उत्तर प्रदेश के चुनाव में जैसे-जैसे भारतीय जनता पार्टी पिछड़ती जा रही है, उसकी बौखलाहट सामने आ रही है। और बौखलाहट में भाजपा नेता अल-बल कुछ भी बोले जा रहे हैं। यूपी के सिद्धार्थ नगर जिले के डुमरियागंज के भाजपा विधायक राघवेंद्र सिंह का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह धर्म और जाति को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं।
इस वीडियो में भाजपा का बड़बोला विधायक कह रहा है कि, जो हिंदू दूसरी पार्टी को वोट देगा उसके अंदर मिया का खून है, वो गद्दार है… जो भाजपा को वोट नहीं करेगा वो अपने बाप की नाजायज़ औलाद है… यहीं नहीं इस सनकी विधायक ने लोगों को अपना डीएनए टेस्ट कराने की सलाह भी दे डाली..
हद तो यह है कि भाजपा विधायक राघवेंद्र सिंह की ऐसी बयानबाजी पर वहां मौजूद लोग तालियां बजा रहे हैं।
हालांकि लोगों के बीच यह वीडियो आने के बाद भाजपा विधायक की जमकर खबर ली जा रही है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री डॉ नितिन राउत ने इस विडियो को ट्विटर पर साझा करते हुए चुनाव आयोग से पूछा है कि क्या चुनाव आयोग इस वीडियो को देख रहा है।
दरअसल उत्तर प्रदेश में जिस तरह भाजपा की हार की लेकर खबरें सामने आने लगी है, उससे भाजपा और उसके नेता बौखलाए हुए हैं। मंदिर के नाम पर हिन्दुओं को एकजुट करने की राजनीति करने वाली भाजपा के नेता हिन्दू वोटों को अपने पाले में लाने के लिए हर सीमा पार करते जा रहे हैं। वो न सिर्फ मुसलमानों पर निशाना साध रहे हैं, बल्कि हिन्दुओं की भी फजीहत और अपमान कर रहे हैं।
फिलहाल वीडियो वायरल होने के बाद चुनाव आयोग ने भाजपा नेता के भाषण को उन्मादी बताते हुए उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। दरअसल इस चुनाव में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होता दिख रहा है। लेकिन चुनाव आयोग ने ज्यादातर मुद्दों पर चुप्पी साध रखी है। जिसको लेकर वह निशाने पर भी है। भाजपा नेता के ताजा बयान पर हालांकि चुनाव आयोग ने संज्ञान ले लिया है, लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या ऐसे बायनों पर बाद में कार्रवाई होगी या फिर चुनाव के साथ ये भी रफा-दफा हो जाएंगे? फिलहाल यही कहा जा सकता है कि भाजपा नेता का बयान बौखलाहट है, जो सत्ता से बाहर जाने के डर से आई है।
दलित दस्तक (Dalit Dastak) एक मासिक पत्रिका, YouTube चैनल, वेबसाइट, न्यूज ऐप और प्रकाशन संस्थान (Das Publication) है। दलित दस्तक साल 2012 से लगातार संचार के तमाम माध्यमों के जरिए हाशिये पर खड़े लोगों की आवाज उठा रहा है। इसके संपादक और प्रकाशक अशोक दास (Editor & Publisher Ashok Das) हैं, जो अमरीका के हार्वर्ड युनिवर्सिटी में वक्ता के तौर पर शामिल हो चुके हैं। दलित दस्तक पत्रिका इस लिंक से सब्सक्राइब कर सकते हैं। Bahujanbooks.com नाम की इस संस्था की अपनी वेबसाइट भी है, जहां से बहुजन साहित्य को ऑनलाइन बुकिंग कर घर मंगवाया जा सकता है। दलित-बहुजन समाज की खबरों के लिए दलित दस्तक को ट्विटर पर फॉलो करिए फेसबुक पेज को लाइक करिए। आपके पास भी समाज की कोई खबर है तो हमें ईमेल (dalitdastak@gmail.com) करिए।