उत्तर प्रदेश। यूपी के कासगंज की घटना के बाद बरेली के डीएम कैप्टन राघवेन्द्र विक्रम सिंह द्वारा फेसबुक पर लिखे गए पोस्ट ने देश के सर्वोच्च सेवा के अधिकारी का दर्द बयां कर दिया था. अपने पोस्ट में सिंह ने लिखा था कि ‘अजब रिवाज़ बन गया है. मुस्लिम मुहल्लों में जबरदस्ती जुलूस ले जाओ और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाओ. क्यों भाई वे पाकिस्तानी हैं क्या? यही यहां बरेली में खैलम में हुआ था. फिर पथराव हुआ. मुकदमे लिखे गए.’ हालांकि इस पोस्ट के वायरल होने और सरकार की ओर से दबाव बढ़ने के बाद डीएम ने अपनी पोस्ट को हटा लिया था, लेकिन इस पोस्ट से बहस का दौर शुरू हो गया.
अब भारत में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हो रहे हमलों के खिलाफ देश के पूर्व नौकरशाह सामने आए हैं. देश के 67 पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हो रहे हमले पर चिंता व्यक्त की है. बीते 28 जनवरी को पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में इन लोगों ने कई घटनाओं का जिक्र किया है, जहां अल्पसंख्यकों के साथ ज्यादती हुई. पत्र में अल्पसंख्यकों पर हुई पांच हिंसा की घटनाओं के साथ अलवर में हुई पहलू खान घटना का भी जिक्र किया गया है.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक इस पर दस्तखत करने वालों में पूर्व स्वास्थ्य सचिव केशव देसीराजू, सूचना प्रसारण मंत्रालय के पूर्व सचिव भास्कर घोष, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबउल्लाह के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर और अरुणा रॉय भी शामिल हैं. मीडिया में आई मुसलमान समुदाय को प्रॉपर्टी न बेचने या उन्हें किरायेदार न रखने की ख़बरों का जिक्र करते हुए इन पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि अपनी रोजाना जिंदगी में मुसलमान ऐसी बातों का सामना करते हैं, जिससे इस धार्मिक समुदाय के माहौल में गुस्सा बढ़ना तय है.
कासगंज की घटना और उसके बाद सरकार के मंत्रियों के द्वारा दिए जाने वाले उत्तेजक बयानों के बीच देश के पूर्व नौकरशाहों की यह चिट्ठी मोदी सरकार और उसके काम करने के तरीके पर बड़ा सवाल खड़ा करती है.

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