बीते कुछ सालों में दलित साहित्य महोत्सव ने दलित साहित्य को आगे बढ़ाने की दिशा में गंभीर काम किया है। इस वर्ष का दलित साहित्य महोत्सव दो दिनों तक चलेगा। यह 28 फरवरी और एक मार्च को दिल्ली में आर्यभट्ट कॉलेज में आयोजित होगा। अंबेडकरवादी लेखक संघ (अलेस) की ओर से आयोजित होने वाला यह चौथा दलित साहित्य सम्मेलन है। इस दौरान अलेस की ओर से सभी साहित्यकारों, कलाकारों, रंगकर्मियों, विद्वानों, शोधकर्ताओं, को चतुर्थ दलित साहित्य महोत्सव में आमंत्रित किया गया है।
अंबेडकरवादी लेखक संघ की ज्वाइंट सेक्रेट्री डॉ. सीमा माथुर ने बताया कि इस बार की थीम, ‘दलित साहित्य से विश्व शांति संभव है’ रखा गया है। इस कार्यक्रम के जरिये दलितों, आदिवासियों और बंजारा समाज को साथ जोड़ने की कवायद की जा रही है। दो दिनों की कार्यक्रम में पहले दिन 28 फरवरी को कार्यक्रम शुरू होंगे। इस दौरान देश के दिग्गज दलित साहित्यकार मौजूद रहेंगे। साथ ही सामाजिक रूप से पिछड़े सीवर वर्कर को भी उद्घाटन सत्र में मंच दिया जाएगा ताकि समाज के बीच एक मैसेज जा सके।
दो दिनों में तमाम विषयों पर चर्चा होनी है, इसमें स्त्री मुद्दों को भी जगह दी गई है। दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और घुमंतू स्त्री का देश और समाज में योगदान जैसे विषयों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही भारतीयता के आईने में हाशिये के समुदाय की साहित्यिक अभिव्यक्ति और चुनौतियां जैसे गंभीर विषय भी शामिल किये गए हैं। इस बार एलजीबीटी समाज के मुद्दों को भी शामिल किया गया है। दो दिनों के कार्यक्रम में भारतीय मीडिया और दलित प्रश्न पर भी चर्चा होगी। इस मौके पर सांस्कृति कार्यक्रम भी होंगे। इसके लिए लखनऊ और राजस्थान के कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रम दोनों दिन होंगे जो शाम को होगा। एक मार्च को कार्यक्रम के दूसरे दिन कवि सम्मेलन का आयोजन होगा।
अंबेडकरवादी लेखक संघ के पदाधिकारी और चर्चित कवि सुदेश तंवर ने बताया कि इस आयोजन में देश के दिग्गज साहित्यकार मौजूद रहेंगे। हमारी कोशिश है कि इस आयोजन के जरिये दलित समाज के दिग्गज साहित्यकारों के मार्गदर्शन में हम दलित साहित्य को नई ऊंचाई तक ले जाएं।

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