नई दिल्ली। शिक्षा के मामले में बेहद संवेदनशील माने जाने वाले छत्तीसगढ के बलरामपुर जिले के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने अपने मजबूत इरादों से प्रदेश के अन्य नौकरशाहों के बीच एक बड़ा संदेश दिया है. उन्होंने अपनी पांच साल बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया है. कलेक्टर साहब ने बेटी की प्राथमिक स्तर की पढ़ाई के लिए जिला मुख्यालय के शासकीय प्रज्ञा प्राथमिक विद्यालय को चुना है.
अवनीश कुमार शरण हमेशा से ही शिक्षा के स्तर को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं. इन्होंने न तो कभी शिक्षा में लापरवाही बर्दाश्त की और न ही कभी शिक्षकों को कोताही बरतने दी है. इसे लेकर वे राजधानी में भी अपनी पदस्थापना के दौरान सुर्खियों में रहे हैं. यह पहली बार नहीं है जब कलेक्टर अवनीश कुमार ने ऐसा कदम उठाया हो, इससे पहले अपनी बेटी को पढ़ाई के लिए आंगनवाड़ी स्कूल में भी भेज चुके हैं. आपको बता दें बलरामपुर जिले में लोगों को शिक्षा के प्रति जागरुक करने के लिए ‘उड़ान’ और ‘पहल’ जैसी योजनाएं भी लॉन्च कीं इन योजनाओं की तारीफ खुद सूबे के मुखिया सीएम रमन सिंह कर चुके हैं.
आज जब हर कोई अपने बच्चे को महंगे से महंगे स्कूल में पढ़ाने की ख्वाहिश पाले हुए हैं ऐसे में कलेक्टर अवनीश कुमार शरण का यह फैसला एक मिसाल बनकर उभरा है. अवनीश कुमार का यह फैसला उन अभिवावकों के लिए एक बड़ा संदेश है जो सरकारी स्कूल में कमियां निकालते हैं और फिर मोटी रकम चुका कर अपने बच्चों का दाखिला निजी संस्थानों करा देते हैं.
बहरहाल कलेक्टर साहब की इस पहल से अब लगता है की सरकारी स्कूलों की पढ़ाई के स्तर में कुछ सुधार जरूर आएगा. जाहिर है कि जिस स्कूल में जिले के कलेक्टर या आला अधिकारियों के बच्चे पढेंगे उस स्कूल का शिक्षा का स्तर खुद-ब-खुद सुधर जाएगा.
अवनीश कुमार का फैसला एक बड़ी प्रेरणा है, राज्य सरकार अगर इससे सीख लेकर पूरे प्रदेश में इस फैसले को लागू कर दे तो वो दिन दूर नहीं जब प्रदेश के शासकीय स्कूलों के माथे पर लगा दाग मिट जाएगा. इसके साथ ही निजी स्कूलों की मनमानी फीस पर लगाम लग सकेगी.

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