नई दिल्ली। हरियाणा के पलवल इलाके के फुलवारी गांव में दलितों के भीतर गुर्जर समुदाय का खौफ बरकरार है. घटना को दो माह बीत चुके हैं लेकिन अभी तक दलितों को डर के साए में गुजारा करना पड़ रहा है. खबरों की मानें तो अब तक दस दलित परिवार गांव छोड़कर जा चुके हैं.
आज तक की खबरे के अनुसार दो महीने पहले फुलवारी गांव में एक 21 वर्षीय दलित छात्र की कथित तौर पर दो गुर्जरों ने बेहरमी से पिटाई कर दी थी. आरोप है कि दलित छात्र ने उनके घर का काम करने से मना कर दिया था. इसके बाद दोनों समुदायों के बीच मामला बढते चला गया था. इस मामले को लेकर एक एफआईआर दलित समुदाय की ओर से, जबकि दूसरी गुर्जर समुदाय की ओर से दर्ज कराई गई थी. एफआईआर में एक दलित ने गुर्जर समुदाय के लोगों पर हिंसा करने और जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया है. तो वहीं, गुर्जर समुदाय के एक सदस्य की ओर दी गई शिकायत में 15 दलितों द्वारा हिंसा करने का आरोप लगाया गया है.
पलवल पुलिस स्टेशन के SHO इंस्पेक्टर देवेंद्र ने बताया कि हमें दोनों समुदाय की ओर से शिकायत मिली है. फिलहाल इन घटनाओं की जांच की जा रही है. अभी तक इन मामलों में किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है. इस मामले की छानबीन की जा रही है.
वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि जब से ये घटनाएं हुई हैं, तब से इलाके में भय का माहौल बना है. इसके चलते दलित समुदाय के लोग इलाके से पलायन भी कर रहे हैं. पीड़ित दलित छात्र के पिता ने दावा किया है कि दलित समुदाय के करीब 10 परिवारों ने गांव छोड़ दिया है. इस मामले को लेकर 21 अप्रैल को पहली एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया कि यह घटना उस समय हुई, जब दलित छात्र उस नर्सिंग होम जा रहा था, जहां उसकी बहन भर्ती थी. उसने बताया, ‘मेरे पिता ने पांच हजार रुपये लेकर आने को कहा था. मैंने एक पड़ोसी की मोटरसाइकिल मांगी और हॉस्पिटल को निकल गया.
इस दौरान रास्ते में उसको गुज्जर समुदाय का एक शख्स मिला और दलित छात्र को अपने घर में काम करने को कहा.’ छात्र ने बताया, ‘इसके बाद मैंने उस शख्स से कहा कि मेरी बहन अस्पताल में भर्ती है. लिहाजा मुझे जाने दो, लेकिन वो नहीं माना और मारपीट करने लगा. उसका भाई डंडा लेकर आया और मेरी पिटाई कर दी.’
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