नई दिल्ली। 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई. उन्हें 31 दिसंबर तक सरेंडर करने का आदेश दिया गया है. सज्जन को आपराधिक साजिश और दंगा भड़काने का दोषी पाया गया. निचली अदालत ने 30 अप्रैल 2013 को उन्हें बरी कर दिया था.
हाईकोर्ट ने सज्जन के अलावा तीन अन्य दोषियों- कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और कांग्रेस के पार्षद बलवान खोखर की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा. बाकी दो दोषियों- पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर की सजा तीन साल से बढ़ाकर 10 साल कर दी.
‘मौत की सजा तक जारी रहेगी लड़ाई’
अभियोजन के वकील एचएस फूलका और अकाली नेता मानजिंदर सिंह सिरसा ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. हालांकि, उन्होंने कहा कि सज्जन और जगदीश टाइटलर को मौत की सजा दिलाने तक उनकी जंग जारी रहेगी. वे गांधी परिवार को भी जेल पहुंचाकर रहेंगे.
‘बंटवारे के 37 साल बाद दिल्ली ने देखी ऐसी त्रासदी’
जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘1947 में बंटवारे के वक्त कई लोगों का कत्लेआम किया गया था. इसके 37 साल बाद दिल्ली ऐसी ही त्रासदी की गवाह बनी. आरोपी राजनीतिक संरक्षण का फायदा उठाकर सुनवाई से बच निकले.’’
सज्जन को गवाह ने पहचान लिया था
पिछले महीने पटियाला हाउस कोर्ट में मामले की एक गवाह चाम कौर ने सज्जन को पहचान लिया था. चाम ने बयान दिया था- घटनास्थल पर मौजूद सज्जन ने वहां मौजूद दंगाइयों से कहा था कि सिखों ने हमारी मां (इंदिरा गांधी) का कत्ल किया है, इसलिए इन्हें नहीं छोड़ना. बाद में भीड़ ने उकसावे में आकर मेरे बेटे और पिता का कत्ल कर दिया.
5 सिखों की हत्या के मामले में हुई सजा
1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे फैले थे. इस दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर में पांच सिखों- केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या हुई थी. इस मामले में केहर सिंह की विधवा और गुरप्रीत सिंह की मां जगदीश कौर ने शिकायत दर्ज कराई थी. पीड़ित परिवार की शिकायत और न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश के आधार पर सीबीआई ने सभी छह आरोपियों के खिलाफ 2005 में एफआईआर दर्ज की थी. 13 जनवरी 2010 को आरोपपत्र दाखिल किया गया था.
जेटली ने कहा- सज्जन कुमार सिख विरोधी दंगों के प्रतीक
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘‘दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. सज्जन कुमार सिख विरोधी दंगों के प्रतीक बन गए थे. 1984 में दिल्ली और दूसरे इलाकों में सिखों की हत्या की गई. यह फैसला पीड़ितों को राहत देने वाला है. कांग्रेस नेता ने दंगा भड़काने वालों का नेतृत्व किया था. जांच आयोग के अध्यक्ष रहे जज को बाद में कांग्रेस ने राज्यसभा सदस्य बना दिया. उन्होंने कहा था कि सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं है. जांच के लिए कमेटी ने जब भी किसी कांग्रेस नेता की ओर इशारा किया, उसे हटा दिया गया. इस तरह से कांग्रेस ने लोगों के साथ अन्याय किया. इस मामले में एक और नेता (कमलनाथ) का नाम आया था, कांग्रेस उन्हें आज मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला रही है.”
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