फिल्म की कहानी एक सच्ची घटना से प्रेरित बताई जा रही है. कहानी है एक जेल के कैदियों की. सात कैदी जेल में बंद हैं, जिनपर अंडर ट्रायल का मुकदमा चल रहा है. बिंदू (आन्या सिंह), संजू (आदर जैन) पर छोटे मोटे जुर्म का केस चल रहा है. कैदी बैंड की शुरुआत मचल लालंग के परिचय से होती है, जो बिना किसी कुसूर के 54 सालों तक जेल में रहा.
एक राजनेता जेलर दविंदर धुलिया से जेल के अंदर कैदी बैंड बनाने की बात कहते हैं. इस कैदी बैंड में केवल अंडर ट्रायल कैदियों को शामिल किया जाता है और जेल के अंदर स्वतंत्रता दिवस पर एक प्रोग्राम होता है, जहां यह कैदी अपनी प्रस्तुति देते हैं.
वहीं जिस बात का पता है वही होता है..इसी बीच हीरो हिरोइन की प्रेम कहानी भी शुरू होती है और साथ ही ये जेल से भागने का प्लान भी बनाया जाता है ताकि वो अंडर ट्रायल की समस्या से दुनिया को रू-ब-रू करा सकें. इसमें वह सफल होते हैं या नहीं इसी कहानी पर बनी है कैदी बैंड.
एक इंटरव्यू में हबीब फैज़ल ने बताया था कि फिल्म के लिए आइडिया उन्हें तब आया जब वो एक बार तिहाड़ जेल के बारे में कुछ पढ़ रहे थे. ये फिल्म सामाजिक मद्दों (अंडरट्रायल के हालातों) को उजागर करती है. फिल्म फर्स्ट हाफ में तो कुछ कुछ आपको बांधे रखेगी लेकिन सेकेंड हाफ को हज्म करने में थोड़ी कठिनाई होगी. बहुत सी ऐसी चीज़ें हैं जो आपको अवास्तविक लगेंगी. ऐसा लगता है कि निर्देशक को थोड़ा और काम करना चाहिए था. कमज़ोर निर्देशन की वजह से आपका फिल्म से इंट्रस्ट कम हो सकता है.
रणबीर कपूर के कज़िन आदर जैन की ये डेब्यू फिल्म है और पहली ही फिल्म में उनकी शानदार एक्टिंग आपका दिल जीत लेगी. उनकी आवाज़ आपको कहीं ना कहीं रणधीर कपूर की याद ज़रूर दिलाएगी. कैमरा के आगे वो काफी शानदार लगे हैं. वहीं बात की जाए आन्या की तो उनकी परफॉर्मेंस भी ज़बरदस्त है. वहीं बाकी की स्टार कास्ट ने भी काफी अच्छी कोशिश की है.
निर्देशक : हबीब फैसल
प्रोड्यूसर : आदित्य चोपड़ा
लेखक : हबीब फैसल

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