्रबंधन एजेंसी

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इंडोनेशिया में शनिवार को आई सुनामी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 429 हो गई है और 1,400 से अधिक घायल हुए हैं. देश की राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता स्तुपो पूर्वो नुग्रोहो ने कहा कि मरने वालों की संख्या मंगलवार को बढ़कर 429 हो गई और कम से कम 128 अन्य लापता हैं.

शवों की खोज में लगे सैनिकों, सरकारी कर्मियों और स्वयंसेवियों को तटों पर फैले मलबे में शव मिले और रोते-बिलखते परिजनों ने शवों की पहचान की. पश्चिमी जावा और दक्षिणी सुमात्रा में तटों को तोड़कर आगे बढ़ी लहरों ने मकानों को नष्ट कर दिया जिससे हजारों लोग बेघर हुए हैं.

बता दें कि अनाक क्राकाटोआ ज्वालामुखी के फटने के बाद शनिवार को स्थानीय समयानुसार रात साढ़े नौ बजे दक्षिणी सुमात्रा और पश्चिमी जावा के पास समुद्र की ऊंची लहरें तटों को पार कर आगे बढ़ीं. इससे सैकड़ों मकान नष्ट हो गए. इस भयावह सुनामी ने चारों तरफ तबाही मचायी, जिसमें जान-माल की काफी क्षति हुई है.

देश की मौसम विज्ञान एवं भूभौतिकी एजेंसी के वैज्ञानिकों ने कहा कि अनाक क्राकाटोआ ज्वालामुखी के फटने के बाद समुद्र के नीचे मची तीव्र हलचल सुनामी की वजह हो सकती है. इंडोनेशिया की भूगर्भीय एजेंसी के मुताबिक, अनाक क्राकाटोआ ज्वालामुखी में बीते कुछ दिनों से राख उड़ने की वजह से कुछ हरकत होने के संकेत मिल रहे थे.

यह विशाल द्वीपसमूह देश पृथ्वी पर सबसे अधिक आपदा संभावित देशों में से एक है, क्योंकि इसकी अवस्थिति प्रशांत अग्नि वलय के दायरे में है, जहां टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकराती हैं. इससे पहले सितंबर में सुलावेसी द्वीप पर पालू शहर में आए भूकंप और सुनामी में हजारों लोगों की जान गई थी.

श्रोत:-अमर उजाला Read it also-5वीं की दलित छात्रा का अपहरण कर रेप

अंडमान निकोबार के तीन द्वीपों के नाम बदलेगी मोदी सरकार

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नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार अंडमान निकोबार के तीन द्वीपों के नाम बदलने जा रही है. इन तीन द्वीपों के नाम रॉस, नील और हैवलॉक हैं.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक रॉस द्वीप का नाम ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस’, नील द्वीप का नाम ‘शहीद’ और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर ‘स्वराज’ रखा जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 दिसंबर को पोर्ट ब्लेयर की अपनी यात्रा पर इन द्वीपों के नाम बदलने की औपचारिक घोषणा करेंगे. गृह मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि नाम बदलने को लेकर सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, 1943 में आज़ाद हिंद फौज के गठन की 75वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ पोर्ट ब्लेयर में 150 मीटर ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज लहराएंगे.

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक 30 दिसंबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में भारतीय झंडा फहराया था. माना जाता है कि पोर्ट ब्लेयर पहला क्षेत्र था जो ब्रिटिश शासन से मुक्त हुआ था.

मार्च 2017 में भाजपा नेता एलए गणेशन ने राज्यसभा में पर्यटक स्थल हैवलॉक द्वीप का नाम बदलने की मांग की थी. गणेशन ने कहा था कि एक जगह का नाम ऐसे व्यक्ति के नाम पर रखा जाना जो 1857 में भारतीय देशभक्तों के ख़िलाफ़ था, शर्म की बात है.

मालूम हो कि हैवलॉक द्वीप का नाम ब्रिटिश अधिकारी सर हेनरी हैवलॉक के नाम पर रखा गया था. यह इस केंद्र शासित प्रदेश का सबसे बड़ा द्वीप है.

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10 लाख कर्मचारी हड़ताल पर, हफ्ते भर में एक ही बार खुल पाए बैंक

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नई दिल्ली। पिछले करीब एक हफ्ते में देश की बैंकिंग सेवा काफी प्रभावित रही है. 5 दिनों में से एक बार बैंक खुलने के बाद आज फिर देश के बैंक बंद रहेंगे. कुल नौ बैंक यूनियन ने आज हड़ताल बुलाई है, ऐसे में इस हड़ताल से आम लोगों को काफी परेशानी का सामना कर पड़ सकता है. बता दें कि 21 से 23 दिसंबर को भी बैंकों ने हड़ताल की थी, उसके बाद 24 दिसंबर को बैंक खुले थे. फिर 25 और 26 को छुट्टी के कारण बैंक बंद रहे थे. देश के करीब 10 लाख बैंक कर्मचारी आज हड़ताल पर रहेंगे.

गौरतलब है कि नए साल से ठीक पहले अगर इतने दिन बैंक बंद होने के कारण लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हड़ताल, महीने का दूसरा शनिवार, क्रिसमस और फिर एक बार फिर हड़ताल से बैंकों का काम पूरी तरह से ठप हो गया है.

आपको बता दें कि युनाइटेड फॉरम ऑफ बैंक यूनियंस के मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी के अनुसार, बैंक कर्मचारियों व अधिकारियों के संगठन आयबॉक ने वेतनवृद्धि और बैंकों के विलय के विरोध में बैंकों की हड़ताल की घोषणा की थी. देश में करीब 3.2 लाख से अधिक बैंक अधिकारी पहले भी हड़ताल पर रहे थे, इस बीच कुछ क्षेत्रों में एटीएम में भी काफी दिक्कतें आई थीं.

बैंक कर्मचारियों के अनुसार, मई 2017 को जमा हमारी मांगों के चार्टर के आधार पर 11वें द्विपक्षीय वेतन संशोधन वार्ता के लिए बिना शर्त आदेश पत्र जारी करने की मांग कर रही है. वेतन पुनरीक्षण पर बातचीत शुरू होने के 19 महीने बीत जाने के बाद भी इस प्रक्रिया में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.

गौरतलब है कि युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों के विलय के विरोध में 26 दिसंबर को हड़ताल का आह्वान किया है, यूएफबीयू शीर्ष नौ बैंक संघों की एक ईकाई है.

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तीसरे मोर्चे के लिए दिल्ली पहुंचे केसीआर, अखिलेश और मायावती से करेंगे मुलाकात

नई दिल्ली। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर थर्ड फ्रंट के गठन को लेकर केसीआर ने सोमवार को कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा रविवार को उड़ीसा के मुख्यमंत्री एवं बीजू जनता दल के अध्यक्ष नवीन पटनायक से मुलाकात कर चुके हैं. राव ने कहा इस मुलाकात के परिणामों को लेकर वह खासे उत्साहित हैं.

टीआरएस के दिल्ली कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक सोमवार रात को राव दिल्ली आ गए थे, 25 दिसंबर को पूरा दिन केसीआर ने अपने घर पर लगातार बैठकें करके गुजारा. बुधवार को उनकी मुलाकात सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती से हो सकती है. मंगलवार को पूरी दिन राव की अखिलेश और मायावती से मुलाकात को लेकर अटकलें लगती रहीं. लेकिन देर शाम तक मुलाकात नहीं हो सकी.

अखिलेश लखनऊ में थे और मायावती के कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक दोनों की मुलाकात के लिए समय तय नहीं है. बसपा के वरिष्ठ नेता ने बताया कि बहनजी दिल्ली में ही हैं लेकिन अब तक राव की ओर से मुलाकात के लिए कोई जानकारी नहीं आई है. समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा अखिलेश यादव के कई कार्यक्रम लखनऊ में लगे हैं और उनका फिलहाल दिल्ली आने का कोई प्रोग्राम नहीं है. तेलंगाना में विधानसभा चुनाव में टीआरएस की शानदार जीत के बाद उत्साह से लवरेज राव दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार दिल्ली आए हैं और बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से औपचारिक मुलाकात का कार्यक्रम है.

गुजरे कल राव ने ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद कहा था कि वह गैर भाजपा और गैर कांग्रेस गठबंधन के लिए विभिन्न दलों के साथ बातचीत का दौर जारी रखेंगे. राव ने कहा था कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए जल्द ही वह एक ठोस कार्ययोजना का ऐलान करेंगे.

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छात्रा को जलाए जाने के खिलाफ मायावती ने खोला मोर्चो

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उत्तर प्रदेश में दलित छात्राओं के साथ बलात्कार और उन्हें जला दिए जाने जैसी बड़ी घटनाओं को लेकर बसपा मुखिया मायावती ने मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने यूपी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि प्रदेश में अपराधी बेखौफ हो गए हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में बीजेपी की वर्तमान सरकार में महिला सम्मान तो दूरमहिला सुरक्षा की लगातार बिगड़ती हुई स्थिति पर गहरी चिंता जताई। बसपा मुखिया ने कहा, आगरा में छात्रा को जिन्दा जला देने व दूसरी छात्रा के साथ दुष्कर्म की घटनाओं से स्पष्ट है कि प्रदेश में जघन्य अपराधी पूरी तरह से बेखौफ हो गए हैं। बुलंदशहर की हाल की भीड़ द्वारा हुई हिंसा की घटना में पुलिस अफसर की मौत के बाद आगरा की ताजा घटनाओं ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में पुलिस व सरकार नाम की कोई चीज है भी की नहीं. अपराधियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग करते हुए सुश्री मायावती ने कहा कि, आज हर पीड़ित परिवार समुचित न्याय नहीं मिल पाने के कारण भयभीत व आक्रोशित है। बुलंदशहर की हिंसा में शहीद हुए पुलिस अफसर एस.के. सिंह के मुख्य अभियुक्तों का आज लगभग तीन सप्ताह बाद भी गिरफ्तार नहीं हो पाना यह साबित करने को काफी है कि उत्तर प्रदेश बीजेपी सरकार कानून-व्यवस्था के मामले में कितनी विफल साबित हो रही है. बसपा प्रमुख के इस बयान के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है। बसपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि इंसाफ नहीं मिलने तक सघंर्ष जारी रहेगा. इसे भी पढ़ें-राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के लिए विधानसभा चुनाव के नतीजों के क्या मायने है?

बजरंग बली को लेकर फिर बढ़ा विवाद, देखिए क्या है नया बखेरा

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बजरंगबली की जाति को लेकर छिड़ा विवाद शांत नहीं हो रहा है। पहले उन्हें दलितफिर आदिवासीफिर मुसलमान बताने के बाद जाट बताया जाने लगा है। उत्तर प्रदेश के धर्मार्थ कार्य मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने हनुमान को जाट बताया है। अजब बात यह है कि चौधरी ने यह बयान विधान परिषद में दिया। बकौल चौधरी, ‘जो दूसरों को दिक्कत मे देखकर कूद पड़ता हैवह जाट ही हो सकता है. इसलिए हनुमान जाट थे।कमाल यह है कि कुछ ही दिन पहले भाजपा के ही एक विधायक बुक्कल नवाब ने हनुमान की जाति को लेकर अनोखा बयान दिया था। बीजेपी विधायक के मुताबिक हनुमान मुस्लिम थे. अब इसके लिए भाजपा विधायक द्वारा दिए गए तर्क को भी सुनिए। बुक्कल नवाब के मुताबिक हनुमान के मुस्लिम होने के कारण ही मुसलमानों के नाम रहमानरमजानफरहानसुलेमानसलमान,जिशान और कुर्बान जैसे नाम रखे जाते हैं. तो वहीं केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सोंघ ने हनुमान को आर्य बताया तो बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने तो यह तक कह दिया कि हनुमान तो बंदर थे और बंदर पशु होता है,जिसका दर्जा दलित से भी नीचे होता है. वो तो राम ने उन्हें भगवान बना दिया. ध्यान देने वाली बात यह है कि हनुमान की जाति और धर्म को लेकर दिया गया हर बयान भाजपा नेताओं द्वारा ही दिया गया है।  सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने 27 नवंबर को राजस्थान के अलवर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए हनुमान को दलित बताया था. उन्होंने कहा था कि हनुमान वनवासीवंचित और दलित थे. उनके इस बयान के बाद देश भर में सियासी गलियारों में जमकर विरोध हुआ। इसके बाद देश के कई हिस्सों में स्थित हनुमान मंदिरों पर दलितों ने कब्जा करना शुरू कर दिया था। और दलित संगठनों की ओर से हर हनुमान मंदिर का पुजारी किसी दलित को बनाने की मांग उठने लगी। Read it also-एटा में दलित की बारात में जातिवादियों ने की जमकर मारपीट

महागठबंधन: मायावती के जन्मदिन पर हैं अब सबकी निगाहें

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लखनऊ। बीएसपी प्रमुख मायावती लोकसभा चुनाव से पहले अपना जन्मदिन बड़े स्तर पर मनाने की तैयारी कर रही हैं. सूत्रों का कहना है कि 15 जनवरी को अपने जन्मदिन पर मायावती कई विपक्षी दलों के नेताओं को मंच देकर अपनी ताकत दिखा सकती हैं. ऐसे में अब सबकी निगाहें इस पर लगी हैं कि बीएसपी सुप्रीमो इस मौके पर गठबंधन का ऐलान करती हैं या नहीं. साथ ही यह देखना भी दिलचस्प होगा कि उस गठबंधन में कांग्रेस शामिल होगी या नहीं.

गठबंधन का ऐलान करने से पहले एसपी-बीएसपी को 5 राज्यों के नतीजों का इंतजार था. इन नतीजों के बाद बीएसपी प्रमुख मायावती और एसपी मुखिया अखिलेश ने यह साफ भी कर दिया है कि फिलहाल उनकी कांग्रेस से दूरी बनी रहेगी. कांग्रेस ने विपक्षी एकता और अपनी ताकत दिखाने के लिए मध्य प्रदेश व राजस्थान में विपक्ष के नेताओं को जुटाया था. उसमें मायावती और अखिलेश यादव नहीं शामिल हुए थे. ममता बनर्जी, एचडी देवगौड़ा, अभय चौटाला सहित कई नेता भी शामिल नहीं हुए थे. देवगौड़ा और चौटाला पहले से मायावती के साथ हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि ये तो मायावती के मंच पर रहेंगे ही.

श्रोत:- नवभारत टाइम्स इसे भी पढ़ें-लोकसभा में भी ऐसे ही रहा तो ये होंगे नतीजे  

IIT रुड़की में दलित छात्रा का यौन उत्पीड़न

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प्रतिकात्मक फोटो

आईआईटी रूड़की में एक दलित पीएचडी छात्रा की शिकायत पर हरिद्वार पुलिस ने 3 प्रोफेसरों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. छात्रा ने आरोप लगाया था कि तीनों ने उसका शारीरिक और मानसिक शोषण किया था. इस मामले की जांच के लिए पुलिस ने एसआईटी का गठन किया था. हरिद्वार पुलिस ने बताया था कि जांच में यह पता चला है कि पीड़िता के सारे आरोप सही नहीं हैं लेकिन आरोपियों के खिलाफ मामला बनता है. उत्पीड़न को लेकर लोगों में आक्रोश फैल गया था और कैंपस के बाहर प्रदर्शन भी हुए थे.

आईआईटी रुड़की में 3 महिलाओं ने जहां 7 फैकल्टी मेंबर यौन शोषण के आरोप लगाए थे, वहीं नैनोटेक्नॉलजी सेंटर की एक दलित स्कॉलर ने भी 3 सीनियर फैकल्टी मेंबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. इस मामले की जांच के लिए पुलिस ने SIT का गठन किया था. आरोप था कि 3 फैकल्टी सदस्यों ने पीएचडी गाइड होने के नाते पहले दलित स्कॉलर का यौन शोषण किया और फिर उसे जातिसूचक शब्द भी कहे.

एसएसपी हरिद्वार एसएसपी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कनखल उपाधीक्षक की अगुवाई में एसआईटी की गठन किया था. एसआईटी ने छात्र-छात्राओं, प्रोफेसरो और स्टाफ से पूछताछ की. पीड़ित छात्रा से भी टीम ने बात की. इस जांच में यह बात सामने आई कि छात्रा के सभी आरोप सही नहीं हैं. पीड़ित छात्रा के खराब व्यवहार की शिकायत भी की गई थी. इसके बाद उसने माफी भी मांग ली थी.

छात्रा ने सुपरवाइजर को बदलने का भी आवेदन किया था. इसके बावजूद उसके आरोपों में दम है. इसे देखते हुए कोतवाली रुड़की में 3 प्रोफेसरों के खिलाफ यौन उत्पीड़न और जातिगत भेदभाव की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. पुलिस के मुताबिक इनके खिलाफ 509, 354, एससी-एसटी एक्ट और 352 के तहत केस दर्ज किया गया है. मामला जांच अधिकारी को सौंप दिया गया है.

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यूपी के पूर्व अधिकारियों ने मांगा योगी से इस्तीफा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुई हिंसा पर राज्य के पूर्व नौकरशाहों ने योगी सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया है. करीब 83 रिटायर्ड नौकरशाहों ने बुलंदशहर हिंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा मांगा है. अपने खुले खत में रिटायर्ड अफसरों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने बुलंदशहर हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया. इसके अलावा वह सिर्फ गोकशी केस पर ध्यान दे रहे हैं.

आपको बता दें कि पूर्व नौकरशाहों का ये खत तब सामने आया है जब बुलंदशहर हिंसा की जांच SIT ने पूरी कर ली है. जांच में खुलासा हुआ है कि हिंसा से पहले गोकशी हुई थी. इस आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगने वालों में पूर्व अफसर बृजेश कुमार, अदिति मेहता, सुनील मित्रा जैसे बड़े अफसर शामिल हैं. अफसरों ने आरोप लगाया कि बुलंदशहर हिंसा को राजनीतिक रंग दिया गया है. आपको बता दें कि ये खुला खत सोशल मीडिया पर इन दिनों वायरल हो रहा है, इसमें दावा किया गया है कि 83 अफसर इनके साथ हैं.

अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इससे पहले भी कई मसलों पर खुला खत लिखा है. बुलंदशहर हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि एक पुलिस वाले की भीड़ द्वारा हत्या किया जाना बहुत दर्दनाक है, इससे राज्य की कानून व्यवस्था पर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं. उन्होंने अपील की है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए और हिंसा से जुड़े पूरे मामले की जांच होनी चाहिए.

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सरकार और मोदी की आलोचना पर पत्रकार पर लगा एनएसए

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मणिपुर के एक पत्रकार को बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करना महंगा पड़ गया. उसे मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत एक साल तक हिरासत में रखने की सजा सुनाई गई है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 39 वर्षीय किशोर चंद्र वांगखेम को पहले 27 नवंबर को हिरासत में लिया गया था. उन्होंने फेसबुक पर एक वीडियो के जरिये मुख्यमंत्री बीरेन सिंह और साथ ही पीएम मोदी की कथित तौर पर आलोचना की थी.

बताया जा रहा है कि सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचना का मामला एक माह पुराना है. दरअसल, पत्रकार वांगखेम ने अपने फेसबुक पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें उन्होंने मणिपुर की बीजेपी सरकार की आलोचना की थी.

वीडियो में कथित तौर पर पत्रकार वांगखेम ने मुख्यमंत्री के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी. पत्रकार ने अंग्रेजी और मेइती भाषा में कई वीडियो अपलोड किए थे. इस वीडियो में वांगखेम ने कहा था, ‘मैं दुखी और हैरान हूं कि मणिपुर की सरकार लक्ष्मीबाई की जयंती (19 नवंबर को) मना रही है. मुख्यमंत्री यह दावा करते हैं कि भारत को एकता के सूत्र में पिराने में झांसी की रानी का योगदान था. लेकिन, मणिपुर के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया.’

उन्होंने राज्य की बीजेपी सरकार पर यह आरोप लगाया था कि मणिपुर सरकार ऐसा केवल इसलिए कर रही है क्योंकि केंद्र सरकार ने इसके लिए कहा है. उन्होंने इसे मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया और हिंदुत्व की कठपुतली बताते हुए पीएम नरेंद्र मोदी और मणिपुर के सीएम पर अपमानजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया.

कोर्ट ने कहा राजद्रोह नहीं, फिर भी NSA के तहत फिर गिरफ्तार हुए….

यह वीडियो सामने आने के बाद पत्रकार किशोर चंद्र वांगखेम को 20 नवंबर को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि, 26 नवंबर को वेस्ट इंफाल की सीजेएम कोर्ट ने उन्हें 70 हजार के बॉन्ड पर जमानत दे दी. जमानत के वक्त कोर्ट ने यह भी कहा कि, पत्रकार की टिप्पणी भारत के प्रधानमंत्री और मणिपुर के मुख्यमंत्री के खिलाफ अपने विचार की अभिव्यक्ति थी, लेकिन इसे राजद्रोह नहीं का जा सकता.

कोर्ट के कहने के बावजूद अगले ही दिन 27 नवंबर को पत्रकार वांगखेम को एनएसए के तहत फिर गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया. इस बार वेस्ट इंफाल के जिला न्यायाधीश ने एक नया ऑर्डर जारी किया और कहा कि, अगले आदेश तक पत्रकार को एनएसए 1980 के सेक्शन 3(2) के तहत हिरासत में रखना चाहिए. फिर दोबारा उन्होंने नए आदेश जारी किए जिसमें यह कहा गया है कि पत्रकार को 12 महीनों तक हिरासत में रहना होगा.

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बच्चों के पाउडर में कैंसर वाले केमिकल मिलने का दावा

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नई दिल्ली। बच्चों के सामान बनाने वाली कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन पर भारत में संकट आ सकता है. खबरों के मुताबिक अमेरिका में इस कंपनी के पाउडर में ऐसे केमिकल मिले थे जिससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है. इस रिपोर्ट के बाद मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बैठक की और देशभर में जॉनसन एंड जॉनसन की फैक्ट्रियों के सैंपल जब्त करने का आदेश दिया.

रिपोर्ट में दावा किया गया कि जॉनसन एंड जॉनसन के अधिकारियों को भी ये बात पता था कि ये बेबी पाउडर खतरनाक है, लेकिन उन्होंने इसे छिपाए रखा. हालांकि कंपनी ने इस दावे को बेबुनियाद बताकर इसे साजिश करार दिया है. सूत्रों के मुताबिक अब भारत में ड्रग रेगुलेटर के अधिकारी इस कंपनी के पाउडर सैंपल जब्त करेंगे, जिसके बाद इसकी जांच की जाएगी.

आपको बता दें अमेरिका की इस दिग्गज फार्मा कंपनी के बेबी पाउडर में कैंसरकारक केमिकल एसबेस्टस होने का खुलासा हुआ है. रॉयटर्स की एक इंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कंपनी को भी इस बारे में लंबे समय से जानकारी थी. रिपोर्ट के मुताबिक साल 1971 से साल 2000 तक टेस्ट के दौरान बेबी पाउडर में कई बार एसबेस्टस मिला था.

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सामने आया बुराड़ी के पूरे परिवार की हत्या का सच!

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दिल्ली। दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 सदस्यों की मौत के राज से पर्दा उठ गया है. बिसरा रिपोर्ट के मुताबिक बुराड़ी कांड में मारे गए किसी भी सदस्यप के पेट से कोई जहरीला पदार्थ नहीं मिला है. इसी के साथ रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि आत्म हत्याई से पहले कुछ लोगों ने खाना खाया था लेकिन कुछ लोग भूखे थे. इस पूरे मामले की जांच क्राइम ब्रांच की टीम कर रही है. बिसरा रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो गया है कि परिवार के 11 लोगों ने एक साथ आत्मीहत्या की थी.

दिल्ली के बुराड़ी इलाके के संतनगर में एक घर से एक साथ 11 लाशें मिलने के मामले में हर दिन नई-नई बातें सामने आ रही थीं. पूरा परिवार ‘मोक्ष प्राप्ति’ और मृत पिता से मिलने के लिए तंत्र-मंत्र और कथित धार्मिक अनुष्ठान कर रहा था. मोक्ष प्राप्ति की एक प्रक्रिया के तौर पर परिवार ने मास सुसाइड किया. इसके लिए परिवार के दो सदस्यों घर के बगल वाली फर्नीचर की शॉप से प्लास्टिक के स्टूल और तार खरीदे थे.

ललित के कहने पर बाकी लोगों ने लगाई फांसी 

पुलिस का कहना है कि घर का छोटा बेटा होने की वजह से ललित भाटिया अपने पिता भोपाल सिंह का लाड़ला था और उनके बेहद करीबी था. पिता की मौत का असर उसपर सबसे ज्यादा पड़ा. ललित सदमे में था. पास-पड़ोस के लोगों ने पुलिस को बताया कि एक हादसे में ललित की आवाज चली गई थी. काफी इलाज के बाद आवाज नहीं लौटी. तब से वह अपनी बातें लिखकर बताने लगा. परिवार के करीबियों के मुताबिक, इसी दौरान ललित ने परिवार को बताया कि पिता भोपाल सिंह उसे दिखाई देते हैं और बातें करते हैं.

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OBC आरक्षण पर योगी सरकार का नया दांव

लखनऊ। पिछड़ी जातियों को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार नया फार्मूला तैयार करने की राह पर है. सरकार ने अति पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाने की बात कहते हुए यह फार्मूला तय किया है. नए फार्मूले में यादव और कुर्मी जाति को मिलने वाले आरक्षण को सीमित कर दिया गया है. हालांकि कमेटी की रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है, लेकिन इसके कुछ हिस्से सामने आए हैं. इसके तहत ओबीसी को कोटा विद इन कोटा के तहत तीन वर्गों में बांटने की बात सामने आ रही हैं.

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ओबीसी के भीतर उप-जातियों के वर्गीकरण के लिए इस समिति का गठन किया था, जिसके बाद यह रिपोर्ट सामने आई है. राघवेंद्र कमिटी के रिपोर्ट के मुताबिक ओबीसी जातियों को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण को बांट दिया गया है. रिपोर्ट में चार सदस्यीय समिति द्वारा कथित तौर पर ओबीसी की संपन्न जातियों जैसे यादव और कुर्मी आदि को 7 फीसदी आरक्षण दिए जाने की बात कही गई है. बाकी 20 फीसदी आरक्षण अति पिछड़ी जातियों के कोटे में जाएगा. जस्टिस राघवेंद्र कुमार की अगुवाई वाली समिति ने ओबीसी की 79 उप-जातियों की पहचान की है. अब हम आपको बताते हैं कि किस जाति को किस वर्ग में रखा गया है और उसको कितना आरक्षण मिलेगा.

रिपोर्ट के मुताबिक संपन्न पिछड़ी जातियों में नौ जातियों को रखा गया है इनमें- यादव, अहिर, जाट, कुर्मी, सोनार, पटेल और चौरसिया सरीखी जातियां शामिल हैं. इनको 7 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने का प्रस्ताव है.

जबकि अति पिछड़ा वर्ग में 65 जातियों को शामिल किया गया है उनमें- गिरी, गुर्जर, गोंसाई, लोध, कुशवाहा, कुम्हार, माली, शाक्य, तेली, साहू, सैनी, नाई और लोहार आदि जातियां हैं. इन जातियों को 11 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने का प्रस्ताव है.

तीसरी कैटेगरी में 95 जातियों को शामिल किए जाने की बात सामने आई है. इनमें मल्लाह, केवट, निषाद, राई, गद्दी, घोसी, राजभर जैसी जातियां शामिल हैं. इनको 9 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई है.

इस रिपोर्ट की सिफारिशें सामने आने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि देश में आबादी के हिसाब से आरक्षण हो. देश में जातियों के आधार पर जनगणना हो और उसके बाद तब आरक्षण का फार्मूला तय किया जाना चाहिए.

दरअसल राघवेंद्र कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण का ज्यादा फायदा कुछ चुनिंदा संपन्न जातियां ही उठाती रही हैं. ऐसे में कोटे के भीतर कोटा तय होना चाहिए, क्योंकि ओबीसी की बाकी 70 फीसदी जातियां अब भी आरक्षण के फायदे से वंचित है.

हालांकि, इस रिपोर्ट पर आखिरी फैसला योगी सरकार को लेना है. इस रिपोर्ट के मुताबिक आरक्षण के भीतर आरक्षण तय होगा या फिर सरकार इसमें कुछ संशोधन करेगी, यह तय होना फिलहाल बाकी है. यह भी कहा जा रहा है कि सरकार तीनों वर्गों को 9-9 प्रतिशत आरक्षण देने पर विचार कर सकती है. योगी सरकार इस पर आखिरी फैसला कब लेती है, और क्या फैसला लेगी, यह आने वाला वक्त बताएगा. फिलहाल समिति की रिपोर्ट ने नई बहस तो छेड़ ही दी है.

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सिख दंगे के दोषी सज्जन कुमार का कांग्रेस से इस्तीफा

1984 के सिख विरोधी दंगे के आरोप में उम्रकैद की सजा पाने वाले सज्जन कुमार ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उम्रकैद की सजा पाए सज्जन कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेज दिया है.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, सज्जन कुमार ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर बताया है कि मेरे खिलाफ आए दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के मद्देनजर मैं कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं.

सोमवार को आया था फैसला

बता दें कि 17 दिसंबर (सोमवार) को दिल्ली हाई कोर्ट ने सज्जन कुमार को दंगे का दोषी पाया था. हाई कोर्ट ने निचली अदालत का आदेश रद्द करते हुए सज्जन कुमार को दोषी पाया और उम्रकैद की सजा सुनाई.

किन आरोपों में मिली सजा

सज्जन कुमार के ऊपर आपराधिक साजिश रचने का आरोप है. साथ ही हिंसा कराने व सिख विरोधी दंगे भड़काने के भी आरोप हैं, जिनमें दिल्ली उच्च न्यायालय ने सज्जन कुमार को दोषी पाया है.

31 दिसंबर को करना होगा सरेंडर

सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करने की मोहलत दी गई है. दूसरी तरफ हाई कोर्ट ने बलवान खोखर, कैप्टन भागमल व गिरधारी लाल की उम्रकैद की सजा भी बरकरार रखी है.

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IPL नीलामी: युवराज को नहीं मिला ख़रीददार, जयदेव उनादकट को मिले 8.4 करोड़

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नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग के 12वें सीज़न के लिए नीलामी में कई खिलाड़ियों की किस्मत का ताला खुल गया है, जबकि कई खिलाड़ियों के हिस्से मायूसी आई है. आईपीएल में अब तक जिन खिलाड़ियों की नीलामी हुई है उनमें जयदेव उनादकट को सबसे ज़्यादा साढ़े आठ करोड़ रुपए में ख़रीदा गया है. राजस्थान रॉयल्स ने डेढ़ करोड़ रुपए के बेस प्राइस वाले जयदेव उनादकट को साढ़े आठ करोड़ में ख़रीदा है. इससे पहले एक करोड़ रुपए की बेस प्राइस वाले अक्षर पटेल को दिल्ली कैपिटल ने पांच करोड़ रुपए में ख़रीदा. जबकि युवराज सिंह को कोई खरीददार नहीं मिल सका है. कैंसर से जंग जीतने के बाद मैदान में वापसी करने वाले युवराज सिंह का बेस प्राइस एक करोड़ रुपए है. लेकिन अब तक युवराज को किसी ने नहीं ख़रीदा है. इसके साथ ही मार्टिन गुप्तिल और ब्रेंडन मैकुलम को भी अभी तक किसी टीम ने नहीं ख़रीदा है. शिमरॉन हेटमेयर की चांदी रही है. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने 50 लाख रुपए की बेस प्राइस वाले वेस्ट इंडीज़ के खिलाड़ी शिमरॉन हेटमेयर को 4.2 करोड़ रुपए में ख़रीदा है. इसके साथ ही 50 लाख बेस प्राइस वाले हनुमा विहारी को भी दो करोड़ रुपए में दिल्ली कैपिटल ने ख़रीदा है.

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राहुल गांधी का मोदी पर एक और हमला

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर राहुल गांधी लगातार हमलावर बने हुए हैं. अपने नए बयान में राहुल गांधी ने नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जब तक किसानों का कर्ज माफ नहीं करते, हम उन्हें सोने नहीं देंगे. दरअसल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के साथ ही कांग्रेस पार्टी उत्साह में दिख रही है. राहुल गांधी ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि तीन राज्यों में सरकार बनते ही उन्होंने छह घंटे के अंदर दो राज्यों में किसानों के कर्ज़ माफी की घोषणा कर दी. उन्होंने यह भी कहा कि तीसरे राज्य में वे घोषणा करने वाले हैं.

नरेंद्र गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार को साढ़े चार साल हो चुके हैं और पीएम मोदी ने किसानों का एक रुपया भी माफ नहीं किया है. उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ‘आप पसीना बहाते हैं. हम आपकी आवाज़ उठाते हैं.’ उन्होंने कहा कि जब तक नरेंद्र मोदी किसानों का कर्ज़ माफ नहीं करेंगे हम उनको सोने नहीं देंगे.

राहुल गांधी ने कहा, ‘हमने दस दिन में कर्ज़ माफ करने का वादा किया था लेकिन हमने सिर्फ एक दिन में करके दिखा दिया. किसानों को उन्होंने भरोसा दिलाया कि कांग्रेस पार्टी बाकी सारी विपक्षी पार्टियों को लेकर आपके साथ खड़ी होगी. बता दें कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को हराकर कांग्रेस ने सरकार बनाई है. सरकार बनते ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने किसानों का कर्ज़ माफ करने की घोषणा कर दी थी.

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सिख विरोधी दंगा / कांग्रेस नेता सज्जन कुमार समेत 4 दोषियों को उम्रकैद

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नई दिल्ली। 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई. उन्हें 31 दिसंबर तक सरेंडर करने का आदेश दिया गया है. सज्जन को आपराधिक साजिश और दंगा भड़काने का दोषी पाया गया. निचली अदालत ने 30 अप्रैल 2013 को उन्हें बरी कर दिया था.

हाईकोर्ट ने सज्जन के अलावा तीन अन्य दोषियों- कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और कांग्रेस के पार्षद बलवान खोखर की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा. बाकी दो दोषियों- पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर की सजा तीन साल से बढ़ाकर 10 साल कर दी.

‘मौत की सजा तक जारी रहेगी लड़ाई’

अभियोजन के वकील एचएस फूलका और अकाली नेता मानजिंदर सिंह सिरसा ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. हालांकि, उन्होंने कहा कि सज्जन और जगदीश टाइटलर को मौत की सजा दिलाने तक उनकी जंग जारी रहेगी. वे गांधी परिवार को भी जेल पहुंचाकर रहेंगे.

‘बंटवारे के 37 साल बाद दिल्ली ने देखी ऐसी त्रासदी’

जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘1947 में बंटवारे के वक्त कई लोगों का कत्लेआम किया गया था. इसके 37 साल बाद दिल्ली ऐसी ही त्रासदी की गवाह बनी. आरोपी राजनीतिक संरक्षण का फायदा उठाकर सुनवाई से बच निकले.’’

सज्जन को गवाह ने पहचान लिया था

पिछले महीने पटियाला हाउस कोर्ट में मामले की एक गवाह चाम कौर ने सज्जन को पहचान लिया था. चाम ने बयान दिया था- घटनास्थल पर मौजूद सज्जन ने वहां मौजूद दंगाइयों से कहा था कि सिखों ने हमारी मां (इंदिरा गांधी) का कत्ल किया है, इसलिए इन्हें नहीं छोड़ना. बाद में भीड़ ने उकसावे में आकर मेरे बेटे और पिता का कत्ल कर दिया.

5 सिखों की हत्या के मामले में हुई सजा

1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे फैले थे. इस दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर में पांच सिखों- केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या हुई थी. इस मामले में केहर सिंह की विधवा और गुरप्रीत सिंह की मां जगदीश कौर ने शिकायत दर्ज कराई थी. पीड़ित परिवार की शिकायत और न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश के आधार पर सीबीआई ने सभी छह आरोपियों के खिलाफ 2005 में एफआईआर दर्ज की थी. 13 जनवरी 2010 को आरोपपत्र दाखिल किया गया था.

जेटली ने कहा- सज्जन कुमार सिख विरोधी दंगों के प्रतीक

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘‘दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. सज्जन कुमार सिख विरोधी दंगों के प्रतीक बन गए थे. 1984 में दिल्ली और दूसरे इलाकों में सिखों की हत्या की गई. यह फैसला पीड़ितों को राहत देने वाला है. कांग्रेस नेता ने दंगा भड़काने वालों का नेतृत्व किया था. जांच आयोग के अध्यक्ष रहे जज को बाद में कांग्रेस ने राज्यसभा सदस्य बना दिया. उन्होंने कहा था कि सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है. जांच के लिए कमेटी ने जब भी किसी कांग्रेस नेता की ओर इशारा किया, उसे हटा दिया गया. इस तरह से कांग्रेस ने लोगों के साथ अन्याय किया. इस मामले में एक और नेता (कमलनाथ) का नाम आया था, कांग्रेस उन्हें आज मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला रही है.”

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मध्यप्रदेश को लेकर मायावती ने लिया यह बड़ा फैसला

नई दिल्ली। हाल ही में आए विधानसभा के नतीजे कांग्रेस पार्टी के लिए खुशियां लेकर आई हैं. तो वहीं बहुजन समाज पार्टी चुनावी नतीजों से बहुत ज्यादा खुश नहीं हैं. चुनाव परिणाम आने के बाद गुरुवार 13 दिसंबर को बसपा अध्यक्ष मायावती ने दिल्ली में समीक्षा बैठक की. इसमें चुनावी राज्यों के सभी प्रभारी और अध्यक्ष मौजूद थे. खबर है कि समीक्षा बैठक के दौरान मध्यप्रदेश में पार्टी के खराब प्रदर्शन से बसपा प्रमुख मायावती काफी नाराज रहीं. इस हार को लेकर बड़ी कार्रवाई करते हुए मायावती ने प्रदेश प्रभारी रामअचल राजभर और प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार को उनके पद से हटा दिया है. यहीं नहीं बल्कि बसपा प्रमुख ने बड़ा कदम उठाते हुए मध्यप्रदेश की पूरी कार्यकारिणी भंग कर दी है. फिलहाल प्रदेश में नई नियुक्तियों में मुरैना के डीपी चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की खबर है.

मायावती की नाराजगी की वजह भी है. इस बार सिर्फ दो विधायक भिंड से संजीव सिंह और पथरिया से रामबाई गोविन्द सिंह ही जीत पाए हैं. बसपा के लिए चिंता की बात यह भी रही कि इस बार कोई भी मौजूदा विधायक अपनी सीट नहीं बचा पाया. तीन राज्यों के चुनावी नतीजों में बसपा के लिए सबसे चिंता की स्थिति मध्यप्रदेश में है. 2008 के बाद बसपा यहां संभल नहीं पाई है. राज्य में उसकी सीटें और वोट शेयर दोनों गिरा है. 2008 में बसपा के पास 7 सीटें थी और उसका वोट प्रतिशत 8.97 था. इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा को यहां 6.29 प्रतिशत वोट मिला था और उसने 4 सीटें जीती थी. इस बार उसकी सीटें दो हो गई हैं और वोट प्रतिशत भी घटकर 4.9 प्रतिशत हो गया है.

जबकि अगर बसपा की उम्मीदों की बात करें तो बसपा को सबसे ज्यादा उम्मीद मध्यप्रदेश में ही थी. उसे लग रहा था कि वह मध्यप्रदेश में किंग मेकर बनकर उभरेगी. बसपा की यह उम्मीद गलत नहीं थी. आंकड़ों से साफ है कि रीवा, सतना, दमोह, भिंड, मुरैना आदि जिलों में बसपा का काफी प्रभाव था. मध्यप्रदेश में जिस तरह आखिरी वक्त तक एक-एक सीट को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच रस्सा-कस्सी चलती रही, उस स्थिति में बसपा अगर अपने पिछले प्रदर्शन से थोड़ा भी बेहतर प्रदर्शन करती और दर्जन भर सीटें भी हासिल कर लेती तो वह किंगमेकर बनकर उभर सकती थी. लेकिन ऐसा हो नहीं सका, ये तब है जब खुद मायावती ने प्रदेश में एक दर्जन से ज्यादा सभाएं की थी.

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