नई दिल्ली। भारत में पहली बार अमेरिकी कच्चे तेल की खेप सोमवार को पहुंचेगी. यह खेप ओडिशा के पारादीप बंदरगाह पर वेरी लार्ज क्रूड कैरियर (वीएलसीसी) के जरिये पहुंचेगी. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आइओसी) ने जुलाई में अमेरिकी कच्चे तेल की खरीद की थी. इसके साथ अमेरिकी कच्चे तेल की भारी सप्लाई भारत में शुरू होने का रास्ता खुल गया है.
एक अमेरिकी अधिकारी ने शुक्रवार को कहा था कि आइओसी और बीपीसीएल ने मार्च 2018 तक कच्चे तेल के आठ पोत खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है. आइओसी प्रमुख ने कहा कि हमने गुजरात के वाडीनार के लिए एक और खेप का ऑर्डर दिया है. यह खेप एक महीने में पहुंचेगी. आइओसी पहली खेप में अमेरिका से लाख बैरल हाई सल्फर क्रूड मार्स और पश्चिमी कनाडा से चार लाख बैरल कच्चा तेल आयात कर रही है. दूसरी खेप में वह 19 लाख बैरल अमेरिका कच्चा तेल खरीदेगी. इसमें से करीब आधा शेल ऑयल होगा. शेल ऑयल भी कच्चा तेल ही होता है. यह किसी तेल कुएं के बजाय जमीन के अंदर चट्टानों के बीच एकत्रित भंडारों से निकाला जाता है. आइओसी ने 9.50 लाख बैरल लाइट स्वीट ईगल फोर्ड शेल ऑयल और इतना ही हैवी सोर मार्स क्रूड आयात होगा.
आइओसी के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी ऑयल कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) भी अमेरिकी कच्चा तेल आयात करने का प्रयास कर रही हैं. आइओसी के चेयरमैन संजीव सिंह के अनुसार लाख बैरल (प्रति बैरल 158 लीटर) अमेरिकी कच्चे तेल का पोत सोमवार की सुबह तक पारादीप बंदरगाह पर पहुंच जाएगा. केंद्र सरकार अमेरिका और कनाडा का कच्चा तेल अमेरिकी तटों से खरीदने के लिए सार्वजनिक कंपनियों को प्रोत्साहित कर रही है क्योंकि सरकार इसे सस्ते विकल्प के तौर पर देखती है. अमेरिकी कच्चे तेल की वजह से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति मांग से ज्यादा हो गई है.
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश भारत दक्षिण कोरिया, जापान और चीन की तरह अमेरिकी कच्चा तेल खरीदने लगा है. तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कमी किये जाने के बाद मध्य पूर्व में हेवी सोर क्रूड यानी हाई सल्फर क्रूड की कीमत बढ़ने लगी है.
Reporter/Jr. Sub Editor