नई दिल्ली- दिल्ली की सीमाओं पर पिछले एक साल से ज्यादा समय तक धरने पर बैठे किसान अब घर लौट रहे हैं। मोदी सरकार द्वारा नए कृषि कानून वापस लेने के बाद किसान आंदोलन को स्थगित कर दिया गया है।
आंदोलन स्थगित होने या कहें कि खत्म होने के बाद किसान खुश हैं और अपनी इस बड़ी जीत का जश्न मना रहे हैं। शनिवार को दिल्ली के सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर सहित तमाम जगहों पर किसानों ने अपनी जीत को विजय दिवस के रूप में मनाया।
दलित दस्तक की टीम भी इस दौरान किसानों के बीच पहुंची। गाजीपुर बॉर्डर पर किसान वापसी की तैयारी में लगे हुए थे। किसानों ने अपना सामान बांधकर ट्रकों पर लादना शुरू कर दिया था, लगभग आधे से ज्यादा टेंट उखड़ चुके थे।
किसान मंच पर संघर्ष के गीत गाये जा रहे थे। कहीं कहीं पानी, मिठाई के टेंट लगे थे और लोग लंगर खा रहे थे। महिलाएं और युवा लड़के सब्जियां और रोटियां बनाने में लगे थे तो वहीँ दूसरी तरफ कुछ लंगर खिला रहे थे।
इन सीमाओं पर बैठे किसान दुखी मन से अपनी जगहों से विदाई ले रहे हैं। उनका दुःख उनकी आँखों में, उनकी बातों में सुनने को मिल जाएगा। एक साल से ज्यादा का समय इन जगहों पर, घर की तरह बिताने के बाद, अब जाना उन्हें भावुक कर रहा है।
किसान आंदोलन के खत्म होने के बाद भी किसानों का जोश खत्म नहीं हुआ है। उनका कहना था कि अब आगे, कभी भी जब किसानों के साथ अन्याय होगा तब हम सभी किसान एक आवाज़ पर एक साथ, साथ आयेंगे और यही हमने इस आंदोलन से अर्जित किया है। किसानों ने ये भी कहा कि हमने सिर्फ ये आंदोलन ही नहीं जीता बल्कि हमने लोगों का दिल जीता है, भाईचारा जीता है, एक दूसरे का विश्वास, एक दूसरे के लिए बलिदान होना, साथ खड़ा होना और एक दूसरे का साथ पाया है।
बता दें, शनिवार सुबह 8।30 बजे किसान नेता राकेश टिकैत ने किसानों के एक बड़े जत्थे को बिजनौर के लिए रवाना करते हुए, किसानों की घर वापसी को हरी झड़ी दिखाई। यहां से जब किसान हट जाएंगे तब 13 दिसंबर को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में माथा टेक कर अपने घरों को लौट जाएंगे।

दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।
